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Tuesday, October 29, 2024

99 तर्ज लग जा गले की फिर ये हसीं रात हो न हो (वो कौन थी)

99 
तर्ज :  लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो (वो कौन थी)www.rajubagra.blogspot.com 

गुरुवर,  तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐsसे रम गया 
जब से जुड़ा हूँ आपसे , जीवन बदल गया 
1
भोगे अनेकों भोग पर, सुख, s ना,  कहीं मिला 2
समझा था जिसको सुख, उसी sसे, दुःख मुझे मिला 
जागे हैं अब नसीब जो, मुझे तेsरा संग मिला
गुरुवर तुम्हारी भक्ती से, मुझे ऐsसा सुख मिला
2
इंद्रियों से सुख की चाह में, कितने किये हैं पाप 2
कैसे बताऊं आपको,दिल रोsए बार बार
स्वीकार है कर्मों की सजा, जो भी देंगे आप
गुरु की बताई राह पर, चलने को हूँ तैयार 

गुरुवर तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐsसे रम गया 
जब से जुड़ा हूँ आपसे ,जीवन बदल  गया 
गुरुवर तुम्हारी भक्ती में, मैं ऐसे खो गया 
जागे हैं अब नसीब जो, मुझे तेरा संग मिला 
रचयिता 
राजू बगड़ा, Madurai 
30.10.2024 (00.45 a.m)
www.rajubagra.blogspot.com





Friday, September 10, 2021

72 तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे Movie: Shershaah (Year-2021)Singer/गायक: Jubin Nautiyal, Asees KaurMusic Director/संगीतकार: Tanishk BagchiLyrics Writer/गीतकार: Tanishk BagchiStar casts

तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम, तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
1
चारों गतियों में फिर फिर के, आए तोरे द्वारे
करम घुमाएं, भव सागर में, दिखते नहीं किनारे
बन जा तू मांझी,मेरी नांव का
छ्ड के न जाना मेनु, बीच धार में
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे, 2
तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम,तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
रचयिता
राजू बगड़ा, मदुरै
10.9.2021,: 4pm
visit:www.rajubagra.blogspot.com










Sunday, December 30, 2018

58 तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)


प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
1
इतनी सी, छोटी सी, होती है ,ये जिंदगानी-2
रुक जाती है,थम जाती है,जब ये सांसे सारी
स्वार्थी दुनियां में
तू एकला आता है
और एकला जाता है
जब कुछ नहीं मिलता है, फिर क्यों तू रोता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है
2
गुरुओं का संगम जब तब मिल जाता है हमको
उनके उपदेशों से पथ मिल जाता है हमको
जिनवाणी सुनके
इक ज्ञान जो मिलता है
इक आनन्द मिलता है
जब दोनों मिलते है,तब मोक्ष भी मिलता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 4.9.2019 11.30.P.M
www. rajubagra.blogspot.com

Tuesday, September 13, 2016

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]
www.rajubagra.blogspot.com 
चारों गतियों में
घूम - आया
सुख कहीं ssना
मैंने पाया
जब शरण में तेरी आया
मनवा   मेरा     हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2

थारी शरण में 
जो  आवे
दुःख  दूर  सब
 हो जावे
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
हर बात भी, तेरी मानी
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति  के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4


रचयिता -राजू बगड़ा
ता;13 -09 -2016
www. rajubagra.blogspot.in




Wednesday, September 7, 2016

52 तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता

हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं -2 
हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।
तेरा ध्यान जब लगाया ,मुझे अपना ध्यान आया -2 
तू कहाँ है,  मैं   कहाँ हूँ , यह फासला,   क्यूँ आया 
    तेरे    पास है, पहुँचना , मैंने अपना ध्येय  बनाया। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं----

मन और इन्द्रियों के ,   हो   विजेता तुम जिनेन्द्र -2 
पथ ,जिस पे चल के जग में ,कहलाते हो जिनेन्द्र 
   बढ़ जाऊँ उसी ही पथ पर ,तुम्हें पाऊँ मैं  जिनेन्द्र। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं------
        हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।


रचयिता -राजू बगड़ा 
www. rajubagra.blogspot.com
 ता ; 8. 9 . 2016 





    

Thursday, September 17, 2015

49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ]


जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल  , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा -करले पापो से तौबा

पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो  को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
                            हा तो -जैसा जो बोयेगा

दश धर्मों के -  दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब  तपाले तू -२
याद रखना फिर  -२ मुक्ति पाओगे
                             हा  तो -जैसा जो बोयेगा

रचयिता -राजू बगड़ा
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm

Saturday, August 30, 2014

22 तर्ज-हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में

तर्ज -हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में [जांबाज ]



तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

१ 
सब क़ुछ था तेरे पास प्रभु ,फिर भी तुमने सब त्याग दिया -2 
मोह माया के रिश्ते झूठे , 
नश्वर संसार को त्याग दिया -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

२ 
कर्मों के आप ही नाशक हो ,और मोक्ष मार्ग के नेता हो -2 
त्रिलोक को ज्ञान से जान लिया 
इक तुम ही केवलज्ञानी हो -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

रचयिता  -राजू बगड़ा 
ता ;31 . 8 . 2014 
12. 45 AM 

Tuesday, September 10, 2013

46 तर्ज -क्योंकि तुम ही हो [आशिकी 2 ]



हम  तेरे  चरणों  में आये है जिनवर
अपना शीश झुकाने को
तुझ को छू  कर मिल जाये मुक्ति

है विश्वास   मेरे मन को

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो

तेरा मेरा रिश्ता पुराना
भक्ति कभी टूटी ही नहीं
मै कभी तुमसे दूर हुआ पर , तुमने  मुंह मोड़ा ही नहीं
हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो


मेरे लिए ,ही जिया मै , हूँ स्वार्थी
कर दिया है ,भोगो में जिन्दगी को  पूरा -सारी अच्छाइयों को  छोड़ा

हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो

रचयिता -राजू बगडा
ता ; १०. ०९. २०१३








Sunday, September 8, 2013

43 तर्ज -जीने लगा हूँ पहले से ज्यादा [रमैया वस्तावैया ]


करने लगा हूँ  भक्ति प्रभु की
पहले से ज्यादा अब मै करने लगा हूँ
ओ ssssss ओ sssssss ओ ssssss

मै तेरे ध्यान में डूबा रहूँ
 खुद की मै  पहचान करता रहूँ
जीना मुझे तू सिखाता रहे
कर्मो का मैल हटाता रहूँ

करने लगा हूँ  भक्ति प्रभू  की ------------

जन्म जन्म के मेरे संस्कार कैसे
उलझा हुआ हूं झूठी माया में ऐसे
झूठी माया में  मै   उलझा ,जनम  जनम से कैसे
तेरी शरण में आया भगवन मुझको बचाले भव से

तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ------ओ sssss

उत्तम क्षमा के फूल खिलने लगे है
हिंसा के कांटे मन से खिरने लगे है
फूल क्षमा के अब तो मेरे, मन में खिलने लगे है
तेरे ध्यान से क्रोध के कांटे ,मन से खिरने लगे है
तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ----ओ ssssss

रचयिता -राजू बगडा
ता ;०८. ०९. २०१३