Thursday, January 9, 2025

101 तर्ज ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर इक जान है हम(संगम)

101
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तर्ज ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर इक जान है हम(संगम)

हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
मेरी मन वीणा के तार हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु s s
1
सुनते हैं भक्त के भावों को, तुम बिना कहे सुन लेते हो
मेरी बारी में देर बहुत ,
तुम ध्यान नहीं क्यूं देते हो 2
मुझसे ऐसी क्या भूल हुई, क्या बात है, क्यूं नाराज हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
2
भक्ती तेरी नित करता हूं,तेरे ध्यान में डूबा रहता हूं 
उपसर्ग कोई भी जब आता, 
तेरी भक्ती से सह लेता हूं 2
तुमसे ज्यादा मैं क्या मांगू ,इक कल्पतरु के समान हो तुम 
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
मेरी मन वीणा के तार हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु s s

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
8.1.2025(00.15 am)
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Friday, November 22, 2024

मारवाड़ी mashup

मारवाड़ी mashup

ओ म्हान -पूजा रो थाल सजा द ऐ माँ-२

पूजन करबा म्हें जा स्यां- प्रभु की पूजन करबा म्हें जा स्यां

त्रिशला रा वीरा, भूल ना जाज्यो जी 2
खड़ा उडीका, कदी थे आस्यो 2

वीर जन्म्या,त्रिशला क ,वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न भेजो रे  बधाई ओ,नगरी म वीर जन्म्या

मनड़ो झूम: झूम: आज
मनड़ो झूम: झूम: आज
गुरूवर आंगण: पधार्र्या रे,
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे

थार चरणा म आग्या वीरा )
हर ल म्हारा मन की पीड़ा )   2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

एजी  हा सा म्हारो  मनडो  प्रभु  भक्ति म लाग्यो सा -2
बाई सा रा बीरा तीरथ -ले  चालो सा -2

उड़ती कुरजरिया संदेशो म्हारो लेती जाईज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
पहलों तो संदेशो म्हारो वीर प्रभु न दीज्यो थे -२
भारत री जनता रो थे प्रणाम दीज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया -----------------

बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2

चालो र चालो  मंदिरा म आज -आज रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

दश लक्षण भादवा का
लाग्या  रसिया -
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

मतवालो हिवडलो प्रभू थान याद कर 3
लोग धरम न भूल भूल कर, कर है खोटा काम 2
पैसो ही भगवान हो गयो, सांको निकल्यो राम 
मतवालो हिवडलो प्रभू थान याद कर 

थारी म्हारी छोड़ द भाया,कोई न साथ जाव लो
सगळा साथी छोड़ अठ ओ जीव अकेलो जाव लो
रचयिता 
राजू बगड़ा मदुरै 
23.11.2024 (00.45 am)
















Thursday, November 21, 2024

27 तर्ज -जल जमुना को पानी कईया ल्याऊ ओ रसिया (veena music)-

27

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तर्ज -जल जमुना को पानी कईया ल्याऊ ओ रसिया  (veena music)-मारवाङी

दश लक्षण भादवा का
लाग्या रसिया -
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

साँची झूठी -थारी -हर बात म्हे तो मानी-
तो एक बात म्हाँकी थे भी मानो रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

उत्तम क्षमा बहुत सुख दाई -
तो दुःख दाई बैर मति बांधो रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

सोलह स्वर्गा मांही जिता देव सारा पूज -
तो ऐसा जिनजी पूजण थे भी चालो रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

जीवन जेवडी रा सुख दुःख नाका -2
तो नापता ही नापता बित जाव रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

जिनजी चेहरा पर सुख की चमक है -
तो त्याग से ही सुख मिल जाव रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय -----------------दश लक्षण भादवा का ---

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै ता;-१५.०८.२००५

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Monday, November 18, 2024

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)
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आँखों को
आँखों को ,बन्द करके, सिमरो तुम ,प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
 1
कोई नहीं है, तेरा अपना 
स्वारथ का , s ये खेsला 2
जिनके लिये तू, पाप कमाता
माया का, s वो  झsमेला 2
जीवन की संध्या में, होगी सब की पहsचान 
आँखों को ,
आंखों को ,बन्द करके, सिमरो.तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
2
सब कुछ अपना,प्रभु  ने त्यागा,
सच्चा सुखs पाsनेs को 2
इन्द्रिय सुख को जङ से त्यागा
मुक्ती रमाs पाsनेs को
संयम धारण से ही पायेंगे सुख आsराम 
आँखों को 
आँखों को,बन्द करके, सिमरो  तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं ओमsss
णमो आइरियाणं,णमो उवझ्झायाणं ओमsss
ओम णमो लोए, सव्व् साहुणं ओमsss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
18.11.2024 (11.55 pm)
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Tuesday, October 29, 2024

99 तर्ज लग जा गले की फिर ये हसीं रात हो न हो (वो कौन थी)

99 
तर्ज :  लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो (वो कौन थी)www.rajubagra.blogspot.com 

गुरुवर,  तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐsसे रम गया 
जब से जुड़ा हूँ आपसे , जीवन बदल गया 
1
भोगे अनेकों भोग पर, सुख, s ना,  कहीं मिला 2
समझा था जिसको सुख, उसी sसे, दुःख मुझे मिला 
जागे हैं अब नसीब जो, मुझे तेsरा संग मिला
गुरुवर तुम्हारी भक्ती से, मुझे ऐsसा सुख मिला
2
इंद्रियों से सुख की चाह में, कितने किये हैं पाप 2
कैसे बताऊं आपको,दिल रोsए बार बार
स्वीकार है कर्मों की सजा, जो भी देंगे आप
गुरु की बताई राह पर, चलने को हूँ तैयार 

गुरुवर तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐsसे रम गया 
जब से जुड़ा हूँ आपसे ,जीवन बदल  गया 
गुरुवर तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐसे खो गया 
जागे हैं अब नसीब जो, मुझे तेरा संग मिला 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
30.10.2024 (00.45 a.m)
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Thursday, October 17, 2024

98 तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा (सम्बन्ध)(राग-भैरवी)

98 
तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा 
(सम्बन्ध)(राग-भैरवी)
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करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
1
अनन्तानंत काल से, भवसागर में गोते खाये ssss 
जाले,बुनकर,कर्मों के, दुःख में,डूबा जाये ssss
तुझे सुख की मंज़िल,मिलेगी तप से ,
कर्मो का है खेलाsssss
करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
2
जो करेगा निज पे शासन, वो जिनेन्द्र बनेगा ssss
जो इन्द्रियों को जीतेगा, वो जिनेन्द्र  बनेगा ssss
क्षणिक सुखों का, इन्द्रजाल है
कर्मों का है खेलाssss
करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
18.10.2024 (00.35 a.m.)
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Wednesday, September 11, 2024

97 तर्ज़-केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश (मांड -मारवाङी)

97
तर्ज़-केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश  (मांड -मारवाङी)
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सांवरिया पारस आवोनी, पधारो म्हार: देस 
मधुबन रा पारस आवोनी पधारो म्हार: देस 
महुआ रा पारस आवोनी पधारो म्हार: देस 
कचनेरा पारस आवोनी पधारो म्हार: देस 
हुमचा रा पारस आवोनी पधारो म्हार: देस 
1
म्हांकी मदुराई नगरी बसी है वैगई नदी के तीर 2
दश धर्मा री पूजा रचाई , थां सू जोड़न प्रीत रे
पधारो म्हार: देस
सांवरिया पारस आवोनी, पधारो म्हार: देस 
2
दो गोरी दो सांवली जी दो हरिया दो लाल 2
सोलह प्रतिमा सोवणी जी बंदू बारम्बार रे
पधारो म्हार: देस
सांवरिया पारस आवोनी, पधारो म्हार: देस 
3
राजा राणा छतर पती जी, हाथिन के असवार 2
मरना सबको एक दिन जी अपनी अपनी वार जी 
पधारो म्हार: देस
सांवरिया पारस आवोनी, पधारो म्हार: देस 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
26.9.1993 
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Monday, September 9, 2024

77 तर्ज ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा (दिल्ली का ठग)



77
तर्ज ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा 
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ये त्यागी,तपस्वी, गुरुवर हमारे, है जैनों की शान 2
करे देव ,गुरुओं, के, चरणों में आ कर, के शत शत प्रणाम 
1
सभी जीवों पे, ये दया भाव रखते,2
अहिंसा से चलते, किसी से ना डरते 
नहीं राग करते,
नहीं द्वेष करते 
हैं ये वीतरागी, रहे समता के साथ 
ये त्यागी,तपस्वी, गुरुवर हमारे, है जैनों की शान
करे देव ,गुरुओं, के, चरणों में आ कर, के शत शत प्रणाम 
2
बहुत ही कठिन साधना में  ये रहते 2
कभी महीनों तक भी निराहार रहते 
रहे चाहे गर्मी 
रहे  चाहे सर्दी 
सभी s ऋतुओ में, रखें समता के भाव 
ये त्यागी,तपस्वी, गुरुवर हमारे, है जैनों की शान 2
करे देव ,गुरुओं, के, चरणों में आ कर, के शत शत प्रणाम 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
8.9.24 (10.30 pm )
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Friday, September 6, 2024

96 तर्ज ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा (कटी पतंग)

