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Tuesday, August 26, 2025

36 तर्ज और इस दिल में क्या रक्खा है (ईमानदार)(राग-चारूकेशी)

36
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तर्ज और इस दिल में क्या रक्खा है (ईमानदार)(राग-चारूकेशी)

और प्रभु मैंss कुछ ना चाहूँss 2
तेरा ही नामss जुबां पर चाहूँss 2
अन्तिम साँस जो, तन से निकलेss 2
तेरा ही नामsss , जपता जाऊंss
1
कभी जाने अनजाने, कितने जीवों को मारा ]
पीsड़ा पहुंचाकर उनको, बना मैं इक हत्यारा ] 2
क्षमा मांगता हूं,उन सबसे जिनको कष्ट दिया
जिनको कष्ट दियाss
और इस दिल मेंss क्याss रक्खा हैss 2
क्षमा का भाव छुपाss रक्खा है
क्षमा काs भावs छुपाss रक्खा हैss
और प्रभु मैंss कुछ ना चाहूँss 
तेरा ही नामss जुबां पर चाहूँss 
2
हुआ मैं रागी द्वेषी,बना हूं मैं अभिमानी]
सभी को दुःख पहुंचाके,करी मैने मनमानी ]2
क्षमा मांगता हूं,उन सबसे जिनको कष्ट दिया
जिनको कष्ट दियाss
और इस दिल में क्याs रक्खा हैss
क्षमा का भाव छुपाss रक्खा है
क्षमा का भाव छुपाss रक्खा है
और प्रभु मैंss कुछ ना चाहूँss 
तेरा ही नामss जुबां पर चाहूँss 

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
27.8.2025 (00.10 am)
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33 तर्ज़-आवाज देके हमें तुम बुलाओ,मोहब्बत में इतना न हमको सताओ (प्रोफेसर) (राग-मिश्रा शिवरंजनी)

33
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तर्ज़-आवाज देके हमें तुम बुलाओ,मोहब्बत में इतना न हमको सताओ (प्रोफेसर) (राग-मिश्रा शिवरंजनी)

महावीssर स्वामीss,मेरेss मन में आवोss
मुझे आssज अपने,दरश तोss दिखाsवोss
महावीssर स्वामीss
1
बिना कुछss कहे, सुनते होss सबकी अर्जी 2
अधूरीss है क्यों, मेsरे मन की, सुनोssजी
हे त्रिशलाss के नssन्दन,सुनो मन का क्रन्दन 
मुझे भीss तो अब,मुक्ती का पथss दिखाssवो
महावीssर स्वामीss,मेरेss मन में आवोss
मुझे आssज अपने,दरश तोss दिखाsवोss
महावीssर स्वामीss
2
है जन गणss जगत का,अहिंसाs को भूsला 2
है भोगोंss में चित्कार, पशुओं की पीsङा
ये अभिमाsनी माsनव, यूं स्वाsरथ में डूssबा
समझ केss भी सब कुछ, क्यूं पगsलाss गयाs है
महावीssर स्वामीss,मेरेss मन में आवोss
मुझे आssज अपने,दरश तोss दिखाsवोss
महावीssर स्वामीss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
26.8.2025  (00.30 am)
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Saturday, August 23, 2025

11 तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -मारवाड़ी

11 
तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -होली गीत
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1
वीर जन्म्या,तिर्थंकर, वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न भेजोs  बधाई रे ,नगरी म वीर जन्म्या

देव औ कुबेर, राजा, इन्द्र पधार्या
म्हारी नगरी म रतन,बरसाया रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा रा कपङा म्हारः ,पीला रंगवाया-
म्हाराः सुसराजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा की थालीः म्हानः ,पीली  घङवायी-२
म्हाराः सासुजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा री केसर,पीलीः ल्यायी जेठानी-२
म्हारा जेठ जी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

मदुरै नगरी म,पीलाः लाडू ,बंटवाया
म्हारा देवर जी को मन हर्षायो रे ,नगरी म वीर जन्म्या

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
28.3.2010
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Saturday, August 16, 2025

107 तर्ज-मधुवन खुशबू देता है (साजन बिना सुहागन) (राग- अहीर भैरव)

