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Thursday, August 21, 2025

108 तर्ज मैं शायर तो नहीं,मगर ए हसीं (बाॅबी) (राग-कीरवानी)

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तर्ज मैं शायर तो नहीं,मगर ए हसीं (बाॅबी) (राग-कीरवानी)

मैं ज्ञानी, तोss नहींss,2
मगरss हेss प्रभूss,
जब से दर्शन, हुआ तेरा मुझमें
चेतनाss आ गयी
मैं भोगी तोss नहींss
मगरss हेss प्रभूss,
जब से दर्शन,हुआ तेरा मुझमें
विरक्तिss आ गयी
मैं लोभी तोss नहींss
मगरss हेss प्रभूss,
जब से दर्शन,हुआ तेरा मुझमें
त्याज्यताss आ गयी
1
धर्म का नाम ,मैंने सुना था मगर]
धर्म क्या है, ये मुझको नहीं थी खबर ]2
जब से गुरुओं का उपदेश सुनने लगा
मन मेरा भी, कुछ कुछ, बदलने लगा
मैं पापी तो नहींss 2
मगरss हेss प्रभूss,
जब से दर्शन, हुआ तेरा मुझमें
सरलताss आ गयीss- 
मैं ज्ञानी, तोss नहींss-----
2
सोचता हूं ,प्रभू तुमसे कुछ  मांगता]
चरणों में,झुक के, तेरे ,मैं क्या मांगता]2
जब से दश धर्म पालन मैं करने लगा
क्रोध माया से, मैं,-दूर होने लगा
मैं क्रोधी तो नहीं 2
मगरss हेss प्रभूss,
जब से दर्शन, हुआ तेरा मुझमें
सौम्यताss आ गयी
मैं ज्ञानी, तोs नहींss
मगर हेss प्रभूss,
जब से दर्शन, हुआ तेरा मुझमें
चेतनाss आ गयी

रचयिता राजू बगङा "राजकवि"(sujangarh) मदुरै
21.8.2025 (11.45 pm )
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Wednesday, August 13, 2025

106 तर्ज-चंदन सा बदन चंचल चितवन (सरस्वती चंद्र)राग यमन

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तर्ज-चंदन सा बदन चंचल चितवन
(सरस्वतीचंद्र)राग यमन

चंचल मन की,व्याकुलता से]
छुटsकारा पाsनेs आsये हैं]2
प्रभू तेरी भक्तीs, करकेs हम 2
सुख शान्तिs पानेs आsये हैं
 1
प्रभू आप हो,स्वयंभूs, सिद्धात्माs ]
तिर्थंकर, और, केवलज्ञाsनी ]2
त्रिलोक त्रिकाल के ज्ञाताs हो
वीतरागी हो त्रिभुवन स्वामी
   मुझ तुच्छ अज्ञानीs आत्मा पर 2
   थोङी सी कृपाs,बरsसाs देना
   चंचल मन की,व्याकुलता से
2
चिंतामणी,ज्योति स्वरुपीs हो ]
और अनन्त सुख के धारीs हो ]2
दर्शी अनन्त,वीर्य अनन्त, 
और अनन्त चतुष्टय धारी हो
   मुझ तुच्छ अज्ञानीs आत्माs पर 2
   थोङी सी कृपा,बरसाs देना
चंचल मन की,व्याकुलता से]
छुटsकारा पाsनेs आsये हैं]2
प्रभू तेरी भक्तीs, करकेs हम 2
सुख शान्तिs पानेs आsये हैं

 रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
             ताः13.8.2025 (11.30 pm)
             www.rajubagra.blogspot.com 


Monday, November 18, 2024

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)
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आँखों को
आँखों को ,बन्द करके, सिमरो तुम ,प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
 1
कोई नहीं है, तेरा अपना 
स्वारथ का , s ये खेsला 2
जिनके लिये तू, पाप कमाता
माया का, s वो  झsमेला 2
जीवन की संध्या में, होगी सब की पहsचान 
आँखों को ,
आंखों को ,बन्द करके, सिमरो.तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
2
सब कुछ अपना,प्रभु  ने त्यागा,
सच्चा सुखs पाsनेs को 2
इन्द्रिय सुख को जङ से त्यागा
मुक्ती रमाs पाsनेs को
संयम धारण से ही पायेंगे सुख आsराम 
आँखों को 
आँखों को,बन्द करके, सिमरो  तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं ओमsss
णमो आइरियाणं,णमो उवझ्झायाणं ओमsss
ओम णमो लोए, सव्व् साहुणं ओमsss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
18.11.2024 (11.55 pm)
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Monday, September 9, 2024

77 तर्ज ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा (दिल्ली का ठग)



