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Thursday, August 28, 2025

109 तर्ज़ जोगी हम तो लुट गये तेरे प्यार में (शहीद)

109 
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तर्ज़ जोगी हम तो लुट गये तेरे प्यार में (शहीद)

भोगीss होसी जो भी संसार मss,
आखिर  दुःख  पायss
हांss आखिर दुःख पाके कर्मा न रोसी 
1
चोखो भुण्डो जाण्या बीना ,मन मर्जी कर लेवः2
मां बाप री सूणः कोनी,फेर उमर भर रोवः 
हाय रे भोगीsss
भोगीss होसी जो भी संसार म,
आखिर दुःख पायss
हां आखिर दुःख पाके कर्मा न रोसी 
2
ना खाणा की,ना पीणा की,ना सोणा की सुध है 2
धरम की बातां मानः कोनी,जग हांसः बो रोवः
हाय रे भोगीsss
भोगीss होसी जो भी संसार म,
आखिर दुःख पायss
हां आखिर दुःख पाके कर्मा न रोसी 
3
भोगी रे तू योगी बण जा, जे सुख चावः सांची 2
दश धर्मा री बात जाण लः, जीवण चोखो होसी
हाय रे भोगीsss
भोगीss होसी जो भी संसार म,
आखिर दुःख पायss
हां आखिर दुःख पाके कर्मा न रोसी 

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
28.8.2025 (11.45 pm)
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Wednesday, August 27, 2025

85 तर्ज-कोयलिया (मारवाङी)

85 
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तर्ज-कोयलिया (मारवाङी)

कोयलियाss कुहू कुहू गीत सुनाये रेss
दश धरम निभावां आवो मिलकर आजss
कि भव सेss ये ही पार लगायेss
1
ओ साsथी कोप ना कीsजे पीतमा 
सब मिलकर धरे, हृदय में क्षमा विवेक 
कि भव सेs नैय्या पाsर लगायेs
2
ओ साsथी मान महाs विषरूप है 
आवो हो जायें कोमल सुधा अनूप 
कि भव से नैय्या पाsर लगायेs
3
ओ साsथी कपट न कीजो कोय जी 
आवो हो जाये मन से सरल स्वभाव
कि भव से नैय्या पाsर लगाये
4
ओ साथी पर निन्दा अरू झूठ तजो 
जग में सतवादी सच्चे सुख को पाय
कि भव से नैय्या पार लगाये
5
ओ साथी लोभ पाप  को बाप है
आवो सब मिलकर धरे हृदय  संतोष 
कि भव से नैय्या पार लगाये
6
ओ साथी विषय चोर बहू फिरत है
मन वश में कर तूं संयम रतन संभाल
कि भव से नैय्या पार लगाये
7
ओ साथी तप चाहे सुरराय जी
शक्ति सम कर लो तप सब मिलकर आज 
कि भव से नैय्या पार लगाये
8
ओ साथी दान चार प्रकार  है
दानी को कोई हानी नहीं बताय 
कि भव से नैय्या पार लगाय

कोयलिया कुहू कुहू गीत सुनाये रे
दश धरम निभावां आवो मिलकर आज
कि भव से ये ही पार लगाये

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
2.9.1992 
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57 तर्ज़ हे राम हे राम जग में सांचो तेरो नाम (जगजीत सिंह)

57 
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तर्ज़ हे राम हे राम जग में सांचो तेरो नाम (जगजीत सिंह)

हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
करते हैं तेरी,जयकारsss
1
जग को अहिंसा, का, पाठ पढाया
तू ही तो है वीरों का वीर
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
2
क्षमा ही वीरों का,आभूषण है
जग को सुनायी ये बात
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
3
प्रेम ही जग में,सुख बरसाये
करो हर प्राणी से प्यार 
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
4
नश्वर है काया,नश्वर है माया
मृग मरीचिकाss समानss
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
 27.8.2025 (10.30 pm)
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39 तर्ज -जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए (जुर्म) (राग-औदव)

39
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तर्ज -जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए (जुर्म) (राग-औदव)