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तर्ज मधुवन खुशबू देता है (साजन बिना सुहागन) (राग- अहीर भैरव)

संयम सुख को देता है, त्याग ही शान्ति देता हैss
जीना उसका जीना है,जो प्रेम से जीवन जीता हैsss
संयम सुख को देता है
1
क्षण भंगुर ये जीवन है,कुछ भी, साथ ना जायेगा 2
काया माया छोङ यहीं, जीव अकेलाs जायेगाss
जीव अकेला जायेगाssss
प्रेम से जीयो,जीने दो, प्रेम ही शान्ति देता है

संयम सुख को देता है, त्याग ही शान्ति देता हैss
जीना उसका जीना है,जो प्रेम से जीवन जीता हैsss
2
भक्ती प्रभू की करने से,मन को शक्ती मिलती है 2
तप की राह पे चलने से, मन की कलियां खिलती है
मन की कलियां खिलती हैsss
भोगों से दूरी होने से,भव भव से मुक्ति मिलती है
 
संयम सुख को देता है, त्याग ही शान्ति देता हैss
जीना उसका जीना है,जो प्रेम से जीवन जीता हैsss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
          ता: 16.8.25 (11.45 pm)
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Wednesday, August 13, 2025

106 तर्ज-चंदन सा बदन चंचल चितवन (सरस्वती चंद्र)राग यमन

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तर्ज-चंदन सा बदन चंचल चितवन
(सरस्वतीचंद्र)राग यमन

चंचल मन की,व्याकुलता से]
छुटsकारा पाsनेs आsये हैं]2
प्रभू तेरी भक्तीs, करकेs हम 2
सुख शान्तिs पानेs आsये हैं
 1
प्रभू आप हो,स्वयंभूs, सिद्धात्माs ]
तिर्थंकर, और, केवलज्ञाsनी ]2
त्रिलोक त्रिकाल के ज्ञाताs हो
वीतरागी हो त्रिभुवन स्वामी
   मुझ तुच्छ अज्ञानीs आत्मा पर 2
   थोङी सी कृपाs,बरsसाs देना
   चंचल मन की,व्याकुलता से
2
चिंतामणी,ज्योति स्वरुपीs हो ]
और अनन्त सुख के धारीs हो ]2
दर्शी अनन्त,वीर्य अनन्त, 
और अनन्त चतुष्टय धारी हो
   मुझ तुच्छ अज्ञानीs आत्माs पर 2
   थोङी सी कृपा,बरसाs देना
चंचल मन की,व्याकुलता से]
छुटsकारा पाsनेs आsये हैं]2
प्रभू तेरी भक्तीs, करकेs हम 2
सुख शान्तिs पानेs आsये हैं

 रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
             ताः13.8.2025 (11.30 pm)
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Saturday, August 9, 2025

105 तर्ज नैना बरसे,रिमझिम रिमझिम, पिया तोरे आवन की आश (वो कौन थी) (राग-शिव रंजनी)

105
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तर्ज नैना बरसे,रिमझिम रिमझिम, पिया तोरे आवन की आस (वो कौन थी) (राग-शिव रंजनी)

मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
गुरुवर आये,अंगना में आssज
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
मनवाsss हर्षे,हर्षे हर्षे
1
रहे हर पल ये संयम से, नहीं कोई परिग्रह है, 2
ये रखते भाव समताs के, 
नहीं कोईss शिकायत है
तपसी है बैरागी 
मुक्ति के अनुरागी
सब जीवों पे रखते,क्षमा के भावssss
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
गुरुवर आये,अंगना में आssज
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
मनवाsss हर्षे,हर्षे हर्षे
2
बङे मनोयोग से मैनें,बनाया शुद्ध भोजन है 2
देऊं आहार गुरू को जब
मिले संतोष मन को है
गुरू के उपदेशों से
मन स्थिर होता है
गुरुवर आये,लाये तप की बहार sssss
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
गुरुवर आये,अंगना में आssज
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
मनवाsss हर्षे,हर्षे हर्षे
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से --------
रचयिता राजू बगङा"राजकवि"(sujangarh) मदुरै 
 ता: 9.8.25 (11.00 pm)
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Sunday, August 3, 2025