77
तर्ज ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा 
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ये त्यागी,तपस्वी, गुरुवर हमारे, है जैनों की शान 2
करे देव ,गुरुओं, के, चरणों में आ कर, के शत शत प्रणाम 
1
सभी जीवों पे, ये दया भाव रखते,2
अहिंसा से चलते, किसी से ना डरते 
नहीं राग करते,
नहीं द्वेष करते 
हैं ये वीतरागी, रहे समता के साथ 
ये त्यागी,तपस्वी, गुरुवर हमारे, है जैनों की शान
करे देव ,गुरुओं, के, चरणों में आ कर, के शत शत प्रणाम 
2
बहुत ही कठिन साधना में  ये रहते 2
कभी महीनों तक भी निराहार रहते 
रहे चाहे गर्मी 
रहे  चाहे सर्दी 
सभी s ऋतुओ में, रखें समता के भाव 
ये त्यागी,तपस्वी, गुरुवर हमारे, है जैनों की शान 2
करे देव ,गुरुओं, के, चरणों में आ कर, के शत शत प्रणाम 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
8.9.24 (10.30 pm )
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Saturday, August 24, 2024

93 तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत) (राग-पहाङी)

93
तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)(राग-पहाङी)
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ये मन प्रभू बिन,कहीं,-रमताss नहीं, हम क्याss करें 
गुरु तुम बिन, कोई- ,जंचताss नहीं हम क्याss करें 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs- ,
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss
1
तुम्हारी,-वंदना करना, तुम्हारेs ध्यान में रहना 2,
दिखाए, आपने जो पथ, उन्ही की साधना करना 
मिलेगी मुक्ति की मंजिल, 
इसी विश्वासs सेs चलना 
गुरु तुम बिन, -कोई जंचताss नहीं हम क्याss करे 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs,-
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss
2
तुम्हारे, चरणों की मैं धूल, मुझे इतनी जगह देना 2
तपस्या, साधना संयम की, करलूं ऐसा बल देना
कभी मैं डगमगा जाsऊं, 
तो, हरपल साsथ मेंs रहना
गुरु तुम बिन,-कोई, जंचताss नहीं हम क्याss करे 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs,-
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss

ये मन प्रभू बिन,कहीं,-रमताss नहीं, हम क्याss करें 
गुरु तुम बिन, कोई- ,जंचताss नहीं हम क्याss करें 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs- ,
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
मदुरै 
25.8.24 (00.30 am)
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Sunday, August 28, 2022

82 तर्ज कुन फाया कुन (रॉक स्टार)

82 
तर्ज कुन फाया कुन (रॉक स्टार)
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भक्ति तेरी करने,
आ र ती करने,
हम सब आये ,दर पे तेरे 
तेरे बिन खाली आजा, दर ये तेरा
तेरे बिन खाली आजा, दर ये तेरा
मणिभद्रा,
मणिभद्रा,
मणिभद्रा sssssss
मणिभद्रा sssssss
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन,बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन

जब कहीं पे, किसी का, संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
जब कहीं पे, किसी का,संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
वो जो मुझको हंसाया, वो जो मुझको सम्हाला
बाबा तूं ही तूं ही आया था 
वो जो मुझको हंसाया, वो जो मुझको सम्हाला
बाबा तूं ही तूं ही आया था 
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
1
तुझ में डूबा है, मेरा मन, मेरा तन 
करो न सुनवाई अब लागे नहीं मन 
तुझ में डूबा है, मेरा मन, मेरा तन 
करो न सुनवाई अब लागे नहीं मन 
करता हूं पूजा तेरी, सुबह और शाम
भोग चढ़ाऊं तेरे भर भर थाल 
ओ ओ ओ ओ ओ 
करता हूं पूजा तेरी, सुबह और शाम
भोग चढ़ाऊं तेरे भर भर थाल 
सुनता नहीं क्यूं दिल की बात
ओ बाबा ssss बाबा sssss 
सुन बाबा सुन , सुन बाबा सुन
सुन बाबा सुन ,सुन बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
जब कहीं पे, किसी का, संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
जब कहीं पे, किसी का,संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था

तूने मुझको हंसाया, 
मैं तो जग को ना भाया 
तूने गले से लगाया 
तेरे पीछे चला आया 
तेरा ही मैं इक साया 
ओ ssss ओ ssss 
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन बाबा सुन , सुन बाबा सुन
सुन बाबा सुन ,सुन बाबा सुन

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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28.8.2022
2.30pm




Saturday, August 27, 2022

81 तर्ज कैसे बताएं, क्यूं तुझको चाहें, यारा बता ना पाएं (अजब प्रेम की गजब कहानी)

