Saturday, September 11, 2021

73 तर्ज किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी हैकहाँ हो तुम के ये दिल बेक़रार आज भी है (एतबार)

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तर्ज किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है कहाँ हो तुम के ये दिल बेक़रार आज भी है (एतबार)

तेरी दया का प्रभू,मोहताज आज भी हूं 2
कहां हो, मेरे प्रभू, मैं उदास आज भी हूं ossss
तेरी दया का प्रभू,मोह ताज आज भी हूं 
1
किए हैं पाप बहुत, मैंने, जन्मों जन्मों तक
क्षमा की चाह में,मैं बेकरार आज भी हूं
तेरी दया का प्रभू,मोहताज आज भी हूं
2
तू है त्रिलोकपति, देवों ,के,तुम देव प्रभू 2
आया हूं द्वार तेरे,मैं भिखारी आज भी हूं ossss
तेरी दया का प्रभू,मोहताज आज भी हूं
3
दुखो से मुक्ति ,के दश मार्ग ,बताए तुमने 2
भटक गया था, कि भटका हुआ, मैं आज भी हूं ossss
तेरी दया का प्रभू,मोहताज आज भी हूं
कहां हो, मेरे प्रभू, मैं उदास आज भी हूं

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता;11.9.2021, 6pm
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Friday, September 10, 2021

72 तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे (शेरशाह)

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तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे (शेरशाह)

तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम, तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
1
चारों गतियों में फिर फिर के, आए तोरे द्वारे
करम घुमाएं, भव सागर में, दिखते नहीं किनारे
बन जा तू मांझी,मेरी नांव का
छ्ड के न जाना मेनु, बीच धार में
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे, 2
तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम,तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
10.9.2021,: 4pm
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Tuesday, September 7, 2021

71 तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,(अभिलाषा )

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तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,( अभिलाषा )
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
1
क्रोध से, मान से,लोभ से, धोखे से 2
सुख कभी, ना  मिले, दुख हमेशा बढ़े
मंत्र ये, जीने का, जैनों में पाओगे
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
2
हिंसा की, आग में, जलता संसार है 2
सत्ता का,पैसे का,प्यासा संसार है
वीर की ,बातों को, भूला संसार है
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
3
दश धरम ,जैनों की ,खास पहचान है 2
भोगों से ,हो परे,तप का सोपान है
जैनों से, विश्व को ,शांति की आस है
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
8 sept 2021 ,12.30 AM
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Monday, September 6, 2021

70 तर्ज का करू सजनी आए ना बालम (स्वामी)

70
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 तर्ज का करू सजनी आए ना बालम (स्वामी)

का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
कौन विधी मैं करूं , वश में ये इंद्रियां
जागे ना आतम
1
जब भी पाऊं दर्शन तेरा,भक्ति मन में जागे 2
कर कर वैयावृति तेरी, संयम मन में जागे
रम गया तेरी ,भक्ती में प्रभू ,मन डूबा जाए  मन डूबा जाए
भवsसागर में गुरू, तू ही है खिवैया
जागे ना आतम
2
लख चौरासी फिरते फिरते,तेरी चौखट पायी 2
तपसी तेरा संयम देखा,तप करने की ठानी
रम गया तेरी ,भक्ती में प्रभू ,मन डूबा जाए  मन डूबा जाए
भवsसागर में गुरू, तू ही है खिवैया
जागे ना आतम

का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
कौन विधी मैं करूं , वश में ये इंद्रियां
जागे ना आतम

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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6 sept 2021
9pm