96 
तर्ज ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा (कटी पतंग)
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हम जैन धर्म वाले , हिंसा s नहीं करे 
कोई गर,हमें डराए, मौत से ,नहीं डरे 
1
प्रेम, करते सदा, हम बैर रखते नहीं 
भोsजन करें वो ही, जिनमें जीव मरते नहीं 
दया करे, सब पे सदा, 
चाहे कोई भी हो आपदा 
हम जैन धर्म वाले , हिंसा s नहीं करे 
कोई गर ,हमें डराए, मौत से, नहीं डरे
2
उपवास, करते हैं हम, संयम s रक्खें सदा 
अणुव्रत, पालन करें, क्षमा भाव, रक्खें सदा 
महावीर के, भक्त है हम 
रहें  सदा भक्ती में हम 
हम जैन धर्म वाले , हिंसा s  नहीं करे 
कोई गर, हमें डराए, मौत से, नहीं डरे
3
परि-ग्रह रखते नहीं, गुरुवर हमारे हैं 
कभी क्रोध करते नहीं, तपसी हमारे हैं 
पैदल चलें, हर पल वो 
सबको बचाते पापों से वो 
हम जैन धर्म वाले , हिंसा s नहीं करे 
कोई गर,हमें डराए, मौत से ,नहीं डरे

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
7.9.24 (00.30 am)
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Wednesday, September 4, 2024

95 तर्ज बाईसा रा बीरा जयपुर जाज्यो नी (मारवाड़ी)

95
तर्ज बाईसा रा बीरा जयपुर जाज्यो नी (मारवाड़ी)
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त्रिशला रा वीरा, भूल ना जाज्यो जी 2
खड़ा उडीका, कणां थे आस्यो 2

चांदनपुर जाके, घणी मैं भक्ती करी 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

महावीरजी म , लाडू चढ़ाया घणा 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

कुंडलपुर जाके, छत्तर चढ़ाया म्हें 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

पर्युषण आया, संयम स्यू तपस्या करी 2
सुपना में म्हारे स्यु, मिलबा थे आया 2

बाई सा रा बीरा, बात बतावां सुणो 2
महावीर प्रभू आज , म्हान दरश दिया 2

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
5.9.2024 (00.10 a.m.)
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Sunday, September 1, 2024

94 तर्ज लड़ली लूमा लूमा हे गोरबंद नखरालो मारवाड़ी

94
तर्ज लड़ली लूमा लूमा हे गोरबंद नखरालो मारवाड़ी 
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मनड़ो झूम: झूम: आज
मनड़ो झूम: झूम: आज
गुरूवर आंगण: पधार्र्या रे,
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
1
भोरां भोरां, उठके, चौको लगायो 2
तो आदर सूं 2, पड़गाह ल्याया गुरुवर न आज 
म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
2
चरण पखारा,नवदा भक्ति करा म्हे 2
तो तीनों शुद्धि 2 , बोलकर, दियो आहार
म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
3
संयम सिखाव,दश धर्म बताव:2
तो हिंसा से 2, बचाए कर,जीणो सिखाव 
म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
मदुरै 
1.9.24 (11.55 pm)
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Saturday, August 24, 2024

93 तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत) (राग-पहाङी)

93
तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)(राग-पहाङी)
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ये मन प्रभू बिन,कहीं,-रमताss नहीं, हम क्याss करें 
गुरु तुम बिन, कोई- ,जंचताss नहीं हम क्याss करें 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs- ,
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss
1
तुम्हारी,-वंदना करना, तुम्हारेs ध्यान में रहना 2,
दिखाए, आपने जो पथ, उन्ही की साधना करना 
मिलेगी मुक्ति की मंजिल, 
इसी विश्वासs सेs चलना 
गुरु तुम बिन, -कोई जंचताss नहीं हम क्याss करे 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs,-
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss
2
तुम्हारे, चरणों की मैं धूल, मुझे इतनी जगह देना 2
तपस्या, साधना संयम की, करलूं ऐसा बल देना
कभी मैं डगमगा जाsऊं, 
तो, हरपल साsथ मेंs रहना
गुरु तुम बिन,-कोई, जंचताss नहीं हम क्याss करे 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs,-
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss

ये मन प्रभू बिन,कहीं,-रमताss नहीं, हम क्याss करें 
गुरु तुम बिन, कोई- ,जंचताss नहीं हम क्याss करें 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs- ,
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
मदुरै 
25.8.24 (00.30 am)
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Thursday, August 22, 2024

92 तर्ज छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा (ममता)(राग-यमन)

92  
तर्ज छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा (ममता)(राग-यमन)
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हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 2
1
दुखों से मुक्ति मिलेगी मुझको 
करूंगा भक्ती मैं तेरी हर पल
शरण में तेरी खड़ा हूं भगवन 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
2
किये अनेकों है पाप मैंने 
नहीं है जिनकी क्षमा भी मांगी 
क्षमा की भिक्षा मैं मांगता हूं 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
3
तुम अपने चरणों में रख लो मुझको
तुम्हारे चरणों की धूल हूं मैं 
मैं सर झुकाए खड़ा हूं भगवन 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
23.8.2024 (00.30 AM)
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Saturday, July 27, 2024

91 तर्ज सजनवा बैरी हो गए हमार (तीसरी कसम)(राग-भैरवी)


91
तर्ज सजनवा बैरी हो गए हमार (तीसरी कसम)(राग-भैरवी)
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तपस्वी तेरा करे बहुमान 
त्याग और संयम धारा मन में २
भोगों को दे, विराम
तपस्वी तेरा करे बहुमान 
पल पल बीती जाय, उमरिया ,खुद की सुध नहीं आय 2
मोह माया में फंसा ये हंसा, चाहे भी उड़ नहीं पाए 
तुमने तपस्वी त्याग के पथ पर 2
बढ़ कर किया कमाल 
तपस्वी तेरा करे बहुमान 
त्याग और संयम धारा मन में 
भोगों को दे, विराम
तपस्वी तेरा करे बहुमान 
क्रोध की अग्नी बुझाई तुमने, क्षमा का नीर बहाया 2
पंचेंद्रियों पे अंकुश रख के , जीवन सफल बनाया 
सुख की कुंजी ,त्याग से मिलती,2
सब को दिया बताय
तपस्वी तेरा करे बहुमान 
त्याग और संयम धारा मन में 
भोगों को दे, विराम
तपस्वी तेरा करे बहुमान 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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28.7.2024
1.00 AM


Wednesday, April 24, 2024

90 तर्ज चांद सी महबूबा हो मेरी कब (हिमालय की गोद में)(राग-यमन)

90
तर्ज चांद सी महबूबा हो मेरी कब (हिमालय की गोद में)(राग-यमन)
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(गुरुनंदिनि, मांs के चरणों में,शत शत वंदन करते हैं )
गुरु माता के चरणों में हम, शत शत वंदन करते हैं 
त्याग तपस्या की देवी का हम अभिनंदन करते हैं 
मुख पे है तेज तपस्या का, वाणी मीठी लिए कोमलता 
तत्वों को ज्ञान से जान लिया,मन को दे दी है स्थिरता 
मन को दे दी है स्थिरता 
पिछी कमंडल, हाथों में लेकर, नंगे पांव निकलती है 
गांव गांव और शहर शहर में, ज्ञान की वर्षा करती है

(गुरुनंदिनि मांs के चरणों में,शत शत वंदन करते हैं )
गुरु माता के चरणों में हम, शत शत वंदन करते हैं 
त्याग तपस्या की देवी का हम अभिनंदन करते हैं 

ना रागी है ना द्वेषी है, सबकी बन जाती हितैषी है 
जो सत्य है,वो ही बतलाती, जन जन के मन को भाती है 
जन जन के मन को भाती है 
पिछी कमंडल, हाथों में लेकर, नंगे पांव निकलती है 
गांव गांव और शहर शहर में, ज्ञान की वर्षा करती है

(गुरुनंदिनि मांs के चरणों में,शत शत वंदन करते हैं )
गुरु माता के चरणों में हम, शत शत वंदन करते हैं 
त्याग तपस्या की देवी का हम अभिनंदन करते हैं 

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रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
मदुराई 
25.4.2024
1.15 AM





Wednesday, September 27, 2023

89 तर्ज सावन का महीना पवन करे शोर (मिलन)(राग-पहाङी)


89
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तर्ज सावन का महीना पवन करे शोर (मिलन)(राग-पहाङी)

पद्मावती माता की, भक्ती का यहां जोर
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 
1
पारस प्रभू तोहरे,मस्तक विराजे
इंद्र भी तोहरेे आगे शीश झुकाए
जो भी पारस प्रभू की भक्ती करता दिन रैन
माता उसको दे देती है जीवन के सुख चैन
2
जोत जली हो जिसके, मन में मात की
उसके कमी ना रहे ,किसी भी बात की
प्रसिद्धि मिल जाए , उसे जग में चारों और 
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 
3
रोग शोक भक्तो के मिटाए,
भूत प्रेत की बाधा हटाए
जीवन के हर काम में बिगड़ी बनाती बात
थोड़ी सी भक्ती से माsता सुन लेती है बात
पद्मावती माता की, भक्ती का यहां जोर
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
28.9.23    00.30 am
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Sunday, September 24, 2023

88 तर्ज-कहीं दीप जले कहीं दिल (बीस साल बाद, )(राग-शिवरंजनी)

88 
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तर्ज-कहीं दीप जले कहीं दिल (बीस साल बाद, )(राग-शिवरंजनी)

गुरुओं से आ के मिल
ए भोग में डूबे दीवाने sss
पहचान तेरी मंजिल,
गुरुओं से आ के मिल ओ ssssss
1
इन्द्रियों ने बिछाया यहां जाल है,
सुख का तो दिखाया बस ख्वाब है 