81 तर्ज कैसे बताएं, क्यूं तुझको चाहें, यारा बता ना पाएं (अजब प्रेम की गजब कहानी)
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कैसे बचाएं, पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
मिलके भी हम ना मिलें, तुमसे न जाने क्यूं
जन्मों के, है फासले, तुमसे न जाने क्यूं
जुड़ता हूं ,फिर भी मैं क्यूं , तुमसे न जाने क्यूं
आशा है, मुक्ति की बस, तुमसे न जाने क्यूं 
कैसे बचाएं पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
1
निगाहें झुकी है मेरी,तेरे चरण में 
कृपा तेरी चाहूं मैं हुजूर
ओsओ
जाने तेरे दर पे, मिले, कैसा ये शुकून
दुनियां के दुख मैं,जाऊं भूल 
तेरे पास हो के भी,
तेरा दास हो के भी
सदा साथ हो के भी,
जानूं नहीं
कैसी है, 
मुझमें कमी, मुझमें न जानें क्यूं 
जन्मों के है फासले, तुमसे ना जानें क्यूं
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
ओ जानू ना ss जानू ना ss जानू ना 
ओ sss ओ sss मैं जानू ना
2
प्रभू तेरी भक्ति में, मैं क्या क्या कह गया
बोले कुछ ना, वापस आप तो
ओsओsओ 
हुए ना कृपालु, मुझसे,हो गई क्या खता
देखो अब तो हो गईं इन्तहा
अफसोस होता है,दिल भी ये रोता है,
सपने संजोता है
पगला हुआ, 
माने ना 
जुड़ता है ये, तुमसे न जाने क्यूं
जन्मों के, है फासले, तुमसे न जाने क्यूं
मिलके भी हम ना मिलें, तुमसे न जाने क्यूं
आशा है, मुक्ति की बस, तुमसे न जाने क्यूं 

कैसे बचाएं, पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 5
रचयिता
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रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
25.8.2022
6.30pm













Thursday, September 17, 2015

49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)

49 
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तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)
जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल  , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा - पापो से करले तौबा

पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो  को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
                            हा तो -जैसा जो बोयेगा

दश धर्मों के -  दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब  तपाले तू -२
याद रखना फिर  -२ मुक्ति पाओगे
                             हा  तो -जैसा जो बोयेगा

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm
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Tuesday, December 30, 2008

31 तर्ज -रात कलि इक ख्वाब में आयी (बुड्ढा मिल गया)(राग-खमाज)

31 
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तर्ज -रात कलि इक ख्वाब में आयी (बुड्ढा मिल गया)(राग-खमाज)

आज प्रभु तेरे चरणों में आकर -जीवन मेरा धन्य हुआ
सुबह सुबह तेरे दर्शन पाकर -मन अत्यंत प्रसन्न हुआ

यूँ तो जगत में ,चाँद और सूरज ,करते है रोज उजियारे
पर तेरे ज्ञान की ,जोत से मिटते , आतम के अंधियारे
तेरी चमक से ,मेरे जीवन में
ज्ञान का फिर संचार हुआ -------------आज प्रभु

जनम जनम से, भवसागर में ,कर्मो के जाल बुने है
उन जालो में ,फंसकर क्या क्या ,दुःख ना मैंने सहे है
तेरे ज्ञान की ज्योती से मुझको
कर्मों की लीला का भान हुआ ---------आज प्रभु

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ताः-30.12.2008
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Wednesday, August 6, 2008

07 तर्ज;-सैय्या दिल में आना रे (बहार)

07 तर्ज;-सैय्या दिल में आना रे (बहार) 
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स्थायी
सैया मन्दिर जाना रे
दर्शन कर के आना रे
प्रभु को शीश झुकाना रे ----------सुन सैया सुन सुन
अक्षत अर्घ चढाना रे
गंधोदक लगाना रे
आरती कर के आना रे ----------सुन सैया सुन सुन
अंतरा १
मन्दिर में पारस प्रभु की ,मोहनी मूरत होगी -२
भक्ति के गीत गाते,भक्तो की टोली होगी
तूं भी संग संग उनके पूजा कर आना रे -----सैया मन्दिर जाना रे

पूजा की थाली होगी, केसर की प्याली होगी -२
दीपों की जगमग करती ,छटा निराली होगी
श्री जी को अर्घ चढा कर आना रे ---------सैया मन्दिर जाना रे

फलो की थाली होगी ,शास्त्र जिनवाणी होगी -२
श्री जी के पास में ही चांदी की माला होगी
माला प्रभु जी की तुम फेर के आना रे --------सैया मन्दिर जाना रे
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-०८.०८.२००६
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