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हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु मेरी मन वीणा के तार हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु s s
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सुनते हैं भक्त के भावों को, तुम बिना कहे सुन लेते हो
मेरी बारी में देर बहुत ,
तुम ध्यान नहीं क्यूं देते हो 2
मुझसे ऐसी क्या भूल हुई, क्या बात है, क्यूं नाराज हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु
2
भक्ती तेरी नित करता हूं,तेरे ध्यान में डूबा रहता हूं
उपसर्ग कोई भी जब आता,
तेरी भक्ती से सह लेता हूं 2
तुमसे ज्यादा मैं क्या मांगू ,इक कल्पतरु के समान हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु
मेरी मन वीणा के तार हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु s s
रचयिता
राजू बगड़ा
8.1.2025(00.15 am)
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