जब तक,  प्रभूs आपका साsथ 
हमें फिर क्याs डरने की बाsत
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 
न कोई था,न कोई है, करे जो हम सबका कल्याण 
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 
1
हो अन्तर्यामी, जग में आप, 
कहाते तीन लोक के नाथ
बिनs कहेs समझते होs,
हमारे मन कीs सारी बात
न कोई था,न कोई है, करे जो हम सबका कल्याण 
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 
2
अहिंसामय हो सब व्यवहार,
नहीं हो बैर भाव अभिमान 
प्रभू हम तेरी भक्तीss से,
करेंगे भवसाsगर को पारs
न कोई था,न कोई है, करे जो हम सबका कल्याण 
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 
3
हो सबके मन में प्रेम का भाव,
नहीं हो घृणाs का व्यवहारss
जैन शासन की हो जयकारs 
क्षमा का रक्खे हर पल भावss
न कोई था,न कोई है, करे जो हम सबका कल्याण 
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
27.8.2025 (9.30 pm)
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37 तर्ज यशोमती मैया से बोले नन्दलाला (सत्यम शिवम सुन्दरम)(राग-काफी)

37
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तर्ज यशोमती मैया से बोले नन्दलाला (सत्यम शिवम सुन्दरम)(राग-काफी)

प्रभूs तेरे चरणों केss,हम है पुजारीss
भटके हुये हैं सुनलोss,विनती हमारीss 2
1
दीन दयाला जग के नाsथ कहातेs
दुःखियों की नैय्या को पार लगाsते
जग में तुम्हारी महिमा होsssss 
जग में तुम्हारी महिमा सबसे निराsली
इसीलिए प्यारी
प्रभूs तेरे चरणों केss,हम है पुजारीss
भटके हुये हैं सुनलोss,विनती हमारीss 
2
अंजन सा पापी तारा,मैना के दुःख को टाराss 
हमको भी नाथ अब तोs,दे दोs सहाsराss
शरण पङे हैं तेरी होsssss
शरण पङे हैं तेरी,काटो भव की फेरीss,
विनती हमारी
प्रभूs तेरे चरणों केss,हम है पुजारीss
भटके हुये हैं सुनलोss,विनती हमारीss 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
31.8.1979
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Sunday, August 24, 2025

26 तर्ज अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा (आरजू) (राग-देश)

26
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अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा (आरजू) (राग-देश)
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक,  नहींs साsरे नसिये
प्रभूs आsप मेरेs
1
मैं चारों गती में, फिराs मारा माराs 
मुझे कोई अब तक, मिला ना, सहाराs
बङे पुण्योssदय सेss तेरा संग मिला है 2
ना बिसराइयेssगा ना बिसराssइयेगा
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक, नहींs साsरे नसिये
2
मैं कैसे करूंs, अपनी, इन्द्रियोंs को वश मेंs 
नहीं मानें मन, वो, चले अपनी धुन मेंs
मुझे दूरss, भोगोs से  कैसे है रहना 2
ये सिखलाइयेssगा  ना बिसराssइयेगा
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक, नहींs साsरे नसिये
 प्रभूs आsप मेरेs 2

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-24.8.2025 (7.30 am)
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Saturday, August 23, 2025

11 तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -मारवाड़ी

11 
तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -होली गीत
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1
वीर जन्म्या,तिर्थंकर, वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न भेजोs  बधाई रे ,नगरी म वीर जन्म्या

देव औ कुबेर, राजा, इन्द्र पधार्या
म्हारी नगरी म रतन,बरसाया रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा रा कपङा म्हारः ,पीला रंगवाया-
म्हाराः सुसराजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा की थालीः म्हानः ,पीली  घङवायी-२
म्हाराः सासुजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा री केसर,पीलीः ल्यायी जेठानी-२
म्हारा जेठ जी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

मदुरै नगरी म,पीलाः लाडू ,बंटवाया
म्हारा देवर जी को मन हर्षायो रे ,नगरी म वीर जन्म्या

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
28.3.2010
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Thursday, January 9, 2025

101 तर्ज ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर इक जान है हम(संगम)

101
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तर्ज ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर इक जान है हम(संगम)

हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
मेरी मन वीणा के तार हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु s s
1
सुनते हैं भक्त के भावों को, तुम बिना कहे सुन लेते हो
मेरी बारी में देर बहुत ,
तुम ध्यान नहीं क्यूं देते हो 2
मुझसे ऐसी क्या भूल हुई, क्या बात है, क्यूं नाराज हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
2
भक्ती तेरी नित करता हूं,तेरे ध्यान में डूबा रहता हूं 
उपसर्ग कोई भी जब आता, 
तेरी भक्ती से सह लेता हूं 2
तुमसे ज्यादा मैं क्या मांगू ,इक कल्पतरु के समान हो तुम 
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु 
मेरी मन वीणा के तार हो तुम
मेरे दिल की इक झंकार हो तुम 
हे मेरे प्रभु, हे पार्श्व प्रभु s s

