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तर्ज़ कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाये (आनंद)
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अशुभ करम जब उदय में आये
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये
प्रभूss शरण में आकर के हम
प्रायश्चित के गर,आँसू बहाए ,दुःख कट जाये
1
कभी जब गुरुओं से, होती हैं बातेँ--
गुरु मुस्काते हुये, यूं समझाते --]2
करोगे अच्छा, पाओगे अच्छा
समझ सको तो समझो, पीर पराई-पीर पराई
अशुभ करम जब उदय में आये
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये
2
खाए पीये, पहने ओढ़े, मस्त है मानव --
कैसे बनी वो वस्तु , ये नहीं जानत --2
जरा सा ठहरो,सोचो समझो
क्या उसमें पशुओं की पीर मिलाई-पीर मिलाई
अशुभ करम जब उदय में आये
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये
रचयिता
राजू बगङा
19.9.2012 (00.15am )
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