मंगलम भगवान वीरो,मंगलम गौतमो गणी । मंगलम कुन्द्कुंदाद्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम ॥ णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उव्झायाणं णमो लोए सव्व साहुणं..ऐसो पञ्च णमोक्कारो,सव्व पाव पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिम् पढमं हवई मंगलम ........ मैंने कुछ भजन भगवान् की भक्ती मे अर्पण किये है -आप भी इनका रसपान करे ! by raju bagra-madurai
Sunday, September 24, 2023
88 तर्ज-कहीं दीप जले कहीं दिल (बीस साल बाद, )
Saturday, August 29, 2020
63 तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-२
निराशा के सागर ,में, आशा वही है
प्रभु साथ है तो
कुछ भी नहीं है तो कोई ग़म नहीं है
जहां पर प्रभु ,सब कुछ ,तो वहीं है
प्रभु साथ है तो
१
कैसी बीमारी ये महामारी-२
समझा नहीं कोई जग पे है भारी
महावीर तेरी कमी खल रही है
मानव-ता खत-रे में पड़ी है
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
२
अणुव्रत, धारो,जो,सुख चाहो-२
जियो और जीने दो मंत्र सुनाओ
अहिंसा परम है ,धरम, इस जग में
वीर प्रभु का, ये मार्ग बताओ
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
३
मानव जब, जब ,बनता है दानव-२
करता है शोषण, पर्या-वरण का
प्रकृति करेगी, स्वयं ,अपनी रक्षा
महामारियों,को तो सहना पड़ेगा
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
रचयिता - राजू बगड़ा, मदुरै
Tarikh- 15.4.2020, 4pm
Tuesday, June 16, 2020
66 हमें और जीने की चाहत न होती
मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे
शरण मिल जाए तेरी, यही आश धारे
1
तुम्हीं सच्चे गुरु और, पंच परमेष्ठि
तुम्हीं सच्चे साधक, तपस्वी हो श्रेष्ठि
गुरुवर तुम्हारे,चरणों की धूलि
लगालू जो माथे पे ,टले कर्म सूली
मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे
2
दर्शन ज्ञान की, सम्यक मूर्ति
सच्चे चरिsत्र की, जीवन्त ज्योति
शान्तिसागर ,_आचार्य के जैसे
हे गुरु तुम सम ,पुण्य से मिलते
मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 19.6.2020
12.30 AM
Sunday, June 7, 2020
65 थोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी
हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
1
कमल सी कोमल काया,मनोरम छवी निराली
सनावद गांव से निकले, हो के गुरुवर वैरागी
दिशा जीवन की बदली, ब्रह्मचर्य को धारा
मनोरमा कमल का लाला,बना जग का सितारा
धन्य हुआ विश्व सारा,धन्य जैनत्व सारा
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
2
दिगम्बर मुनि चर्या में ,शिथिलता कभी नहीं की
संघ को एक सूत्र में ,पिरोकर ज्ञान वृद्धि की
सरलता विनयशीलता, गुणों की खान हो गुरुवर
शास्त्र आगम के ज्ञानी, जुबां पर मां जिनवाणी
शान्तिसागर आचार्य ,के परम भक्त हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
रचयिता
राजू बगड़ा, मदुरई
ता: 9.6.2020, 5 pm
Tuesday, March 31, 2020
67 मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता
मिलता,हमेशा,सुख,अहिंसा,के भाव से
दे कर गए संदेश,महा-वीर,ज्ञान से
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
1
सनावद गांव धन्य हुआ,
तेरे आने से जग झूमा
हुआ हर्षित कमल का मुख,2
मनोरमा मां का, मन झूमा
तुम्हीं वर्तमान,के वर्द्धमान हो, तेरी, करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
2
आचार्य शान्ति सागर की
परम्परा को निभाते हो
अठाईस मूल गुण मुनि के 2
पालन ,करते कराते हो
प्रभू भक्ति में ,रत हरदम,गुरु तेरी करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 19.6.20
10.30 pm
Friday, September 6, 2019
60 तर्ज - हरियाला बन्ना ओ नादान बन्ना ओ (मारवाड़ी)
रुपया पैसा,यो महल मालिया,
यो जग सारो,प्रभु ना भा व-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
1
शिखरजी गयो रेे, हे पारस प्रभु रे -2
म वंदना भी कर आयो,
प्रभु अब कष्ट मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
2
चांदनपुर गयो रेे, महावीर प्रभु जी -2
थार लाडू भी चढ़ाया,
अब तो दुखड़ा मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
ता:-7.9.2019,1.15 AM
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Monday, September 2, 2019
59 तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-रुस्तम
