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Wednesday, August 27, 2025

57 तर्ज़ हे राम हे राम जग में सांचो तेरो नाम (जगजीत सिंह)

57 
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तर्ज़ हे राम हे राम जग में सांचो तेरो नाम (जगजीत सिंह)

हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
करते हैं तेरी,जयकारsss
1
जग को अहिंसा, का, पाठ पढाया
तू ही तो है वीरों का वीर
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
2
क्षमा ही वीरों का,आभूषण है
जग को सुनायी ये बात
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
3
प्रेम ही जग में,सुख बरसाये
करो हर प्राणी से प्यार 
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
4
नश्वर है काया,नश्वर है माया
मृग मरीचिकाss समानss
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
 27.8.2025 (10.30 pm)
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Saturday, August 23, 2025

11 तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -मारवाड़ी

11 
तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -होली गीत
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1
वीर जन्म्या,तिर्थंकर, वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न भेजोs  बधाई रे ,नगरी म वीर जन्म्या

देव औ कुबेर, राजा, इन्द्र पधार्या
म्हारी नगरी म रतन,बरसाया रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा रा कपङा म्हारः ,पीला रंगवाया-
म्हाराः सुसराजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा की थालीः म्हानः ,पीली  घङवायी-२
म्हाराः सासुजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा री केसर,पीलीः ल्यायी जेठानी-२
म्हारा जेठ जी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

मदुरै नगरी म,पीलाः लाडू ,बंटवाया
म्हारा देवर जी को मन हर्षायो रे ,नगरी म वीर जन्म्या

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
28.3.2010
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Tuesday, September 7, 2021

71 तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,(अभिलाषा )

71 
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तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,( अभिलाषा )
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
1
क्रोध से, मान से,लोभ से, धोखे से 2
सुख कभी, ना  मिले, दुख हमेशा बढ़े
मंत्र ये, जीने का, जैनों में पाओगे
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
2
हिंसा की, आग में, जलता संसार है 2
सत्ता का,पैसे का,प्यासा संसार है
वीर की ,बातों को, भूला संसार है
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
3
दश धरम ,जैनों की ,खास पहचान है 2
भोगों से ,हो परे,तप का सोपान है
जैनों से, विश्व को ,शांति की आस है
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
8 sept 2021 ,12.30 AM
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