Showing posts with label tapsya. Show all posts
Showing posts with label tapsya. Show all posts

Thursday, October 17, 2024

98 तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा (सम्बन्ध)

98 
तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा 
www.rajubagra.blogspot.com 

बनो तपस्वी,बनो तपस्वी, बनो तपस्वी 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन, बनो तपस्वी 
1
अनंन्तानंत काल से, भवसागर में गोते खाये ssss
कर्मो के जाले, बुनकर, दुःख में डूबा जाये sssss
मिलेगी सुख की मंज़िल, तप से ,क्या समझा ओ बन्दे, 
बनो तपस्वी,बनो तपस्वी, बनो तपस्वी 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन, बनो तपस्वी 
2
जो करेगा निज पे शासन, वो जिनेन्द्र बनेगा ssss
जो इन्द्रियों को जीतेगा, वो जिनेन्द्र  बनेगा ssss
क्षणिक सुखों के, इन्द्रजाल से,बाहर आजा बन्दे,
बनो तपस्वी,बनो तपस्वी, बनो तपस्वी 
हो जाओ,तन से दूर, मन से बनो तपस्वी
रचयिता
 राजू बगड़ा मदुरै 
18.10.2024 (00.35 a.m.)
www.rajubagra.blogspot.com 







Saturday, August 24, 2024

93 तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)

93
तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)
www.rajubagra.blogspot.com
ये मन प्रभू बिन कहीं, रमता नहीं, हम क्या करें 2
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करें 
दुखों का अंत तो दिखता नहीं,हम क्या करें 
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें 

1
तुम्हारी,वंदना करना, तुम्हारे ध्यान में रहना 2,
दिखाए आपने जो पथ, उन्ही की साधना करना 
मिलेगी मुक्ति की मंजिल, इसी विश्वास से चलना 
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करे 
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार,को फरियाद करें 
2
तुम्हारे चरणों की मैं धूल, मुझे इतनी जगह देना 2
तपस्या साधना संयम की, करलूं ऐसा बल देना
कभी मैं डगमगा जाऊं, तो हरपल साथ में रहना
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करे 
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें 

ये मन प्रभू बिन कहीं, रमता नहीं, हम क्या करें 2
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करें 
दुखों का अंत तो दिखता नहीं,हम क्या करें 
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें 

रचयिता 
राजू बगड़ा 
मदुरै 
25.8.24 (00.30 am)
www.rajubagra.blogspot.com













Saturday, August 14, 2021

69 तर्ज-जब जब बहार आयी और फूल मुस्कराये मुझे तुम याद आये Taqdeer (1967):Singer: Mohammed RafiMusic: Laxmikant-PyarelalLyrics: Anand Bakshi

जब जब गुरु जनों के, चरणों में मन लगाया
तप के भाव जगे २
जब जब गुरु जनों ने, उपदेश है सुनाया
आतम ज्योत जगे २
तप की बहुत है महिमा,दुख सुख में बदल जाए २
भव भव के बंधनों की कड़ियां भी टूट जाए
ओ ओ ओ ओ
आओ करें तपस्या, नवकार मंत्र जप के
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 
तप तप के काया अपनी, कंचन समान करले २
अणुव्रत की पालना कर, मन की भी शुद्धि करले
ओ ओ ओ ओ
नवकार मंत्र जप कर, कर्मों को भी गलाए
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 
तपसी तुम्हारी महिमा, दुनियां भी सर झुकाए २
दुनियां क्या देवता भी, आशीर्वचन सुनाए
ओ ओ ओ ओ
देवो के मन में संयम, इच्छा भी जाग जाए
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 

जब जब गुरु जनों के, चरणों में मन लगाया
तप के भाव जगे २
जब जब गुरु जनों ने, उपदेश है सुनाया
आतम ज्योत जगे २

रचयिता राजू बगड़ा, मदुरै
ता: 14-8-2021- 11.50 pm
www.rajubagra.blogspot.com









Sunday, September 16, 2012

40 तर्ज ;-ओ फिरकी वाली ,तू कल फिर आना [राजा और रंक ]


ओ पिच्छी वाले ,
हम शीश झुकाए ,तेरे गुण गाये ,मन- वचन और काय से
कि अब जाना है हमें भव पार से
1
तेरी तपस्या की ,क्रिया- को देख देख कर -2
सबको अचरज होता है
कैसे कर लिया ,मन इन्द्रियों को वश में
सबको विस्मय होता है
सर्दी गर्मी -2,हो या बारिश ,कोई फरक नहीं पड़ता
तूने छोड़ा- है घर-बार  सारा ,एशो आराम सारा
और निकला है शान से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
2
तेरे उपदेश की, ये बाते  सुन सुन के -2
मन बैराsगी होता है
मन में छुपे हुए ,जो अव-गुण सारे
धुल के निर्मल होता है
 एक बार तू -2 हाथ फिरा दे ,दया से मेरे सर पे
मिट जाये -विकार मेरे सारे ,हो जाये वारे न्यारे
तेरे उपकार से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------

रचयिता
राजू बगडा
ता ;-16.9.2012



Thursday, September 8, 2011

17 तर्ज -उड़ उड़ दबंग दबंग दबंग दबंग-[दबंग]

इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे 

तुमको नमन नमन  नमन  नमन ------४

बड़े जुंझार-तपसी महान-रहे तपस्या में ये आगे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन -२ 
बड़े क्षमावान -बड़े दयावान -नगन रूप को धारे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन -२

सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२
जब गगन अगन बरसावे है 
तो  भी  ये  पैदल  जावे है
चेहरे पे शिकन ना आवे है-तुमको है नमन 
ये एक समय ही खावे है
ये जमीन पर सो जावे है
फिर भी हरदम मुसकावे है-तुमको है नमन
सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे-पावे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२

कोई जीव कहीं मर जावे ना
सो देख भाल कर जावे है
ये हाथ में पिच्छी राखे है-तुमको है नमन
जब रात को दुनिया सोवे है
तब आतम ध्यान लगावे है
ये सबको पार लगावे है -तुमको है नमन 
सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे-पावे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२


ये जंगल जंगल घूमे है
और गाँव गाँव में जावे है
ये सबको धरम सिखावे है-तुमको है नमन
उपसर्ग कभी जो आवे है
तो शांत भाव सह जावे है
वो जैन मुनि कहलावे है-तुमको है नमन
सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे-पावे&&&&&&
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२


बड़े जुंझार-तपसी महान-रहे तपस्या में ये आगे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन -२ 
बड़े क्षमावान -बड़े दयावान -नगन रूप को धारे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन -२

सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२

रचयिता
राजू बगडा
ता ;८.९.२०११