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
8.1.2025(00.15 am)
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Friday, November 22, 2024

मारवाड़ी mashup

मारवाड़ी mashup

ओ म्हान -पूजा रो थाल सजा द ऐ माँ-२

पूजन करबा म्हें जा स्यां- प्रभु की पूजन करबा म्हें जा स्यां

त्रिशला रा वीरा, भूल ना जाज्यो जी 2
खड़ा उडीका, कदी थे आस्यो 2

वीर जन्म्या,त्रिशला क ,वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न भेजो रे  बधाई ओ,नगरी म वीर जन्म्या

मनड़ो झूम: झूम: आज
मनड़ो झूम: झूम: आज
गुरूवर आंगण: पधार्र्या रे,
तपस्वी म्हार: आंगण: पधार्र्या रे

थार चरणा म आग्या वीरा )
हर ल म्हारा मन की पीड़ा )   2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

एजी  हा सा म्हारो  मनडो  प्रभु  भक्ति म लाग्यो सा -2
बाई सा रा बीरा तीरथ -ले  चालो सा -2

उड़ती कुरजरिया संदेशो म्हारो लेती जाईज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
पहलों तो संदेशो म्हारो वीर प्रभु न दीज्यो थे -२
भारत री जनता रो थे प्रणाम दीज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया -----------------

बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2

चालो र चालो  मंदिरा म आज -आज रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

दश लक्षण भादवा का
लाग्या  रसिया -
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

मतवालो हिवडलो प्रभू थान याद कर 3
लोग धरम न भूल भूल कर, कर है खोटा काम 2
पैसो ही भगवान हो गयो, सांको निकल्यो राम 
मतवालो हिवडलो प्रभू थान याद कर 

थारी म्हारी छोड़ द भाया,कोई न साथ जाव लो
सगळा साथी छोड़ अठ ओ जीव अकेलो जाव लो
रचयिता 
राजू बगड़ा मदुरै 
23.11.2024 (00.45 am)
















Thursday, November 21, 2024

27 तर्ज -जल जमुना को पानी कईया ल्याऊ ओ रसिया (veena music)-

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तर्ज -जल जमुना को पानी कईया ल्याऊ ओ रसिया  (veena music)-मारवाङी

दश लक्षण भादवा का
लाग्या रसिया -
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

साँची झूठी -थारी -हर बात म्हे तो मानी-
तो एक बात म्हाँकी थे भी मानो रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

उत्तम क्षमा बहुत सुख दाई -
तो दुःख दाई बैर मति बांधो रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

सोलह स्वर्गा मांही जिता देव सारा पूज -
तो ऐसा जिनजी पूजण थे भी चालो रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

जीवन जेवडी रा सुख दुःख नाका -2
तो नापता ही नापता बित जाव रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय

जिनजी चेहरा पर सुख की चमक है -
तो त्याग से ही सुख मिल जाव रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय -----------------दश लक्षण भादवा का ---

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै ता;-१५.०८.२००५

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Wednesday, September 4, 2024

95 तर्ज बाईसा रा बीरा जयपुर जाज्यो नी (मारवाड़ी)

95
तर्ज बाईसा रा बीरा जयपुर जाज्यो नी (मारवाड़ी)
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त्रिशला रा वीरा, भूल ना जाज्यो जी 2
खड़ा उडीका, कणां थे आस्यो 2

चांदनपुर जाके, घणी मैं भक्ती करी 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

महावीरजी म , लाडू चढ़ाया घणा 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

कुंडलपुर जाके, छत्तर चढ़ाया म्हें 2
नहीं थे आया, आंसुड़ा छलक्या 2

पर्युषण आया, संयम स्यू तपस्या करी 2
सुपना में म्हारे स्यु, मिलबा थे आया 2

बाई सा रा बीरा, बात बतावां सुणो 2
महावीर प्रभू आज , म्हान दरश दिया 2

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
5.9.2024 (00.10 a.m.)
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Wednesday, September 27, 2023

89 तर्ज सावन का महीना पवन करे शोर (मिलन)(राग-पहाङी)


89
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तर्ज सावन का महीना पवन करे शोर (मिलन)(राग-पहाङी)

