मंगलम भगवान वीरो,मंगलम गौतमो गणी । मंगलम कुन्द्कुंदाद्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम ॥ णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उव्झायाणं णमो लोए सव्व साहुणं..ऐसो पञ्च णमोक्कारो,सव्व पाव पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिम् पढमं हवई मंगलम ........ मैंने कुछ भजन भगवान् की भक्ती मे अर्पण किये है -आप भी इनका रसपान करे ! by raju bagra-madurai
Saturday, August 9, 2025
105 तर्ज नैना बरसे,रिमझिम रिमझिम, पिया तोरे आवन की आश (वो कौन थी) (राग-शिव रंजनी)
Saturday, July 19, 2025
103 तर्ज किसी राह में किसी मोङ पर,कहीं चल न देना तू छोङ कर (मेरे हमसफ़र)(राग-चारुकेशी)
Tuesday, June 16, 2020
66 हमें और जीने की चाहत न होती (अगर तुम न होते)(राग-असावरी)
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तर्ज़- हमें और जीने की चाहत न होती (अगर तुम न होते)(राग-असावरी)
मुनी वर्धमान सागर, आsये तोरे द्वारेss
शरण मिल जाए तेरी, यही आश धारेss
1
तुम्हीं सच्चे गुरु और, पंच परमेष्ठिss
तुम्हीं सच्चे साधक, तपस्वी हो श्रेष्ठिss
गुरुवर तुम्हारेss,चरणों की धूलिss
लगालू जो माथे पे ,टले कर्म सूलीss
मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारेss---
2
दर्शन ज्ञान की, सम्यक मूर्तिss
सच्चे चरिsत्र की, जीवन्त ज्योतिss
शान्तिसागरss ,_आचार्य के जैसेss
हे गुरु तुम सम ,पुण्य से मिलतेss
मुनी वर्धमान सागर, आये तोरे द्वारेss
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 19.6.2020
12.30 AM
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Sunday, June 7, 2020
65 थोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी(मैने दिल तुझको दिया)
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तर्ज़-थोङा सा प्यार हुआ है थोङा है बाकी (मैने दिल तुझको दिया)
हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
1
कमल सी कोमल काया,मनोरम छवी निराली
सनावद गांव से निकले, हो के गुरुवर वैरागी
दिशा जीवन की बदली, ब्रह्मचर्य को धारा
मनोरमा कमल का लाला,बना जग का सितारा
धन्य हुआ विश्व सारा,धन्य जैनत्व सारा
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
2
दिगम्बर मुनि चर्या में ,शिथिलता कभी नहीं की
संघ को एक सूत्र में ,पिरोकर ज्ञान वृद्धि की
सरलता विनयशीलता, गुणों की खान हो गुरुवर
शास्त्र आगम के ज्ञानी, जुबां पर मां जिनवाणी
शान्तिसागर आचार्य ,के परम भक्त हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 9.6.2020, 5 pm
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Wednesday, April 15, 2020
64 तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)
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तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)
गुरु हे विराग सागर,छवि मनोहारी-2
दुनियां झुके, तेरी महिsमा निराली
गुरु हे विराग सागर-
ज्ञान सुधा बरसाती, छवि है दुलारी
जिनवाणी मुख से,तेरे लगे अति प्यारी
गुरु हे विराग सागर-२
1
कपूर का लल्ला,श्यामा का तारा-2
चमका पथरिया नगर का सितारा
धन्य हुआ जन, गण मन सारा
श्री गुरु ने वैsराग्य को धारा
गुरु हे विराग सागर-
2
पंचम काल की,कठिन तपस्या
करते है शिष्यों की कठिन परीक्षा
आगम सुगम बनाते जाते
भाषा सरल करत समझाते
गुरु हे विराग सागर-
3
सोलह भावना दिल से है भायी
दश धर्मो में ही देह तपायी
ज्ञान का लक्ष्य चरिsत्र बनाया
मोक्ष ही जाने का निश्चय बनाया
गुरु हे विराग सागर-
Note: सभी अन्तरो की राग एक ही है
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता:29.4.20, 6.00pm
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Tuesday, August 14, 2012
18 तर्ज-एजी हा सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा-[मारवाड़ी]
एजी हा सा म्हारो मनडो पूजा विधान चाव सा -2
बाई सा रा बीरा मन्दिरा म चालो सा -2
एजी हासा म्हारो मनडो जिनवाणी सुणबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा उपदेशा म चालो सा -2
एजी हा सा म्हारो मनडो आहार देबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा मुनि संघा म चालो सा -2
ता;-15-08-2012