Showing posts with label 29. Show all posts
Showing posts with label 29. Show all posts

Friday, August 8, 2008

29 तर्ज;-रात और दिन दिया जले (रात और दिन)(राग-खमाज)

29
www.rajubagra.blogspot.com 
तर्ज;-रात और दिन दिया जले (रात और दिन)(राग-खमाज)
रात और दिन दिया जले
मेरे मन में फिर भी अँधियारा है
जाने कंहा हो प्रभु तुम
तू जो मिले जीवन उजियारा है ------------रात और दिन

पग पग मन मेरा ठोकर खाय
चाँद और सूरज भी राह न दिखाय
ऐसा उजाला कोई मन में समाय
जिससे तिहारा दर्शन मिल जाए ------------रात और दिन

देखूं प्रभु जब तुम्हे मन में बसाय
मेरे मन की कलि- कलि ही खिल जाए
ऐसा उजाला कोई मन में समाय
जिससे तिहारा दर्शन मिल जाए ------------रात और दिन

कब से भटक रहा प्रभु मै मगर
फिर भी क्यूँ मिली नही सुख की डगर
आज जो देखा प्रभु तुम्हे मन ध्याय
शान्ति ही शान्ति मेरे मन आय ----------रात और दिन

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;- १०.०८.१९७९
www.rajubagra.blogspot.com