104 तर्ज- तुम मुझे यूं,भुला न पाओगे,जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे (पगला कहीं का)(राग-झिंझोटी)

104 
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तर्ज- तुम मुझे यूं,भुला न पाओगे,जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे (पगला कहीं का)(राग-झिंझोटी)

मंत्र णमोकार,जपते जायेंगे
हां,मंत्र णमोकार
जब तलक,ना मिलेगी मुक्ति हमें
महा मन्त्र यूं ही,जपते जायेंगे
हां,मंत्र णमोकार
1
श्रीजिन-जी के मुख से,जो प्रकटी]
जिनsवाणी कहे ये बारम्बार]2
कल्पवृक्ष के समान मन्त्र महान
जपके णमोकार,मिलेगा मुक्ती धाम 
 हां,मंत्र णमोकार
2
पांच पापों की,सजी महफिल में]
राग और द्वेष के, बजेss ,सुर ताल]2
हम थिरकते हैं,चारों गतियों में
जिनsवाणी कहे ये बारम्बार
हां,मंत्र णमोकार
मंत्र णमोकार,जपते जायेंगे
हां,मंत्र णमोकार
जब तलक,ना मिलेगी मुक्ति हमें
महा मन्त्र यूं ही  ,जपते जायेंगे
हां,मंत्र णमोकार

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 4.8.25 (7.15 am)
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Saturday, July 19, 2025

103 तर्ज किसी राह में किसी मोङ पर,कहीं चल न देना तू छोङ कर (मेरे हमसफ़र)(राग-चारुकेशी)

103
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 तर्ज किसी राह में किसी मोङ पर,कहीं चल न देना तू छोङ कर (मेरे हमसफ़र)(राग-चारुकेशी)

किसी राह में,किसी मोङ पे 2
मिल जाय,मुनिवर कीs शरण
हो जाये तब,जीवन सफल
गुरु को नमन,गुरु को नमन
किसी दुःख में,किसी कष्ट में 2
मिल जाय,गुरू आशिर्वचन 
हो जाये तब,जीवन सफल
गुरु को नमन,गुरु को नमन
1
ता-उम्र करते हैं, पाप,  हम 2
फिर भी,समझ नहीं, पाते हम
ये कैsसा,माया जाsल है
बुनतेs भी हम,
रोsतेs भी हम
कैसे मिले,गुरू की शरण 2
किसी राह पे,किसी मोङ पे
मिल जाय, 
मुनिवर कीs शरण
 हो जाये तब,जीवन सफल,
गुरु को नमन,गुरु को नमन
2
गुरू सूर्य सम, गुरु चन्द्र सम 2
ध्रुव तारे सम,नक्षत्र सम
दिखलाsते,सुख की राह को
मिट जाsते,
मन के -सब भरम 
जब मिलती हैं,गुरू की शरण 2
किसी राह पे,किसी मोङ पे
मिल जाय, 
मुनिवर कीs शरण
हो जाये तब,जीवन सफल
गुरु को नमन,गुरु को नमन
किसी दुःख में,किसी कष्ट में 2
मिल जाय,गुरू आशिर्वचन 
हो जाये तब,जीवन सफल
गुरू को नमन,गुरू को नमन 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ताः 20.7.2025 ( 6.30am)
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Saturday, July 12, 2025

102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश) (राग-मालगूंजी)

102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश) (राग-मालगूंजी)
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दिल से, मांगते हैं, क्षमाs , आज सबसे 
मुझको,माफ कर दो,2
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
1
जाने अनजाने, कभी,कटु बोल जो भी कहे 
कहा सुनी जो भी हुई, अहंकारsवश मुझ से
गलती से भी,- व्यवहार में
ठेस जो पहुंची,मन में आपके
दिल से, मांगते हैं, 2क्षमाs , आज सबसे 
मुझको माफ कर दो,
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
2
छमा की है,ये भावना,कंही कोई दिखाsवा,नहीं
पछतावा सच्चा, मेरा,कंही कोई स्वारथ नहीं
पर्युषण की, यही भावना
निर्मल करती , हर आत्मा
दिल से, मांगते हैं,2 क्षमाs , आज सबसे 
मुझको,माफ कर दो,
सभीs , सच्चे मन से ओओओ

