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Tuesday, December 30, 2008

31 तर्ज -रात कलि इक ख्वाब में आयी (बुड्ढा मिल गया)(राग-खमाज)

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तर्ज -रात कलि इक ख्वाब में आयी (बुड्ढा मिल गया)(राग-खमाज)

आज प्रभु तेरे चरणों में आकर -जीवन मेरा धन्य हुआ
सुबह सुबह तेरे दर्शन पाकर -मन अत्यंत प्रसन्न हुआ

यूँ तो जगत में ,चाँद और सूरज ,करते है रोज उजियारे
पर तेरे ज्ञान की ,जोत से मिटते , आतम के अंधियारे
तेरी चमक से ,मेरे जीवन में
ज्ञान का फिर संचार हुआ -------------आज प्रभु

जनम जनम से, भवसागर में ,कर्मो के जाल बुने है
उन जालो में ,फंसकर क्या क्या ,दुःख ना मैंने सहे है
तेरे ज्ञान की ज्योती से मुझको
कर्मों की लीला का भान हुआ ---------आज प्रभु

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ताः-30.12.2008
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Thursday, August 7, 2008

09 तर्ज;-दल बादल बिच चमक्या जू तारा [मारवाडी]

09 
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तर्ज;-दल बादल बिच चमक्या जू तारा [मारवाडी]
पारसनाथ जगत का थे तारा -कि तीनो ही लोका म सब स्यूं हो प्यारा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

जल स्यूं पूजा म्हे चंदन स्यूं पूजा ,कि अक्षत पुष्पा री माला स्यूं पूजा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

मीठा मीठा नैवेध चढावा, कि दीपा री ज्योति स्यूं हियो उमगावा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

चंदन अगर कपूर जलावा,कि शिवपुर जाबा ताई फल भी चढावा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

आठो दरब स्यूं म्हे पूजा रचाई ,कि पारस री पूजा है अति सुखदाई
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-१५.०८.२००५
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