सुंदर है बहुत , कातिल
ए भोग में डूबे दीवाने sss
नहीं भोग तेरी मंजिल,
गुरुओं से ,आ के मिल ओ ssssss
2
सब जानके भी,क्यूं तूं अनजान है
इन्द्रियों से करे विषपान है 

संयम ही तेरी मंजिल 
ए भोग में डूबे दीवाने sss
नहीं भोग तेरी मंजिल,
गुरुओं से ,आ के मिल 
3
हे तपसी ,तूं बड़ा ही महान है
भोगों को, दिया विराम है

तप से ही मिले मंजिल
हे वीर प्रभू के दीवाने sss 
नहीं भोग तेरी मंजिल,
गुरुओं से ,आ के मिल ओ ssssss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
24.9.2023   3.45pm
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Wednesday, September 20, 2023

87-तर्ज मेरा दिल ये पुकारे आजा (नागिन)(राग-दरबारी)

87
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तर्ज मेरा दिल ये पुकारे आजा (नागिन)(राग-दरबारी)

गुरुsवर की शरण में आ जा
छुटsकारा दुखों से पा जा
भोगो के जंजाल से 
मोह माया जाल से
गुरुsवर की शरण में आ जा
छुटsकारा दुखों से पा जा
भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 गुरुsवर की शरण में आ जा
चारों गतियों में फिरता फिरे, क्यूं फिरे क्यूं फिरे-2
 कोई नहीं है तेरा
 स्वार्थ का है ये घेरा
 बस इतना सा ज्ञान जगा जा
 भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 गुरुsवर की शरण में आ जा
 तप करके ही बुझती है आग मन की ,मन की-2
 कर s उपवास तूं, 
 संयम को धार तूं
 बस, इतनीसी लगन लगा जा
 भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 गुरुsवर की शरण में आ जा
 भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 गुरुsवर की शरण में आ जा

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
21.9.23  (00.05)
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Saturday, November 5, 2022

84 तेरे होठों के दो फूल प्यारे प्यारे , (पारस)(राग-शिवरंजनी)

84 तेरे होठों के दो फूल प्यारे प्यारे ,(पारस) (राग-शिवरंजनी)
गुरुवर, आज हमरे अंगना में पधारे
हम सब, खुशी से लगाते है जयकारे
आज हमरी खुशी का क्या कहना, क्या कहना
त्यागी तपसी हमको लगते है दुलारे
हम भी पार होंगे उनके ही सहारे 
आज हमरी खुशी का क्या कहना, क्या कहना
गुरुवर, आज हमरे अंगना में पधारे____
1
मोह माया के सब रिश्ते, तोड़ घर से ये गुरुवर निकले
इंद्रिय सुख को तज कर के, संयमधारी ये बनकर निकले
झूठा सारा है संसार,
सच्चा महावीर का ज्ञान
ऐसे जैन मुनि का क्या कहना sssss
क्या कहना
गुरुवर, आज हमरे अंगना में पधारे
हम सब, खुशी से लगाते है जयकारे______
2
सम्यकदृष्टि औ सम्यक ज्ञानी, सम्यकचारित्र का पालन करते 
करते घोर तपस्या हरदम, शिव पथ पर आगे ही बढ़ते
करते ज्ञान का प्रकाश
सब जन करते इनसे प्यार
ऐसे युगल मुनि का क्या कहना sssss
क्या कहना 
गुरुवर, आज हमरे अंगना में पधारे
हम सब, खुशी से लगाते है जयकारे______

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
4.11.2022
11.30pm





Tuesday, August 30, 2022

83_ तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (कन्यादान)(राग असावरी]

83
तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (कन्यादान)(राग असावरी]
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प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई 
तपस्या करके, बैरागी बन जाए
मुनिराज बनके जो, कठोर तप करे
तो सिद्ध पद का,अधिकारी बन जाए
प्रभु की भक्ति में, __
1
कभी उपवास करता है
कभी वो मौन रहता है
सदा ब्रह्मचर्य रखता है
हमेशा सरल रहता है
प्रभु के ध्यान में तपसी, हमेशा डूबा रहता है 
प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई _____
2
किया इन्द्रियों को है वश में 
तपस्वी तुम निराले हो
नमन तेरी तपस्या को
नमन तेरे दृढ़ निश्चय को 
करे अनुमोदना हम सब ,बढ़ो आगे धर्म पथ पर
प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई _____

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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30.8.2022
11.45 pm







Sunday, August 28, 2022

82 तर्ज कुन फाया कुन (रॉक स्टार)

82 
तर्ज कुन फाया कुन (रॉक स्टार)
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भक्ति तेरी करने,
आ र ती करने,
हम सब आये ,दर पे तेरे 
तेरे बिन खाली आजा, दर ये तेरा
तेरे बिन खाली आजा, दर ये तेरा
मणिभद्रा,
मणिभद्रा,
मणिभद्रा sssssss
मणिभद्रा sssssss
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन,बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन

जब कहीं पे, किसी का, संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
जब कहीं पे, किसी का,संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
वो जो मुझको हंसाया, वो जो मुझको सम्हाला
बाबा तूं ही तूं ही आया था 
वो जो मुझको हंसाया, वो जो मुझको सम्हाला
बाबा तूं ही तूं ही आया था 
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
1
तुझ में डूबा है, मेरा मन, मेरा तन 
करो न सुनवाई अब लागे नहीं मन 
तुझ में डूबा है, मेरा मन, मेरा तन 
करो न सुनवाई अब लागे नहीं मन 
करता हूं पूजा तेरी, सुबह और शाम
भोग चढ़ाऊं तेरे भर भर थाल 
ओ ओ ओ ओ ओ 
करता हूं पूजा तेरी, सुबह और शाम
भोग चढ़ाऊं तेरे भर भर थाल 
सुनता नहीं क्यूं दिल की बात
ओ बाबा ssss बाबा sssss 
सुन बाबा सुन , सुन बाबा सुन
सुन बाबा सुन ,सुन बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
जब कहीं पे, किसी का, संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
जब कहीं पे, किसी का,संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था

तूने मुझको हंसाया, 
मैं तो जग को ना भाया 
तूने गले से लगाया 
तेरे पीछे चला आया 
तेरा ही मैं इक साया 
ओ ssss ओ ssss 
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन बाबा सुन , सुन बाबा सुन
सुन बाबा सुन ,सुन बाबा सुन

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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28.8.2022
2.30pm




Saturday, August 27, 2022

81 तर्ज कैसे बताएं, क्यूं तुझको चाहें, यारा बता ना पाएं (अजब प्रेम की गजब कहानी)

81 तर्ज कैसे बताएं, क्यूं तुझको चाहें, यारा बता ना पाएं (अजब प्रेम की गजब कहानी)
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कैसे बचाएं, पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
मिलके भी हम ना मिलें, तुमसे न जाने क्यूं
जन्मों के, है फासले, तुमसे न जाने क्यूं
जुड़ता हूं ,फिर भी मैं क्यूं , तुमसे न जाने क्यूं
आशा है, मुक्ति की बस, तुमसे न जाने क्यूं 
कैसे बचाएं पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
1
निगाहें झुकी है मेरी,तेरे चरण में 
कृपा तेरी चाहूं मैं हुजूर
ओsओ
जाने तेरे दर पे, मिले, कैसा ये शुकून
दुनियां के दुख मैं,जाऊं भूल 
तेरे पास हो के भी,
तेरा दास हो के भी
सदा साथ हो के भी,
जानूं नहीं
कैसी है, 
मुझमें कमी, मुझमें न जानें क्यूं 
जन्मों के है फासले, तुमसे ना जानें क्यूं
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
ओ जानू ना ss जानू ना ss जानू ना 
ओ sss ओ sss मैं जानू ना
2
प्रभू तेरी भक्ति में, मैं क्या क्या कह गया
बोले कुछ ना, वापस आप तो
ओsओsओ 
हुए ना कृपालु, मुझसे,हो गई क्या खता
देखो अब तो हो गईं इन्तहा
अफसोस होता है,दिल भी ये रोता है,
सपने संजोता है
पगला हुआ, 
माने ना 
जुड़ता है ये, तुमसे न जाने क्यूं
जन्मों के, है फासले, तुमसे न जाने क्यूं
मिलके भी हम ना मिलें, तुमसे न जाने क्यूं
आशा है, मुक्ति की बस, तुमसे न जाने क्यूं 

कैसे बचाएं, पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 5
रचयिता
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रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
25.8.2022
6.30pm













Sunday, August 21, 2022

79 तर्ज तेरे वास्ते मेरा इश्क सूफियाना (डर्टी पिक्चर)

79 
तर्ज तेरे वास्ते मेरा इश्क सूफियाना (डर्टी पिक्चर)
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तप की निशानी है,जैन मुनि
मूरत क्षमा की है जैन मुनि
हिंसा से दूर है  जैन मुनि
करुणा का संघ है जैन
परिग्रह से दूर है जैन मुनि
इक समय आहारी जैन मुनि
पैदल ही चलते है जैन मुनि
सबसे अलग है ये जैन

