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तर्ज : लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो (वो कौन थी)www.rajubagra.blogspot.com
गुरुवर, तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐsसे रम गया
जब से जुड़ा हूँ आपसे , जीवन बदल गया
1
भोगे अनेकों भोग पर, सुख, s ना, कहीं मिला 2
समझा था जिसको सुख, उसी sसे, दुःख मुझे मिला
जागे हैं अब नसीब जो, मुझे तेsरा संग मिला
गुरुवर तुम्हारी भक्ती से, मुझे ऐsसा सुख मिला
2
इंद्रियों से सुख की चाह में, कितने किये हैं पाप 2
कैसे बताऊं आपको,दिल रोsए बार बार
स्वीकार है कर्मों की सजा, जो भी देंगे आप
गुरु की बताई राह पर, चलने को हूँ तैयार
गुरुवर तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐsसे रम गया
जब से जुड़ा हूँ आपसे ,जीवन बदल गया
गुरुवर तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐसे खो गया
जागे हैं अब नसीब जो, मुझे तेरा संग मिला
रचयिता
राजू बगड़ा, Madurai
30.10.2024 (00.45 a.m)
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