प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
1
मैंने छोड़े है पापों के रास्ते
अब आया हूं तेरे पास रे
तेरी भक्ति में डूबा जाऊं में
पहचान ले
मैंने क्रोध कषाय को त्याग दिया
मैंने क्षमा धरम अपना लिया
स्वारथ के इस संसार को
है जान लिया
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
2
कभी किसी भी, गति में जाऊं मैं
तेरे ध्यान से भटक ना जाऊं मैं
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
तेरा मेरा मिलना दस्तूर है
तेरे होने से मुझमें नूर है
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
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Saturday, September 22, 2018
57 तर्ज- दंगल दंगल (दंगल)
रे इंसा जाग तूं
रे इंसा सुण ले तूं
रे हिंसा त्याग तूं
रे जैनी बण जा तूं
मां के पेट से मरघट तक है, तेरी कहानी, सुण ले प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
क्रोध की लपटों में,
मन झुलस जाता है
उनको फिर बुझा
करदे फिर क्षमा
बात बन जाती है
--
बुलबुला पानी का
तेरा प्यारा जीवन
किसको है पता
हो के फट फटा
सांसे रुक जाती है
तो जिनवाणी तुझको समझाये,
मोह माया को त्याग दे प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
1
रे इंसा सुण ले तूं,रे जैनी बण जा तूं
रे इंसा सुण ले तूं, रे हिंसा त्याग तूं
पांच है घोड़े तेरे,पांच ये तेरी इंद्रिया
मन बना तेरा सारथी,रथ बनी तेरी काया
रथ में है आ के बैठी ,आतमा बन के राजा
मर्जी है जिधर हाँक ले ,
तेरी चाकरी करे है मनवा,$$$$$$$
अरे,जैन मुनि को देख के प्यारे,तू भी तप कर ले रे प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
मां के पेट से मरघट तक है, तेरी कहानी-----------
रचयिता-राजू बगड़ा, मदुरै 23.9.2018 /1.30am
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Friday, September 21, 2018
56 तर्ज- मेरी भीगी भीगी सी पलकों में रह गए,(अनामिका)
हम रोज नमन करते
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
तुम्हें बिन जाने,बिन पहचाने,जन्म अनेकों गंवाये - 2
आज हमें जब ज्ञान मिला तो,तेरे चरणों में आये
चारों गतियों में दुःख जो उठाये
तड़प के आहे भर भर के
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
तू ही इक सहारा ,नश्वर जग में,भव से जो पार कराये - 2
जनम जनम के पाप करम से,हम को भी मुक्ति दिलाये
ऐसी ही आशा, ले के हम आये
तेरी दया पाने को
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
Wednesday, September 19, 2018
55 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घयल
हर ल म्हारा मन की पीड़ा ) 2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
1
पर पीड़ा और पर निन्दा, म्हां न घणी सुहावण लागी)
माया चारी कर कर म्हारी छाती दूखण लागी)2
जद खुद पर बीतण लागी
मुखड़ा पे आई उदासी
म्हे अकड़ म गेला हुग्या
थान भूल के मैला हुग्या
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
जद पड्या करम का सोटा
म्हे टेढ़ा, बणग्या सीधा
म्हारो जियड़ो अब दुःख पाव
जियड़ा न कुण समझाव
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
रचयिता -राजू बगड़ा ,मदुरै
19.9.2018--11. 30 pm
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Sunday, September 16, 2018
54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग]
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
१
गुरु कहे हर आतम से - तेरा नहीं कोय
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा होवे कौन
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
२
गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
३
सुनो किसी गुरुवर ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे दुनियां लेकिन मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से , दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है
गुरु जनों के मुख से जो ,जिनवाणी सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
रचयिता -राजू बगड़ा
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
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Tuesday, September 13, 2016
53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]