मेरे सर पे,, sss ,तूं अपनी छांव कर दे
गुरूवर तूं ,, मुझपे दया कर दे 
मेरी सांस तूं मेरी आश तूं 
मुझसे ना दूर जाना
मेरे वास्ते, 
तेरा,
दर ही  ठिकाना
तेरा
दर है ठिकाना
गुरुवर 
तू ही है  ठीकाना 2
तप की निशानी है,जैन मुनि
मूरत क्षमा की है जैन मुनि
हिंसा से दूर है  जैन मुनि
करुणा का संघ है जैन
1
जपूं तुझे ,हर दिन गुरु, जपूं तुझे ,पल पल गुरु
Hossss ओ 
मंदिरों में ढूंढू तुझे, दिल में, तेरा वास है
तेरा उपदेश सुनते,
तेरी हर बात गुनते
करतें हैं सेवा तेरी ,भव से पार जाना
मेरे वास्ते, 
तेरा,
दर ही  ठिकाना
तेरा
दर है ठिकाना
गुरुवर 
तू ही है  ठीकाना 
2
पल ,,पल गिनते गिनते, सांसे छूट जायेगी
मोह के ये धागे, तोड़ दो
राग द्वेष करते करते, कर्म बंध जायेंगे
करमों के बंधन तोड़ दो 
क्या मेरा, क्या तेरा
नशवर है ,जग सारा
तज करके, जग फेरा 
हमें छोड़ यहीं हैं जाना 
मेरे वास्ते, 
तेरा,
दर ही  ठिकाना
तेरा
दर है ठिकाना
गुरुवर 
तू ही है  ठीकाना 

रचयिता 
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राजू बगड़ा, मदुरै
21.8.2022
7.30 pm 






















Saturday, August 20, 2022

80 अर्हम वंदो, जय पारस देवा

अर्हम वंदो youtube link 
स्तुति 
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अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा।
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
1
श्रीमज जिनेन्द्र,स्याद्दवाद नायक,तीर्थंकराय, दिगंबराय 2
त्रिलोक्य व्याप्तम,त्रिकालदर्शी,त्रिलोक्य लोचन,स्वयंभुवाय,2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
2
हे वीतरागी,पञ्च परमेष्ठी, मेरु प्रतिष्ठे,सम्यक प्रणम्य,
सौधर्म इन्द्र,कर जोड़ी हस्तम, तुभ्यम नमामी, हे पार्श्व नाथम
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
3
रत्नस्य वृष्टि,करी षष्ठ मासे, कुबेर हर्षित,तुभ्यं नमामी 2
वाराणसी,अधि,पति हे देवम,गर्भस्य वामा, मां उर,तिष्ठे, 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
4
अनन्तदर्शी,अनन्तवीर्या,अनन्तचतुष्टय हो तुम जिनेश्वर 2
पादौ पदानी,जिनेन्द्र धत्ते,पद्मानी तत्रे,विबुधा रच्यांती 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
5
चिंतामणि त्वं,ज्योतिस्वरूपी,निराकार हे, निरंजनाय, 2
त्रिलोक्य मंगल,दिव्य ध्वनि त्वं, मुख्स्य उचरे, हे पार्श्व नाथम 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
6
त्वं कल्पवृक्षम, त्वं कामधेनु,विषहर, विनाशम,उवसग्गहारम 2
धरनेंद्र पद्मा, नागेंद्र पूजित, जिनेन्द्र देवम, हे पार्श्व नाथम 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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20.8.2022
9.35 pm 


Sunday, April 10, 2022

78 तर्ज ना कजरे की धार,ना मोतियों के हार (मोहरा)

78
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तर्ज ना कजरे की धार,ना मोतियों के हार (मोहरा)

हे त्रिशला के लाल,
तेरी जन्म जयंती आज
तुझे दुनियां रही पुकार
सबको तेरी जरूरत है,सबको तेरी जरूरत है
हे त्रिशला के लाल,
तेरी जन्म जयंती आज
तुझे दुनियां रही पुकार
सबको तेरी जरूरत है,सबको तेरी जरूरत है
 वर्धमान भगवान
हे शांती के दातार
तेरे चरणों में आज
करते  लाखों,  हम प्रणाम
1
हिंसा का त्याग ,सिखाया
परिग्रह का, त्याग, सिखाया
हिंसा का त्याग ,सिखाया
परिग्रह का त्याग, सिखाया
   सब अनेकांत अपनाओ
   सुख का ये मार्ग बताया
जिओ और जीने दो
ये मूल मंत्र बतsलाया

वर्धमान भगवान
हे शांती के दातार
तेरे चरणों में आज
करते लाखों हम प्रणाम
हे त्रिशला के लाल,
तेरी जन्म जयंती आज
तुझे दुनियां रही पुकार
सबको तेरी जरूरत है,सबको तेरी जरूरत है
2
है भोग विलास ही जग में
बना जन जन का आधार
है भोग विलास ही जग में
बना जन जन का आधार
   संयम से दूर हुए सब
   हुआ तृष्णा का विस्तार
दुःख का ये मूल कारण
नहीं करता कोई विचार

वर्धमान भगवान
हे शांती के दातार
तेरे चरणों में आज
करते लाखों हम प्रणाम
हे त्रिशला के लाल,
तेरी जन्म जयंती आज
तुझे दुनियां रही पुकार
सबको तेरी जरूरत है,सबको तेरी जरूरत है

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
11.4.2022
10.15 AM
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Sunday, April 3, 2022

86-ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,पद्मावती माता कीजय जय पद्मावती माता,जय जय मां 2

86 
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तर्ज़ -(जय संतोषी मां)

ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,(आरती उतारें रे)
पद्मावती माता की
जय जय पद्मावती माता,जय जय मां  2
 1
बड़ा अद्भुत है,प्यार अपार, मां के द्वारे पे,
मां के द्वारे पे
होवे सबका ही, बेड़ा पार, मां के द्वारे पे,
मां के द्वारे पे
प्रीती करूं, भक्ती करूं, तन मन से पूजा करूं
जीवन  सुधारूं रे,
ओ प्यारा प्यारा जीवन  सुधारूं रे,
ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,
पद्मावती माता की
2
आज पाया है वैभव अपार, मां की भक्ती से 
मां की भक्ती से 
मिटे भव भव का दुःख अपार, मां की सेवा से
मां की सेवा से
नृत्य करूं, गान करूं, झूम के मैं भक्ती करूं
मां को निहारूं रे,
ओ प्यारी प्यारी मां को निहारूं रे
ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,
पद्मावती माता की
जय जय पद्मावती माता,जय जय मां  2

रचयिता 
कविता बगड़ा
3.4.2022
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Friday, October 15, 2021

76 तर्ज मतवालो देवरियो मारवाड़ी)

76
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तर्ज मतवालो देवरियो मारवाड़ी)

मतवालो हिवडलो प्रभू थान याद कर 3
1
लोग धरम न भूल भूल कर, कर है खोटा काम 2
पैसो ही भगवान हो गयो, सांको निकल्यो राम 
मतवालो हिवडलो प्रभू थान याद कर 
2
गरीब लोग तो कपड़ा न तरस, आंसुड़ा छलकाव
अमीर लोग फाटेड़ा कपड़ा पेन पेन इतराव
कैसो आयो है जमानो जी, प्रभू थान याद करा
3
सेल्फी लेव, रील बनाव, इंस्टाग्राम चलाव 
मौत आजाव तो भी मोबाइल नहीं छोड़ पाव 
कैसो आयो है जमानो जी, प्रभू थान याद करा
4
नूडल पास्ता खाय खाय, काया की बारा बजाव
धरम की क ख ग नहीं मालुम, धरम न बुरो बताव
कैसो आयो है जमानो जी, प्रभू थान याद करा

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
24.9.23 /12.15am
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Saturday, September 18, 2021

75 तर्ज तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं ए सनम हम तो सिर्फ तुमसे प्यार करते हैं (दीवाना)

75 
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तर्ज तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं ए सनम हम तो सिर्फ तुमसे प्यार करते हैं (दीवाना)

कितनी उम्मीद ,लेके, तेरे दर पे,आते हैं 2
आप तो सिर्फ़,  बैठे  बैठे, मुस्कराते हैं 2
 मैं तो आया हूं तेरी, तारीफों को, सुन सुन के 2
 जाने क्यूं आप, हम से दूरियां बनाते हैं 2
 1
तेरा गुणगान,रोज करते हैं
व्रत ,उपवास ,पूजा करते हैं
मंत्र नवकार को भी जपते हैं
तेरे चरणों का ध्यान करते हैं
     तेरे चरणों का ध्यान करते हैं
कितनी उम्मीद लेके, तेरे दर पे आते हैं 2
आप तो सिर्फ़,  बैठे  बैठे, मुस्कराते हैं 2
2
तेरे दर की, तलाश करते हुए
चारों गतियों में,गोते खाएं हैं
तेरे दर्शन से, जीना धन्य हुआ
कितनी आशा संजो के आए हैं
 कितनी आशा संजो के आए हैं
कितनी उम्मीद लेके, तेरे दर पे आते हैं 2
आप तो सिर्फ़,  बैठे  बैठे, मुस्कराते हैं 2
मैं तो आया हूं तेरी, तारीफों को, सुन सुन के 2
 जाने क्यूं आप, हम से दूरियां बनाते हैं 2
 
कितनी उम्मीद ,लेके, तेरे दर पे,आते हैं 2
आप तो सिर्फ़,  बैठे  बैठे, मुस्कराते हैं 2

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
18.9.2021
3.41 pm
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Sunday, September 12, 2021

74 तर्ज जे हम तुम चोरी से बंधे इक डोरी से ( धरती कहे पुकार के)

74 
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तर्ज जे हम तुम चोरी से बंधे इक डोरी से ( धरती कहे पुकार के)