पद्मावती माता की, भक्ती का यहां जोर
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 
1
पारस प्रभू तोहरे,मस्तक विराजे
इंद्र भी तोहरेे आगे शीश झुकाए
जो भी पारस प्रभू की भक्ती करता दिन रैन
माता उसको दे देती है जीवन के सुख चैन
2
जोत जली हो जिसके, मन में मात की
उसके कमी ना रहे ,किसी भी बात की
प्रसिद्धि मिल जाए , उसे जग में चारों और 
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 
3
रोग शोक भक्तो के मिटाए,
भूत प्रेत की बाधा हटाए
जीवन के हर काम में बिगड़ी बनाती बात
थोड़ी सी भक्ती से माsता सुन लेती है बात
पद्मावती माता की, भक्ती का यहां जोर
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
28.9.23    00.30 am
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Tuesday, August 30, 2022

83_ तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (कन्यादान)(राग असावरी]

83
तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (कन्यादान)(राग असावरी]
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प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई 
तपस्या करके, बैरागी बन जाए
मुनिराज बनके जो, कठोर तप करे
तो सिद्ध पद का,अधिकारी बन जाए
प्रभु की भक्ति में, __
1
कभी उपवास करता है
कभी वो मौन रहता है
सदा ब्रह्मचर्य रखता है
हमेशा सरल रहता है
प्रभु के ध्यान में तपसी, हमेशा डूबा रहता है 
प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई _____
2
किया इन्द्रियों को है वश में 
तपस्वी तुम निराले हो
नमन तेरी तपस्या को
नमन तेरे दृढ़ निश्चय को 
करे अनुमोदना हम सब ,बढ़ो आगे धर्म पथ पर
प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई _____

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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30.8.2022
11.45 pm







Saturday, August 20, 2022

80 अर्हम वंदो, जय पारस देवा

अर्हम वंदो youtube link 
स्तुति 
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अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा।
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
1
श्रीमज जिनेन्द्र,स्याद्दवाद नायक,तीर्थंकराय, दिगंबराय 2
त्रिलोक्य व्याप्तम,त्रिकालदर्शी,त्रिलोक्य लोचन,स्वयंभुवाय,2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
2
हे वीतरागी,पञ्च परमेष्ठी, मेरु प्रतिष्ठे,सम्यक प्रणम्य,
सौधर्म इन्द्र,कर जोड़ी हस्तम, तुभ्यम नमामी, हे पार्श्व नाथम
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
3
रत्नस्य वृष्टि,करी षष्ठ मासे, कुबेर हर्षित,तुभ्यं नमामी 2
वाराणसी,अधि,पति हे देवम,गर्भस्य वामा, मां उर,तिष्ठे, 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
4
अनन्तदर्शी,अनन्तवीर्या,अनन्तचतुष्टय हो तुम जिनेश्वर 2
पादौ पदानी,जिनेन्द्र धत्ते,पद्मानी तत्रे,विबुधा रच्यांती 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
5
चिंतामणि त्वं,ज्योतिस्वरूपी,निराकार हे, निरंजनाय, 2
त्रिलोक्य मंगल,दिव्य ध्वनि त्वं, मुख्स्य उचरे, हे पार्श्व नाथम 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
6
त्वं कल्पवृक्षम, त्वं कामधेनु,विषहर, विनाशम,उवसग्गहारम 2
धरनेंद्र पद्मा, नागेंद्र पूजित, जिनेन्द्र देवम, हे पार्श्व नाथम 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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20.8.2022
9.35 pm 


Saturday, August 14, 2021

69 तर्ज-जब जब बहार आयी और फूल मुस्कराये मुझे तुम याद आये (तकदीर)

69 
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तर्ज-जब जब बहार आयी और फूल मुस्कराये मुझे तुम याद आये (तकदीर)

जब जब गुरु जनों के, चरणों में मन लगाया
तप के भाव जगे २
जब जब गुरु जनों ने, उपदेश है सुनाया
आतम ज्योत जगे २
तप की बहुत है महिमा,दुख सुख में बदल जाए २
भव भव के बंधनों की कड़ियां भी टूट जाए
ओ ओ ओ ओ
आओ करें तपस्या, नवकार मंत्र जप के
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 
तप तप के काया अपनी, कंचन समान करले २
अणुव्रत की पालना कर, मन की भी शुद्धि करले
ओ ओ ओ ओ
नवकार मंत्र जप कर, कर्मों को भी गलाए
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 
तपसी तुम्हारी महिमा, दुनियां भी सर झुकाए २
दुनियां क्या देवता भी, आशीर्वचन सुनाए
ओ ओ ओ ओ
देवो के मन में संयम, इच्छा भी जाग जाए
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 