रचयिता
राजू बगङा "राजकवि"(sujangarh) मदुरै
12.7.2025 (6.15 pm )
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Thursday, January 9, 2025

101 तर्ज ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर इक जान है हम(संगम)

101
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तर्ज ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर इक जान है हम(संगम)

हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
मेरी मन वीणा के तार हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु s s
1
सुनते हैं भक्त के भावों को, तुम बिना कहे सुन लेते हो
मेरी बारी में देर बहुत ,
तुम ध्यान नहीं क्यूं देते हो 2
मुझसे ऐसी क्या भूल हुई, क्या बात है, क्यूं नाराज हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
2
भक्ती तेरी नित करता हूं,तेरे ध्यान में डूबा रहता हूं 
उपसर्ग कोई भी जब आता, 
तेरी भक्ती से सह लेता हूं 2
तुमसे ज्यादा मैं क्या मांगू ,इक कल्पतरु के समान हो तुम 
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
मेरी मन वीणा के तार हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु s s

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
8.1.2025(00.15 am)
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Friday, November 22, 2024

मारवाड़ी mashup

मारवाड़ी mashup

ओ म्हान -पूजा रो थाल सजा द ऐ माँ-२

पूजन करबा म्हें जा स्यां- प्रभु की पूजन करबा म्हें जा स्यां

त्रिशला रा वीरा, भूल ना जाज्यो जी 2
खड़ा उडीका, कदी थे आस्यो 2

वीर जन्म्या,त्रिशला क ,वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न भेजो रे  बधाई ओ,नगरी म वीर जन्म्या

मनड़ो झूम: झूम: आज
मनड़ो झूम: झूम: आज
गुरूवर आंगण: पधार्र्या रे,
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे

थार चरणा म आग्या वीरा )
हर ल म्हारा मन की पीड़ा )   2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

एजी  हा सा म्हारो  मनडो  प्रभु  भक्ति म लाग्यो सा -2
बाई सा रा बीरा तीरथ -ले  चालो सा -2

उड़ती कुरजरिया संदेशो म्हारो लेती जाईज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
पहलों तो संदेशो म्हारो वीर प्रभु न दीज्यो थे -२
भारत री जनता रो थे प्रणाम दीज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया -----------------

बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2

चालो र चालो  मंदिरा म आज -आज रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

दश लक्षण भादवा का
लाग्या  रसिया -
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

मतवालो हिवडलो प्रभू थान याद कर 3
लोग धरम न भूल भूल कर, कर है खोटा काम 2
पैसो ही भगवान हो गयो, सांको निकल्यो राम 
मतवालो हिवडलो प्रभू थान याद कर 

थारी म्हारी छोड़ द भाया,कोई न साथ जाव लो
सगळा साथी छोड़ अठ ओ जीव अकेलो जाव लो
रचयिता 
राजू बगड़ा मदुरै 
23.11.2024 (00.45 am)
















Monday, November 18, 2024

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)
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आँखों को
आँखों को ,बन्द करके, सिमरो तुम ,प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
 1
कोई नहीं है, तेरा अपना 
स्वारथ का , s ये खेsला 2
जिनके लिये तू, पाप कमाता
माया का, s वो  झsमेला 2
जीवन की संध्या में, होगी सब की पहsचान 
आँखों को ,
आंखों को ,बन्द करके, सिमरो.तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
2
सब कुछ अपना,प्रभु  ने त्यागा,
सच्चा सुखs पाsनेs को 2
इन्द्रिय सुख को जङ से त्यागा
मुक्ती रमाs पाsनेs को
संयम धारण से ही पायेंगे सुख आsराम 
आँखों को 
आँखों को,बन्द करके, सिमरो  तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं ओमsss
णमो आइरियाणं,णमो उवझ्झायाणं ओमsss
ओम णमो लोए, सव्व् साहुणं ओमsss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
18.11.2024 (11.55 pm)
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Tuesday, October 29, 2024

99 तर्ज लग जा गले की फिर ये हसीं रात हो न हो (वो कौन थी)

99 
तर्ज :  लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो (वो कौन थी)www.rajubagra.blogspot.com 