जे हम तुम भक्ति से, कहेंगे गुरुवर से
आयेंगे मिलने, वो जरूर
अरे ये वादा है,गुरू का
1
भेष दिगम्बर धारे, ये गुरुवर है हमारे  2
तपसी बहुत बड़े ये, पिछी कमंडल वाले
आयेगा रे मजा रे मजा
भक्ति में रमने का
जे हम तुम भक्ति से, कहेंगे गुरुवर से
आयेंगे मिलने वो जरूर
अरे ये वादा है,गुरू का
2
राग द्वेष नहीं करते, अहिंसा व्रत को पाले 2
मूल अठाईस गुण का, ये पालन करने वाले
आयेगा रे मजा रे मजा
भक्ति में रमने का
जे हम तुम भक्ति से, कहेंगे गुरुवर से
आयेंगे मिलने वो जरूर
अरे ये वादा है,गुरू का
3
पैदल विचरण करते, सर्दी गर्मी नहीं जाने 2
अंजुली में लेकर के,वो एक समय ही खाये
आयेगा रे मजा रे मजा
भक्ति में रमने का
जे हम तुम भक्ति से, कहेंगे गुरुवर से
आयेंगे मिलने वो जरूर
अरे ये वादा है,गुरू का

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता; 12.9.2021  4.45 pm
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Saturday, September 11, 2021

73 तर्ज किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी हैकहाँ हो तुम के ये दिल बेक़रार आज भी है (एतबार)

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तर्ज किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है कहाँ हो तुम के ये दिल बेक़रार आज भी है (एतबार)

तेरी दया का प्रभू,मोहताज आज भी हूं 2
कहां हो, मेरे प्रभू, मैं उदास आज भी हूं ossss
तेरी दया का प्रभू,मोह ताज आज भी हूं 
1
किए हैं पाप बहुत, मैंने, जन्मों जन्मों तक
क्षमा की चाह में,मैं बेकरार आज भी हूं
तेरी दया का प्रभू,मोहताज आज भी हूं
2
तू है त्रिलोकपति, देवों ,के,तुम देव प्रभू 2
आया हूं द्वार तेरे,मैं भिखारी आज भी हूं ossss
तेरी दया का प्रभू,मोहताज आज भी हूं
3
दुखो से मुक्ति ,के दश मार्ग ,बताए तुमने 2
भटक गया था, कि भटका हुआ, मैं आज भी हूं ossss
तेरी दया का प्रभू,मोहताज आज भी हूं
कहां हो, मेरे प्रभू, मैं उदास आज भी हूं

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता;11.9.2021, 6pm
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Friday, September 10, 2021

72 तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे (शेरशाह)

72 
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तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे (शेरशाह)

तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम, तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
1
चारों गतियों में फिर फिर के, आए तोरे द्वारे
करम घुमाएं, भव सागर में, दिखते नहीं किनारे
बन जा तू मांझी,मेरी नांव का
छ्ड के न जाना मेनु, बीच धार में
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे, 2
तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम,तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
10.9.2021,: 4pm
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Tuesday, September 7, 2021

71 तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,(अभिलाषा )

71 
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तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,( अभिलाषा )
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
1
क्रोध से, मान से,लोभ से, धोखे से 2
सुख कभी, ना  मिले, दुख हमेशा बढ़े
मंत्र ये, जीने का, जैनों में पाओगे
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
2
हिंसा की, आग में, जलता संसार है 2
सत्ता का,पैसे का,प्यासा संसार है
वीर की ,बातों को, भूला संसार है
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
3
दश धरम ,जैनों की ,खास पहचान है 2
भोगों से ,हो परे,तप का सोपान है
जैनों से, विश्व को ,शांति की आस है
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
8 sept 2021 ,12.30 AM
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Monday, September 6, 2021

70 तर्ज का करू सजनी आए ना बालम (स्वामी)

70
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 तर्ज का करू सजनी आए ना बालम (स्वामी)

का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
कौन विधी मैं करूं , वश में ये इंद्रियां
जागे ना आतम
1
जब भी पाऊं दर्शन तेरा,भक्ति मन में जागे 2
कर कर वैयावृति तेरी, संयम मन में जागे
रम गया तेरी ,भक्ती में प्रभू ,मन डूबा जाए  मन डूबा जाए
भवsसागर में गुरू, तू ही है खिवैया
जागे ना आतम
2
लख चौरासी फिरते फिरते,तेरी चौखट पायी 2
तपसी तेरा संयम देखा,तप करने की ठानी
रम गया तेरी ,भक्ती में प्रभू ,मन डूबा जाए  मन डूबा जाए
भवsसागर में गुरू, तू ही है खिवैया
जागे ना आतम

का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
कौन विधी मैं करूं , वश में ये इंद्रियां
जागे ना आतम

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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6 sept 2021
9pm







Saturday, August 14, 2021

69 तर्ज-जब जब बहार आयी और फूल मुस्कराये मुझे तुम याद आये (तकदीर)

69 
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तर्ज-जब जब बहार आयी और फूल मुस्कराये मुझे तुम याद आये (तकदीर)

जब जब गुरु जनों के, चरणों में मन लगाया
तप के भाव जगे २
जब जब गुरु जनों ने, उपदेश है सुनाया
आतम ज्योत जगे २
तप की बहुत है महिमा,दुख सुख में बदल जाए २
भव भव के बंधनों की कड़ियां भी टूट जाए
ओ ओ ओ ओ
आओ करें तपस्या, नवकार मंत्र जप के
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 
तप तप के काया अपनी, कंचन समान करले २
अणुव्रत की पालना कर, मन की भी शुद्धि करले
ओ ओ ओ ओ
नवकार मंत्र जप कर, कर्मों को भी गलाए
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 
तपसी तुम्हारी महिमा, दुनियां भी सर झुकाए २
दुनियां क्या देवता भी, आशीर्वचन सुनाए
ओ ओ ओ ओ
देवो के मन में संयम, इच्छा भी जाग जाए
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 

जब जब गुरु जनों के, चरणों में मन लगाया
तप के भाव जगे २
जब जब गुरु जनों ने, उपदेश है सुनाया
आतम ज्योत जगे २

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 14-8-2021- 11.50 pm
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Saturday, August 29, 2020

63 तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)

63

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 तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)

प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-२
निराशा के सागर ,में, आशा वही है
प्रभु साथ है तो
कुछ भी नहीं है तो कोई ग़म नहीं है
जहां पर प्रभु ,सब कुछ ,तो वहीं है
प्रभु साथ है तो

कैसी बीमारी ये महामारी-२
समझा नहीं कोई जग पे है भारी
महावीर तेरी कमी खल रही है
मानव-ता खत-रे में पड़ी है
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

अणुव्रत, धारो,जो,सुख चाहो-२
जियो और जीने दो मंत्र सुनाओ
अहिंसा परम है ,धरम, इस जग में
वीर प्रभु का, ये मार्ग बताओ
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

मानव जब, जब ,बनता है दानव-२
करता है शोषण, पर्या-वरण का
प्रकृति करेगी, स्वयं ,अपनी रक्षा
महामारियों,को  तो सहना पड़ेगा
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ताः 15.4.2020, 4pmwww.rajubagra.blogspot.com 

Wednesday, August 12, 2020

68 तर्ज- जोत से जोत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो (संत ज्ञानेश्वर)

68 

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तर्ज- जोत से जोत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो (संत ज्ञानेश्वर)

जिनवाणी सुनते सुनाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
क्षमा ही जैन धर्म का है सार
हिंसा को जड़ से मिटाते चलो
1
अनादि काल से मां जिनवाणी,
सबको राह दिखाती
सुख में दुःख में साथ निभाती
भव से पार कराती
जिनवाणी पूजन जो करता सदा-2
उनको गले से लगाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
2
अरिहंतो के मुख से निकली
तीनों लोक में फैली
काल अनंत बीत गए जग में
माता कभी ना ठहरी
जिन उपदेश जो सुनता सदा
उनको गले से लगाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
3
पर्युषण में दश धर्मो को
जो भी धारण करता
सोलह कारण भावना भा कर
तीर्थंकर सम बनता
तप की राह जो चलता सदा-2
तपसी को ऐसे नमाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 23.8.2020,4.30pm
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Tuesday, June 16, 2020

66 हमें और जीने की चाहत न होती (अगर तुम न होते)(राग-असावरी)

66 

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 तर्ज़- हमें और जीने की चाहत न होती  (अगर तुम न होते)(राग-असावरी)

मुनी वर्धमान सागर, आsये तोरे द्वारेss
शरण मिल जाए तेरी, यही आश धारेss
1
तुम्हीं सच्चे गुरु और, पंच परमेष्ठिss
तुम्हीं सच्चे साधक, तपस्वी हो श्रेष्ठिss
गुरुवर तुम्हारेss,चरणों की धूलिss
लगालू जो माथे पे ,टले कर्म सूलीss

मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारेss---
2
दर्शन ज्ञान की, सम्यक मूर्तिss
सच्चे  चरिsत्र की, जीवन्त ज्योतिss
शान्तिसागरss ,_आचार्य के जैसेss
हे गुरु तुम सम ,पुण्य से मिलतेss

मुनी वर्धमान सागर, आये तोरे द्वारेss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 19.6.2020
12.30 AM

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Sunday, June 7, 2020

65 थोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी(मैने दिल तुझको दिया)

65

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तर्ज़-थोङा सा प्यार हुआ है थोङा है बाकी (मैने दिल तुझको दिया)

हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो

तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो

गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
1

कमल सी कोमल काया,मनोरम छवी निराली
सनावद गांव से निकले, हो के गुरुवर वैरागी

दिशा जीवन की बदली, ब्रह्मचर्य को धारा 
मनोरमा  कमल का लाला,बना जग का सितारा
धन्य हुआ विश्व सारा,धन्य जैनत्व सारा
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
2
दिगम्बर मुनि चर्या में ,शिथिलता कभी नहीं की
संघ को एक सूत्र में ,पिरोकर ज्ञान वृद्धि की
सरलता विनयशीलता, गुणों की खान हो गुरुवर
शास्त्र आगम के ज्ञानी, जुबां पर मां जिनवाणी
शान्तिसागर आचार्य ,के परम भक्त हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो

हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 9.6.2020, 5 pm

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Wednesday, April 15, 2020

64 तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)

64 

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तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)

गुरु हे विराग सागर,छवि मनोहारी-2
दुनियां झुके, तेरी महिsमा निराली
गुरु हे विराग सागर-
ज्ञान सुधा बरसाती, छवि है दुलारी
जिनवाणी मुख से,तेरे लगे अति प्यारी
गुरु हे विराग सागर-२
1
कपूर का लल्ला,श्यामा का तारा-2
चमका पथरिया नगर का सितारा
धन्य हुआ जन, गण मन सारा
श्री गुरु ने वैsराग्य को धारा
गुरु हे विराग सागर-
2
पंचम काल की,कठिन तपस्या
करते है शिष्यों की कठिन परीक्षा
आगम सुगम बनाते जाते
भाषा सरल करत समझाते
गुरु हे विराग सागर-
3
सोलह भावना दिल से है भायी
दश धर्मो में ही देह तपायी
ज्ञान का लक्ष्य चरिsत्र बनाया
मोक्ष ही जाने का निश्चय बनाया
गुरु हे विराग सागर-

Note:  सभी अन्तरो की राग एक ही है

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता:29.4.20, 6.00pm

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Tuesday, March 31, 2020

67 मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता (आप आये बहार आयी)

67 

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तर्ज़-मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता (आप आये बहार आयी)


मिलता,हमेशा,सुख,अहिंसा,के भाव से
दे कर गए संदेश,महा-वीर,ज्ञान से
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
1
सनावद गांव धन्य हुआ,
तेरे आने से जग झूमा
हुआ हर्षित कमल का मुख,2
मनोरमा मां का, मन झूमा
तुम्हीं वर्तमान,के वर्द्धमान हो, तेरी, करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
2
आचार्य शान्ति सागर की
परम्परा को निभाते हो
अठाईस मूल गुण मुनि के 2
पालन ,करते कराते हो
प्रभू भक्ति में ,रत हरदम,गुरु तेरी करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा


रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 19.6.20 10.30 pm

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Sunday, September 8, 2019

62 तर्ज-चले जैसे हवाएं सनन सनन, उड़े जैसे परिंदे गगन गगन (मैं हूं ना)

62 तर्ज-चले जैसे हवाएं सनन सनन, उड़े जैसे परिंदे गगन गगन (मैं हूं ना)
ओssssओssssओsssss-2
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
कर्मो का होगा,दहन दहन
सुख मिल जायेगा, परम परम
हे हे-हे हे, हे हे हो हो sssss
हे हे,हो हो ,आ हाsssssss
मन की रोको हर मनमानी, सारी नादानी
मिल जाएगी मुक्ति रानी,जो है ठानी
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
1
जिनवाणी हमको समझाये,
गुरुवाणी भी ये समझाये
संयम तप है बड़ा
हम भी संयम धारण करके
तर जाएंगे भव सागर से
संयमी बनेंगे सदा
सच्चे ,जैनी बनके,हम, करेंगे सबका भला
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम---------------
2
उत्तम क्षमा जंहा मन होई
अंदर बाहर शत्रु न कोई
करते है पूजा सदा
क्षमा भावना धारण करके
कोमलता के फूल खिलाके
क्रोध को करके विदा
सच्चे ,जैनी बनके,हम, करेंगे सबका भला
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
कर्मो का होगा,दहन दहन
सुख मिल जायेगा, परम परम
हे हे-हे हे, हे हे हो हो sssss
हे हे,हो हो ,आ हाsssssss
मन की रोको हर मनमानी, सारी नादानी
मिल जाएगी मुक्ति रानी,जो है ठानी
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 8.9.2019  11.45 Pm
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Friday, September 6, 2019

60 तर्ज - हरियाला बन्ना ओ नादान बन्ना ओ (मारवाड़ी)

60 
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तर्ज - हरियाला बन्ना ओ नादान बन्ना ओ (मारवाड़ी)

थार चरणा माहीं ,म्हें टेक दियो हां माथो-2
रुपया पैसा,यो महल मालिया,
यो जग सारो,प्रभु ना भा व-2
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
1
शिखरजी गयो रेे, हे पारस प्रभु रे -2
म वंदना भी कर आयो,
प्रभु अब कष्ट मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
2
चांदनपुर गयो रेे, महावीर प्रभु जी -2
थार लाडू भी चढ़ाया,
अब तो दुखड़ा मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता:-7.9.2019,1.15 AM
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Monday, September 2, 2019

59 तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-रुस्तम

59
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तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-(रुस्तम)
पर्युषण आया है,
प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
1
मैंने छोड़े है पापों के रास्ते
अब आया हूं तेरे पास रे
तेरी भक्ति में डूबा जाऊं में
पहचान ले
मैंने क्रोध कषाय को त्याग दिया
मैंने क्षमा धरम अपना लिया
स्वारथ के इस संसार को
है जान लिया
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
2
कभी किसी भी, गति में जाऊं मैं
तेरे ध्यान से भटक ना जाऊं मैं
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
तेरा मेरा मिलना दस्तूर है
तेरे होने से मुझमें नूर है
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता -2 . 9 . 2019 ,8 PM  
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Sunday, December 30, 2018

58 तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)(राग-मालगुंजी)

58 
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तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)(राग-मालगुंजी)
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
1
इतनी सी, छोटी सी, होती है ,ये जिंदगानी-2
रुक जाती है,थम जाती है,जब ये सांसे सारी
स्वार्थी दुनियां में
तू एकला आता है
और एकला जाता है
जब कुछ नहीं मिलता है, फिर क्यों तू रोता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है
2
गुरुओं का संगम जब तब मिल जाता है हमको
उनके उपदेशों से पथ मिल जाता है हमको
जिनवाणी सुनके
इक ज्ञान जो मिलता है
इक आनन्द मिलता है
जब दोनों मिलते है,तब मोक्ष भी मिलता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 4.9.2019 11.30.P.M
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Friday, September 21, 2018

56 तर्ज- मेरी भीगी भीगी सी पलकों में रह गए,(अनामिका)(राग-कीरवानी)

56 
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तर्ज- मेरी भीगी भीगी सी पलकों में रह गए,(अनामिका)(राग-कीरवानी)
हे पार्श्व प्रभु, तेरे चरणों में
हम   रोज   नमन   करते 
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
1
तुम्हें बिन जाने,बिन पहचाने,जन्म अनेकों गंवाये  - 2
आज हमें जब  ज्ञान मिला तो,तेरे चरणों में आये
चारों गतियों में दुःख जो उठाये
तड़प के आहे भर भर के
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
2
तू ही इक सहारा ,नश्वर जग में,भव से जो पार कराये  - 2
जनम जनम के पाप करम से,हम को भी मुक्ति दिलाये
ऐसी ही आशा, ले के हम आये
तेरी दया पाने को
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
-22.9.2018/12.30 am  
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Wednesday, September 19, 2018

55 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घायल (लोक गीत हरियाणा)

55 
 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घायल (लोक गीत हरियाणा)
थार चरणा म आग्या वीरा )
हर ल म्हारा मन की पीड़ा )   2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------
1
पर पीड़ा और पर निन्दा, म्हां न घणी सुहावण लागी)
माया चारी  कर  कर         म्हारी छाती दूखण लागी)2
जद खुद पर बीतण लागी
मुखड़ा पे आई उदासी
म्हे अकड़ म गेला हुग्या
थान भूल के मैला हुग्या
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

2
ज्यूँ  ज्यूँ  उमर  बीते ,म्हारी धड़कन बढबा लागी
खोटा करम करेड़ा        उणरी याद आवण लागी
जद पड्या करम  का सोटा
म्हे  टेढ़ा,  बणग्या  सीधा
म्हारो जियड़ो  अब दुःख पाव
जियड़ा न कुण समझाव
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि" ,मदुरै
19.9.2018--11. 30 pm
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Sunday, September 16, 2018

54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग](राग-देस,काफी,यमन)

54 
 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग](राग-देस,काफी,यमन)
गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है

गुरु कहे हर आतम से -  तेरा नहीं कोय 
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा  होवे कौन   
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे  फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

सुनो किसी गुरुवर  ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे    दुनियां लेकिन     मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से ,  दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है

गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
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Monday, July 31, 2017

61 तर्ज -वादा न तोड़,तू वादा न तोड़ [फ़िल्म -दिल तुझ को दिया ]

61 
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तर्ज -वादा न तोड़,तू वादा न तोड़ [फ़िल्म -दिल तुझ को दिया ]