जब जब गुरु जनों के, चरणों में मन लगाया
तप के भाव जगे २
जब जब गुरु जनों ने, उपदेश है सुनाया
आतम ज्योत जगे २

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 14-8-2021- 11.50 pm
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Sunday, June 7, 2020

65 थोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी(मैने दिल तुझको दिया)

65

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तर्ज़-थोङा सा प्यार हुआ है थोङा है बाकी (मैने दिल तुझको दिया)

हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो

तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो

गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
1

कमल सी कोमल काया,मनोरम छवी निराली
सनावद गांव से निकले, हो के गुरुवर वैरागी

दिशा जीवन की बदली, ब्रह्मचर्य को धारा 
मनोरमा  कमल का लाला,बना जग का सितारा
धन्य हुआ विश्व सारा,धन्य जैनत्व सारा
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
2
दिगम्बर मुनि चर्या में ,शिथिलता कभी नहीं की
संघ को एक सूत्र में ,पिरोकर ज्ञान वृद्धि की
सरलता विनयशीलता, गुणों की खान हो गुरुवर
शास्त्र आगम के ज्ञानी, जुबां पर मां जिनवाणी
शान्तिसागर आचार्य ,के परम भक्त हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो

हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 9.6.2020, 5 pm

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Monday, September 2, 2019

59 तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-रुस्तम

59
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तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-(रुस्तम)
पर्युषण आया है,
प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
1
मैंने छोड़े है पापों के रास्ते
अब आया हूं तेरे पास रे
तेरी भक्ति में डूबा जाऊं में
पहचान ले
मैंने क्रोध कषाय को त्याग दिया
मैंने क्षमा धरम अपना लिया
स्वारथ के इस संसार को
है जान लिया
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
2
कभी किसी भी, गति में जाऊं मैं
तेरे ध्यान से भटक ना जाऊं मैं
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
तेरा मेरा मिलना दस्तूर है
तेरे होने से मुझमें नूर है
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता -2 . 9 . 2019 ,8 PM  
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Monday, July 31, 2017

61 तर्ज -वादा न तोड़,तू वादा न तोड़ [फ़िल्म -दिल तुझ को दिया ]

61 
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तर्ज -वादा न तोड़,तू वादा न तोड़ [फ़िल्म -दिल तुझ को दिया ]

तपस्या करो ,तपस्वी बनो -२
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
1
पंचेन्द्रियों के जाल में फंसकर ,जाने कितने जनम गंवाये
संयम धारण करने से तेरे ,      कर्मो के बंधन टूटते जाये
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो-2
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
2
चारों गति में संयम पालन ,मानव ही कर सकता है धारण
त्यागी तपस्वी ये बतलाये ,  पंचेन्द्रियों से मुक्ति दिलाये
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
 1. 8 . 2017
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Tuesday, September 13, 2016

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]राग "मधुमाद सरंग"

53 
तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]राग "मधुमाद सरंग"
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चारों गतियों में
घूम - आया
सुख कहीं ssना
मैंने पाया
जब शरण में तेरी आया
मनवा   मेरा     हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2

थारी शरण में 
जो  आवे
दुःख  दूर  सब
 हो जावे
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
हर बात भी, तेरी मानी
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति  के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;13 -09 -2016
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Wednesday, September 7, 2016

52 तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता (प्यार ही प्यार)(राग-कीरवानी)

52 
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तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता (प्यार ही प्यार)(राग-कीरवानी)

हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं -2 
हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।
तेरा ध्यान जब लगाया ,मुझे अपना ध्यान आया -2 
तू कहाँ है,  मैं   कहाँ हूँ , यह फासला,   क्यूँ आया 
    तेरे    पास है, पहुँचना , मैंने अपना ध्येय  बनाया। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं----
मन और इन्द्रियों के ,   हो   विजेता तुम जिनेन्द्र -2 
पथ ,जिस पे चल के जग में ,कहलाते हो जिनेन्द्र 
   बढ़ जाऊँ उसी ही पथ पर ,तुम्हें पाऊँ मैं  जिनेन्द्र। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं------
        हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।


रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; 8. 9 . 2016 
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