गुरुवर,  तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐsसे रम गया 
जब से जुड़ा हूँ आपसे , जीवन बदल गया 
1
भोगे अनेकों भोग पर, सुख, s ना,  कहीं मिला 2
समझा था जिसको सुख, उसी sसे, दुःख मुझे मिला 
जागे हैं अब नसीब जो, मुझे तेsरा संग मिला
गुरुवर तुम्हारी भक्ती से, मुझे ऐsसा सुख मिला
2
इंद्रियों से सुख की चाह में, कितने किये हैं पाप 2
कैसे बताऊं आपको,दिल रोsए बार बार
स्वीकार है कर्मों की सजा, जो भी देंगे आप
गुरु की बताई राह पर, चलने को हूँ तैयार 

गुरुवर तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐsसे रम गया 
जब से जुड़ा हूँ आपसे ,जीवन बदल  गया 
गुरुवर तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐसे खो गया 
जागे हैं अब नसीब जो, मुझे तेरा संग मिला 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
30.10.2024 (00.45 a.m)
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Thursday, October 17, 2024

98 तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा (सम्बन्ध)(राग-भैरवी)

98 
तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा 
(सम्बन्ध)(राग-भैरवी)
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करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
1
अनन्तानंत काल से, भवसागर में गोते खाये ssss 
जाले,बुनकर,कर्मों के, दुःख में,डूबा जाये ssss
तुझे सुख की मंज़िल,मिलेगी तप से ,
कर्मो का है खेलाsssss
करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
2
जो करेगा निज पे शासन, वो जिनेन्द्र बनेगा ssss
जो इन्द्रियों को जीतेगा, वो जिनेन्द्र  बनेगा ssss
क्षणिक सुखों का, इन्द्रजाल है
कर्मों का है खेलाssss
करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
18.10.2024 (00.35 a.m.)
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Wednesday, September 11, 2024

97 तर्ज़-केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश (मांड -मारवाङी)

97
तर्ज़-केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश  (मांड -मारवाङी)
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सांवरिया पारस आवोनी, पधारो म्हार: देस 
मधुबन रा पारस आवोनी पधारो म्हार: देस 
महुआ रा पारस आवोनी पधारो म्हार: देस 
कचनेरा पारस आवोनी पधारो म्हार: देस 
हुमचा रा पारस आवोनी पधारो म्हार: देस 
1
म्हांकी मदुराई नगरी बसी है वैगई नदी के तीर 2
दश धर्मा री पूजा रचाई , थां सू जोड़न प्रीत रे
पधारो म्हार: देस
सांवरिया पारस आवोनी, पधारो म्हार: देस 
2
दो गोरी दो सांवली जी दो हरिया दो लाल 2
सोलह प्रतिमा सोवणी जी बंदू बारम्बार रे
पधारो म्हार: देस
सांवरिया पारस आवोनी, पधारो म्हार: देस 
3
राजा राणा छतर पती जी, हाथिन के असवार 2
मरना सबको एक दिन जी अपनी अपनी वार जी 
पधारो म्हार: देस
सांवरिया पारस आवोनी, पधारो म्हार: देस 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
26.9.1993 
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Friday, September 6, 2024

96 तर्ज ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा (कटी पतंग)

96 
तर्ज ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा (कटी पतंग)
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हम जैन धर्म वाले , हिंसा s नहीं करे 
कोई गर,हमें डराए, मौत से ,नहीं डरे 
1
प्रेम, करते सदा, हम बैर रखते नहीं 
भोsजन करें वो ही, जिनमें जीव मरते नहीं 
दया करे, सब पे सदा, 
चाहे कोई भी हो आपदा 
हम जैन धर्म वाले , हिंसा s नहीं करे 
कोई गर ,हमें डराए, मौत से, नहीं डरे
2
उपवास, करते हैं हम, संयम s रक्खें सदा 
अणुव्रत, पालन करें, क्षमा भाव, रक्खें सदा 
महावीर के, भक्त है हम 
रहें  सदा भक्ती में हम 
हम जैन धर्म वाले , हिंसा s  नहीं करे 
कोई गर, हमें डराए, मौत से, नहीं डरे
3
परि-ग्रह रखते नहीं, गुरुवर हमारे हैं 
कभी क्रोध करते नहीं, तपसी हमारे हैं 
पैदल चलें, हर पल वो 
सबको बचाते पापों से वो 
हम जैन धर्म वाले , हिंसा s नहीं करे 
कोई गर,हमें डराए, मौत से ,नहीं डरे