मनवा मेरा हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2
थारी शरण में
दुःख दूर सब
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
रचयिता -राजू बगड़ा
ता;13 -09 -2016
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Wednesday, September 7, 2016
52 तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता
ता ; 8. 9 . 2016
Tuesday, September 22, 2015
51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------
१
जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------
२
उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------
रचयिता -राजू बगड़ा
ता -२३.०९.२०१५
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Thursday, September 17, 2015
50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
१
क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
२
खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
३
दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय- आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
रचयिता
राजू बगड़ा
ता 18 . 9 . 2015
Sunday, September 7, 2014
45 तर्ज-मैं रंग शर्बतों का -तू मीठे घाट का पानी
तर्ज -मैं रंग शरबतों का -तू मीठे घाट का पानी [फटा पोस्टर निकला हीरो ]
Saturday, August 30, 2014
22 तर्ज-हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में
तर्ज -हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में [जांबाज ]
Tuesday, September 10, 2013
47 तर्ज -सुन रहा है ना तू रो रहा हूँ मै [आशिकी 2 ]
तेरे चरणों में दौड़े आये
वीरा ssss वीरा ssssss वीरा sssss
मुझको ये ज्ञान दे
आतम का भान दे
मेरी काया से मुझको थोड़ा तॊ बैराग दे
क्षमा का भाव दे
दया का भाव दे
मुझ पर हो जाये कृपा थोड़ा आशीर्वाद दे
तेरे चरणों में दौड़े आये
कर दे इधर भी तू निगाहे
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
१
मोह का अँधियारा , खुद को भुला दिया
पर को निज समझा , पापों से घिर गया
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे चरणों में दौड़े आये
कर दे इधर भी तू निगाहे
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
२
धन मैं ने कमाया ,जीवों को मार के
बिलकुल निर्दयी हूँ , लालच के भाव से
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे चरणों में दौड़े आये
कर दे इधर भी तू निगाहे
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
सुन रहा है ना तू, बु ला रहा हूँ मै
रचयिता -राजू बगडा
ता ; 10. 09. 2013
46 तर्ज -क्योंकि तुम ही हो [आशिकी 2 ]
हम तेरे चरणों में आये है जिनवर
अपना शीश झुकाने को
तुझ को छू कर मिल जाये मुक्ति
है विश्वास मेरे मन को
क्यूँ कि तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो
१
तेरा मेरा रिश्ता पुराना
भक्ति कभी टूटी ही नहीं
मै कभी तुमसे दूर हुआ पर , तुमने मुंह मोड़ा ही नहीं
हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss
क्यूँ कि तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो
२
मेरे लिए ,ही जिया मै , हूँ स्वार्थी
कर दिया है ,भोगो में जिन्दगी को पूरा -सारी अच्छाइयों को छोड़ा
हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss
क्यूँ कि तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो
रचयिता -राजू बगडा
ता ; १०. ०९. २०१३
Sunday, September 8, 2013
43 तर्ज -जीने लगा हूँ पहले से ज्यादा [रमैया वस्तावैया ]
करने लगा हूँ भक्ति प्रभु की
पहले से ज्यादा अब मै करने लगा हूँ
ओ ssssss ओ sssssss ओ ssssss
मै तेरे ध्यान में डूबा रहूँ
खुद की मै पहचान करता रहूँ
जीना मुझे तू सिखाता रहे
कर्मो का मैल हटाता रहूँ
करने लगा हूँ भक्ति प्रभू की ------------
१
जन्म जन्म के मेरे संस्कार कैसे
उलझा हुआ हूं झूठी माया में ऐसे
झूठी माया में मै उलझा ,जनम जनम से कैसे
तेरी शरण में आया भगवन मुझको बचाले भव से
तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ------ओ sssss
२
उत्तम क्षमा के फूल खिलने लगे है
हिंसा के कांटे मन से खिरने लगे है
फूल क्षमा के अब तो मेरे, मन में खिलने लगे है
तेरे ध्यान से क्रोध के कांटे ,मन से खिरने लगे है
तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ----ओ ssssss
रचयिता -राजू बगडा
ता ;०८. ०९. २०१३