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तर्ज छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा (ममता)
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हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 2
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दुखों से मुक्ति मिलेगी मुझको
करूंगा भक्ती मैं तेरी हर पल
शरण में तेरी खड़ा हूं भगवन 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
2
किये अनेकों है पाप मैंने
नहीं है जिनकी क्षमा भी मांगी
क्षमा की भिक्षा मैं मांगता हूं 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
3
तुम अपने चरणों में रख लो मुझको
तुम्हारे चरणों की धूल हूं मैं
मैं सर झुकाए खड़ा हूं भगवन 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
रचयिता
राजू बगड़ा
मदुरै
23.8.2024 (00.30 AM)
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