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
7.9.24 (00.30 am)
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Wednesday, September 4, 2024

95 तर्ज बाईसा रा बीरा जयपुर जाज्यो नी (मारवाड़ी)

95
तर्ज बाईसा रा बीरा जयपुर जाज्यो नी (मारवाड़ी)
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त्रिशला रा वीरा, भूल ना जाज्यो जी 2
खड़ा उडीका, कणां थे आस्यो 2

चांदनपुर जाके, घणी मैं भक्ती करी 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

महावीरजी म , लाडू चढ़ाया घणा 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

कुंडलपुर जाके, छत्तर चढ़ाया म्हें 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

पर्युषण आया, संयम स्यू तपस्या करी 2
सुपना में म्हारे स्यु, मिलबा थे आया 2

बाई सा रा बीरा, बात बतावां सुणो 2
महावीर प्रभू आज , म्हान दरश दिया 2

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
5.9.2024 (00.10 a.m.)
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Sunday, September 1, 2024

94 तर्ज लड़ली लूमा लूमा हे गोरबंद नखरालो मारवाड़ी

94
तर्ज लड़ली लूमा लूमा हे गोरबंद नखरालो मारवाड़ी 
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मनड़ो झूम: झूम: आज
मनड़ो झूम: झूम: आज
गुरूवर आंगण: पधार्र्या रे,
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
1
भोरां भोरां, उठके, चौको लगायो 2
तो आदर सूं 2, पड़गाह ल्याया गुरुवर न आज 
म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
2
चरण पखारा,नवदा भक्ति करा म्हे 2
तो तीनों शुद्धि 2 , बोलकर, दियो आहार
म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
3
संयम सिखाव,दश धर्म बताव:2
तो हिंसा से 2, बचाए कर,जीणो सिखाव 
म्हार: आंगण: पधार्र्या रे
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
मदुरै 
1.9.24 (11.55 pm)
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Saturday, August 24, 2024

93 तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत) (राग-पहाङी)

93
तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)(राग-पहाङी)
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ये मन प्रभू बिन,कहीं,-रमताss नहीं, हम क्याss करें 
गुरु तुम बिन, कोई- ,जंचताss नहीं हम क्याss करें 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs- ,
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss
1
तुम्हारी,-वंदना करना, तुम्हारेs ध्यान में रहना 2,
दिखाए, आपने जो पथ, उन्ही की साधना करना 
मिलेगी मुक्ति की मंजिल, 
इसी विश्वासs सेs चलना 
गुरु तुम बिन, -कोई जंचताss नहीं हम क्याss करे 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs,-
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss
2
तुम्हारे, चरणों की मैं धूल, मुझे इतनी जगह देना 2
तपस्या, साधना संयम की, करलूं ऐसा बल देना
कभी मैं डगमगा जाsऊं, 
तो, हरपल साsथ मेंs रहना
गुरु तुम बिन,-कोई, जंचताss नहीं हम क्याss करे 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs,-
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss

ये मन प्रभू बिन,कहीं,-रमताss नहीं, हम क्याss करें 
गुरु तुम बिन, कोई- ,जंचताss नहीं हम क्याss करें 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs- ,
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
मदुरै 
25.8.24 (00.30 am)
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Thursday, August 22, 2024

92 तर्ज छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा (ममता)(राग-यमन)

92  
तर्ज छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा (ममता)(राग-यमन)
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हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 2
1
दुखों से मुक्ति मिलेगी मुझको 
करूंगा भक्ती मैं तेरी हर पल
शरण में तेरी खड़ा हूं भगवन 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
2
किये अनेकों है पाप मैंने 
नहीं है जिनकी क्षमा भी मांगी 
क्षमा की भिक्षा मैं मांगता हूं 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
3
तुम अपने चरणों में रख लो मुझको
तुम्हारे चरणों की धूल हूं मैं 
मैं सर झुकाए खड़ा हूं भगवन 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
23.8.2024 (00.30 AM)
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