तपस्या करो ,तपस्वी बनो -२
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
1
पंचेन्द्रियों के जाल में फंसकर ,जाने कितने जनम गंवाये
संयम धारण करने से तेरे ,      कर्मो के बंधन टूटते जाये
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो-2
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
2
चारों गति में संयम पालन ,मानव ही कर सकता है धारण
त्यागी तपस्वी ये बतलाये ,  पंचेन्द्रियों से मुक्ति दिलाये
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
 1. 8 . 2017
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Tuesday, September 13, 2016

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]राग "मधुमाद सरंग"

53 
तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]राग "मधुमाद सरंग"
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चारों गतियों में
घूम - आया
सुख कहीं ssना
मैंने पाया
जब शरण में तेरी आया
मनवा   मेरा     हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2

थारी शरण में 
जो  आवे
दुःख  दूर  सब
 हो जावे
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
हर बात भी, तेरी मानी
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति  के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;13 -09 -2016
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Wednesday, September 7, 2016

52 तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता (प्यार ही प्यार)(राग-कीरवानी)

52 
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तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता (प्यार ही प्यार)(राग-कीरवानी)

हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं -2 
हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।
तेरा ध्यान जब लगाया ,मुझे अपना ध्यान आया -2 
तू कहाँ है,  मैं   कहाँ हूँ , यह फासला,   क्यूँ आया 
    तेरे    पास है, पहुँचना , मैंने अपना ध्येय  बनाया। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं----
मन और इन्द्रियों के ,   हो   विजेता तुम जिनेन्द्र -2 
पथ ,जिस पे चल के जग में ,कहलाते हो जिनेन्द्र 
   बढ़ जाऊँ उसी ही पथ पर ,तुम्हें पाऊँ मैं  जिनेन्द्र। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं------
        हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।


रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; 8. 9 . 2016 
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Tuesday, September 22, 2015

51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]राग-भूपाली

51
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तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]
राग-भूपाली
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------

 जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
 तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
 रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
 पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
 धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -२३.०९.२०१५
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Thursday, September 17, 2015

50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी

50 
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तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी 

चालो र चालो  मंदिरा म आज -आज रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न  देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय-  आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता 18 . 9 . 2015
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49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)

49 
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तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)
जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल  , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा - पापो से करले तौबा

पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो  को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
                            हा तो -जैसा जो बोयेगा

दश धर्मों के -  दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब  तपाले तू -२
याद रखना फिर  -२ मुक्ति पाओगे
                             हा  तो -जैसा जो बोयेगा

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm
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Sunday, September 7, 2014

45 तर्ज-मैं रंग शर्बतों का -तू मीठे घाट का पानी[फटा पोस्टर निकला हीरो ](राग- पीलू)

45

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तर्ज -मैं रंग शरबतों का -तू मीठे घाट का पानी [फटा पोस्टर निकला हीरो ](राग- पीलू)


शेर 
मंदिर हू मैं -मूरत है तू ,दोनों मिले भक्ति जगे 
रोज यही     मांगू दुआ ,तेरी मेरी -बात बने ,-बात बने 

स्थायी 
मैं दीप  आ रती का -तू ज्ञान की जोत सुहानी -२ 
तू मुझमें जले प्रभु तो मेरी बिगड़ी बात बन जानी - दीप हूँ आ रती का -----------

१ 
तेरे चरणों मे -आये है हम ,अपने पापों को गलाने 
आठों दरब से -पूजा करने ,आठो कर्मों को जलाने 
तू चाँद है पूनम का -मैं रात अमावस वाली -२ 
तेरी चमक मिले मुझ में, मेरी बिगड़ी बात बनजानी -दीप हूँ आ रती का -----------

२ 
सोलह भावों  को,धारण करके -आतम को मैंने सजाया  
दशों धर्मों को अपनाकरके -जीवन को धन्य बनाया 
तुम मेरी मंजिल हो -मैं एक भटकता राही -२ 
तुम मुझे मिलो प्रभु तो ,मेरी बिगड़ी बात बनजानी -दीप हूँ आ रती का -----------

मैं दीप  आरती का -तू ज्ञान की जोत सुहानी -२ 
तू मुझमें जले प्रभु तो मेरी बिगड़ी बात बन जानी - दीप हूँ आ रती का -----------

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ;-7. 9. 2014 
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Monday, September 1, 2014

48 तर्ज -पूरा लन्दन ठुमकता [क्वीन] (पंजाबी लोकगीत fusion)

48 

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तर्ज -पूरा लन्दन ठुमकता [क्वीन](पंजाबी लोकगीत fusion)

1  
हम देर से सोते है 
हम देर से उठते है 
और सबसे कहते है -टाइम नहीं है 
हम whatsup करते है 
हम फेसबुक पढ़ते है 
पर मंदिर जाने को - टाइम नहीं है 
मॉल में जाते होटल हम जाते ,पिक्चर हम जाते यार 
बीबी के संग संग शॉपिंग भी करते 
                फिर भी बीबी हो जाती नाराज 
          ये कैसी तक़दीर है -मेरा मन ना समझता -3 
पर्युषण आते है 
हम मंदिर जाते है 
और भजन गाते है -जय हो प्रभु की 
सब लोग आते है 
मंदिर भर जाते है 
पर प्रभु कहते है -टाइम नहीं है 
इत्ते जने तुम एक साथ आये ,किस किस को टाइम दू  यार 
जब मैं खाली बैठा था तुम नहीं आये 
                अब तो भर गया मेरा भी दरबार 
            ये कैसी तक़दीर है -मेरा मन ना समझता -3 
जय शांतिनाथ की 
जय पारसनाथ की 
जय महावीर की -जय हो प्रभु की 
जय हो जिनवाणी की 
जय जैन धर्म की 
जय जय हो जैनो की -जय हो प्रभु की 
दस धरम की पूजा करन को ,आये है तोरे दरबार 
कृपा करन के दर्शन दिखा दो 
               सब झूम के नाचे बारम्बार 
               हो तेरे दरबार में -पूरा मदुरई ठुमकता -3 

               मंदिर में तेरे -मदुरई ठुमकता 
               पूजन करते -मदुरई ठुमकता 
               आरती करते -मदुरई ठुमकता 
               ओ ssssss 
               ठुमकता ठुमकता मदुरई ठुमकता      -ठुमकता ठुमकता 
               हो तेरे दरबार में -पूरा मदुरई ठुमकता -2 

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ;1.9.2014  
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Saturday, August 30, 2014

22 तर्ज-हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में (जांबाज)(राग-मालगुंजी & मालकौंस)

22

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तर्ज -हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में [जांबाज ](राग-मालगुंजी & मालकौंस)

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
१ 
सब क़ुछ था तेरे पास प्रभु ,फिर भी तुमने सब त्याग दिया -2 
मोह माया के रिश्ते झूठे , 
नश्वर संसार को त्याग दिया -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
२ 
कर्मों के आप ही नाशक हो ,और मोक्ष मार्ग के नेता हो -2 
त्रिलोक को ज्ञान से जान लिया 
इक तुम ही केवलज्ञानी हो -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ;31 . 8 . 2014 
12. 45 AM 
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Thursday, August 28, 2014

42 तर्ज-फूलों का तारों का सबका कहना है [हरे रामा हरे कृष्णा ] (राग-बिलावल)

42

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तर्ज -फूलों का तारों का सबका कहना है [हरे रामा हरे कृष्णा ] (राग-बिलावल)

पर्युषण पर्व का यही कहना है 
निज आतम शुद्धि में सबको रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 
१ 
जीव अकेला करता है ,चारों गति में वास 
सुख दुःख भोगा करता,बुन के कर्मो के जाल 
आ मेरे संग आ ,पूजन करना है 
निज आतम शुद्धि से ध्यान में रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 
२ 
सम्यक दर्शन ज्ञान चरित की ,महिमा है अपार 
निज पर शासन करने से ,होता है उद्धार 
आ मेरे संग आ ,पूजन करना है 
निज आतम शुद्धि से ध्यान में रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-२९ अगस्त २०१४ 
१.१५ AM 
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Tuesday, September 10, 2013

47 तर्ज -सुन रहा है ना तू रो रहा हूँ मै [आशिकी 2 ]


47 
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तर्ज -सुन रहा है ना तू रो रहा हूँ मै [आशिकी 2 ]
तेरे  चरणों में दौड़े  आये
वीरा ssss  वीरा ssssss  वीरा sssss

मुझको  ये  ज्ञान  दे
आतम  का भान  दे
मेरी काया से मुझको   थोड़ा  तॊ  बैराग दे

क्षमा  का  भाव  दे
दया का   भाव   दे
मुझ पर हो जाये कृपा थोड़ा आशीर्वाद  दे

तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै


मोह का अँधियारा , खुद को भुला दिया
पर को निज समझा , पापों से  घिर गया
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै


धन मैं ने  कमाया ,जीवों को मार के
बिलकुल  निर्दयी हूँ , लालच के भाव  से
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; 10. 09. 2013
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46 तर्ज -क्योंकि तुम ही हो [आशिकी 2 ](आसावरी थाट)


46 
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तर्ज -क्योंकि तुम ही हो [आशिकी 2 ](राग-आसावरी थाट)

हम  तेरे  चरणों  में आये है जिनवर
अपना शीश झुकाने को
तुझ को छू  कर मिल जाये मुक्ति

है विश्वास   मेरे मन को

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो

तेरा मेरा रिश्ता पुराना
भक्ति कभी टूटी ही नहीं
मै कभी तुमसे दूर हुआ पर , तुमने  मुंह मोड़ा ही नहीं
हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो


मेरे लिए ,ही जिया मै , हूँ स्वार्थी
कर दिया है ,भोगो में जिन्दगी को  पूरा -सारी अच्छाइयों को  छोड़ा

हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; १०. ०९. २०१३
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Sunday, September 8, 2013

43 तर्ज -जीने लगा हूँ पहले से ज्यादा [रमैया वस्तावैया ](राग-यमन)

43 
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तर्ज -जीने लगा हूँ पहले से ज्यादा [रमैया वस्तावैया ]
(राग-यमन)
करने लगा हूँ  भक्ति प्रभु की
पहले से ज्यादा अब मै करने लगा हूँ
ओ ssssss ओ sssssss ओ ssssss

मै तेरे ध्यान में डूबा रहूँ
 खुद की मै  पहचान करता रहूँ
जीना मुझे तू सिखाता रहे
कर्मो का मैल हटाता रहूँ
करने लगा हूँ  भक्ति प्रभू  की ------------

जन्म जन्म के मेरे संस्कार कैसे
उलझा हुआ हूं झूठी माया में ऐसे
झूठी माया में  मै   उलझा ,जनम  जनम से कैसे
तेरी शरण में आया भगवन मुझको बचाले भव से

तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ------ओ sssss

उत्तम क्षमा के फूल खिलने लगे है
हिंसा के कांटे मन से खिरने लगे है
फूल क्षमा के अब तो मेरे, मन में खिलने लगे है
तेरे ध्यान से क्रोध के कांटे ,मन से खिरने लगे है
तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ----ओ ssssss

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ;०८. ०९. २०१३
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44 तर्ज - ओह रे ताल मिले नदी के जल में [अनोखी रात ] (राग पीलू)

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 तर्ज - ओह रे ताल मिले नदी के जल में [अनोखी रात ]  (राग पीलू)

ओह रे जीव फिरे भव  सागर में 

चारों गती  नापे रे 

सुखी दुखी कर्मो से होवे - नहीं जाने रे 

१ 

रिश्ते नातो  में उलझा - सुखी दुखी होता है -२ 

काया धन दौलत पाके -अभिमानी होता है -२ 

ओ मितवा रे -S S S S S S S 

काया धन दौलत पाके -अभिमानी होता है -

कोई ना जाये संग में नहीं माने रे -ओह रे -------------

२ 

जन्मो जन्मो की कषायो ,में लिपटी आत्मा -है लिपटी आत्मा 

क्षमा के नीर से धोले -कहते परमात्मा -२ 

ओ मितवा रे -S S S S S S S 

क्षमा के नीर से धोले -कहते परमात्मा -

क्या होगा कौन से पल में कोई जाने ना -

ओह रे जीव फिरे भव सागर में ---------------

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै

ता ;०८. ०९.२०१३

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Sunday, September 23, 2012

21 तर्ज-पीलूं तेरे नीले नीले नैनो से शबनम [once upon a time in mumbai ]

21 
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तर्ज-पीलूं तेरे नीले नीले नैनो से शबनम [once upon a time in mumbai ]
पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन 
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
 तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है

तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s  सुनले जरा s s s s
1
स्वर्गो में ,कभी मैं नरको में ,हर जनम फिरता भटकता रहा मारा मारा हूँ मैं
तेरा संग, मिला है इस जनम , अब नहीं छोडूंगा बन के रहूँगा मैं तेरा सदा
पीलूं गंधोदक तेरे चरणों का भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन 
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-

तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
2
दश धरम, मैं पालूंगा सदा ,हर समय  ध्यान- करूँगा मैं तेरा, रात दिन
तूं ही सिर्फ ,सुखों की खान हो ,और, कहीं सुख भी नहीं है अधूरे, इस संसार में
पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन 
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s  सुनले जरा s s s s
 रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012
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41 तर्ज-मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली [राजा और रंक ](अलैया बिलावल)

41 
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तर्ज-मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली [राजा और रंक ](अलैया बिलावल)
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
मेरा कोई नहीं है अपना
फिर भी मानू  सबको अपना
दुखी होती रहती, जनम मरण  के फेर में
1
स्वर्गो में मैं जाय  विराजी ,इर्ष्या  से जल जल  गयी 2
नरको में जब पहुँची तो ,बदले की, आग में जल गयी
रे सुख न मिला मुझे इक पल को s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
2
मनुज जनम पाया है मैंने ,मुश्किल से अब जाके 2
सुख की छाँव मिली है मुझको, तेरा दर्शन पाके
ओ प्रभुजी मेरी अब सुध ले लो s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -23.9.2012
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Wednesday, September 19, 2012

20 तर्ज-कहीं दूर जब दिन ढल जाये ,सांझ की दुल्हन बदन चुराए [आनंद ](राग-पहाङी)

20
तर्ज़ कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाये (आनंद)
(राग-पहाङी)
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अशुभ करम जब उदय में आयेss 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
प्रभूss शरण मेंs आकर के हमs 
प्रायश्चित के गर,आँसू बहाsए ,दुःख कट जायेs 
1
कभी जब गुरुओं से, होती हैं बातेँ--
गुरु मुस्काते हुये, यूं समझाते --]2
करोगे अच्छा, पाओगे अच्छा 
समझ सको तो समझो, पीर पराईs-पीर पराईs 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
2
खाए पीये, पहने ओढ़े, मस्त है मानव ]--
कैसे बनी वो वस्तु , ये नहीं जानत ]--2
जरा सा ठहरो,सोचो समझो 
क्या उसमें पशुओं की, पीर मिलाई-पीर मिलाई 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये
प्रभूss शरण मेंs आकर के हमs 
प्रायश्चित के गर,आँसू बहाsए ,दुःख कट जायेs  

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
19.9.2012 (00.15am )
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Sunday, September 16, 2012

40 तर्ज ;-ओ फिरकी वाली ,तू कल फिर आना [राजा और रंक ](राग-झिंझोटी)

40 
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तर्ज ;-ओ फिरकी वाली ,तू कल फिर आना [राजा और रंक ](राग-झिंझोटी)

ओ पिच्छी वाले ,
हम शीश झुकाए ,तेरे गुण गाये ,मन- वचन और काय से
कि अब जाना है हमें भव पार से
1
तेरी तपस्या की ,क्रिया- को देख देख कर -2
सबको अचरज होता है
कैसे कर लिया ,मन इन्द्रियों को वश में
सबको विस्मय होता है
सर्दी गर्मी -2,हो या बारिश ,कोई फरक नहीं पड़ता
तूने छोड़ा- है घर-बार  सारा ,एशो आराम सारा
और निकला है शान से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
2
तेरे उपदेश की, ये बाते  सुन सुन के -2
मन बैराsगी होता है
मन में छुपे हुए ,जो अव-गुण सारे
धुल के निर्मल होता है
 एक बार तू -2 हाथ फिरा दे ,दया से मेरे सर पे
मिट जाये -विकार मेरे सारे ,हो जाये वारे न्यारे
तेरे उपकार से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ;-16.9.2012
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Monday, September 3, 2012

19 तर्ज-सोना की घड़ाद्दयों- म्हार-पायलड़ी -[मारवाड़ी]

19 
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तर्ज-सोना की घड़ाद्दयों- म्हार-पायलड़ी -[मारवाड़ी]  
 
सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

डगमग डोळ मंझदारss   में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव  पार -प्रभूजी ,केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया
1
बचपन खिलौना माही खेल बितायो -2
रंगरेल्या म सारो जीवन बितायो -
अब आयो जो बुढापो-आयी याद-प्रभुजी केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

2
केवो तो प्रभूजी सोलह - भावना भावू -2
बोलो तो हमेशा चरणा म -रह  जाऊ
बण जाऊ थार चरणा को दास -प्रभूजी,  केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ  -थारी -मूरतिया-
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

डगमग डोळ मंझदारss   में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव  पार -प्रभूजी ,केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;4.9.2012
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Tuesday, August 14, 2012

18 तर्ज-एजी हा सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा-[मारवाड़ी]

18
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तर्ज-एजी हा सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा-[मारवाड़ी]  
एजी हा सा म्हारो  मनडो  प्रभु  भक्ति म लाग्यो सा -2
बाई सा रा बीरा तीरथ -ले  चालो सा -2
एजी हा सा म्हारो मनडो पूजा विधान चाव सा -2
बाई सा रा  बीरा मन्दिरा म चालो  सा -2
एजी हासा म्हारो मनडो जिनवाणी सुणबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा उपदेशा म चालो सा -2
एजी हा सा म्हारो  मनडो आहार देबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा मुनि संघा म चालो सा -2

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-15-08-2012
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Saturday, December 24, 2011

38 तर्ज why this kolaveri kolaveri kolaveri d-super bhajan-english-


38 तर्ज why this kolaveri kolaveri kolaveri d-super bhajan-english-

why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d- [3 time]  [thari mhari means-its yours its mine]
why this thari mhari,------------------------------ d
sky lu sun moon,  hot cool bright
hot cool girl boys, always   fight
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2

everybuddy near dear, nobuddy but yours
everytime keep in mind,death will be sure 
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2

pa pa p pa-  pa pa p pa- pa pa p pa- pap pa-2-------------
ok mama 
now tune changes

khali hath [only english]
empty hand comes in world, empty hand goes
everybuddy  know  it  well,  no buddy believe 

money money lovely money,everybuddy want u
black  money  white  money,   any colour love u

life like water drops, burst any how
mom dad son wife,nobuddy save u

why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
dt-24.12.2011
11.00 pm
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