Friday, August 8, 2008

28 तर्ज;-तुम्हें गीतों में ढालूँगा -सावन को आने दो

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मै मुक्ति पद पाउँगा -२
दश धर्म निभाऊंगा
दश धर्म मै निभाऊंगा

बदले की अग्नि में जलना
ख़ुद को है भव भव घुमाना
हिंसा की अग्नि बुझाना
क्षमा का नीर बहाना ---------मै क्षमा को धारूंगा -२
दश धर्म निभाऊंगा ----------दश धर्म मै निभाऊंगा

चरणों में आया हूँ वीरा
शीतलता मुझ को मिल जाए
मुरझाई ज्ञान लता ये
तेरी कृपा से खिल जाए --------------- मै ज्ञान को पाउँगा -२
दश धर्म निभाऊंगा -----------------दश धर्म मै निभाऊंगा

आतम का भेद ना जाना
पुदगल से मोह लगाना
कैसे सुनाऊ अपनी पीड़ा
कितना अभागा हूँ महावीरा-------------तेरा ध्यान लगाऊंगा -२
दश धर्म निभाऊंगा ----------------दश धर्म मै निभाऊंगा

मै मुक्ति पद पाउँगा ---------------------
रचयिता -राजू बगडा-ता;-२०.०८.१९८०

29 तर्ज;-रात और दिन दिया जले

रात और दिन दिया जले
मेरे मन में फिर भी अँधियारा है
जाने कंहा हो प्रभु तुम
तू जो मिले जीवन उजियारा है ------------रात और दिन

पग पग मन मेरा ठोकर खाय
चाँद और सूरज भी राह न दिखाय
ऐसा उजाला कोई मन में समाय
जिससे तिहारा दर्शन मिल जाए ------------रात और दिन

देखूं प्रभु जब तुम्हे मन में बसाय
मेरे मन की कलि- कलि ही खिल जाए
ऐसा उजाला कोई मन में समाय
जिससे तिहारा दर्शन मिल जाए ------------रात और दिन

कब से भटक रहा प्रभु मै मगर
फिर भी क्यूँ मिली नही सुख की डगर
आज जो देखा प्रभु तुम्हे मन ध्याय
शान्ति ही शान्ति मेरे मन आय ----------रात और दिन
रचयिता -राजू बगडा-ता;- १०.०८.१९७९

08 तर्ज;-जिन्दगी की न टूटे लड़ी -[क्रांति]

जिन्दगी की न टूटे लड़ी
वीर भजले घड़ी दो घड़ी
अपनी काया की नौकरिया छोडो
आतम की लगी है बड़ी ------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी

उस धन का तो होना भी क्या
जिस धन से भलाई न हो
ऐसा जीना भी जीना नहीं
जिसमे मन में दया ही न हो -------------हो दया ही न हो
मन में ज्योति जलेगी तभी ------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी

आज से कर लो वादा सभी
दश व्रत पूरे करेगें सदा
मुक्ति पथ पर चलेगें सभी
प्रभु का साथ पायें सदा -----------------हो मोह माया की
मोह माया की किसको पड़ी ---------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी
रचयिता -राजू बगडा-ता;- १५.०७.१९८०

Thursday, August 7, 2008

09 तर्ज;-दल बादल बिच चमक्या जू तारा [मारवाडी]

पारसनाथ जगत का थे तारा -कि तीनो ही लोका म सब स्यूं हो प्यारा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

जल स्यूं पूजा म्हे चंदन स्यूं पूजा ,कि अक्षत पुष्पा री माला स्यूं पूजा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

मीठा मीठा नैवेध चढावा, कि दीपा री ज्योति स्यूं हियो उमगावा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

चंदन अगर कपूर जलावा,कि शिवपुर जाबा ताई फल भी चढावा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

आठो दरब स्यूं म्हे पूजा रचाई ,कि पारस री पूजा है अति सुखदाई
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं
रचयिता -राजू बगडा-ता;-१५.०८.२००५

Wednesday, August 6, 2008

06 तर्ज;-तू बोल बोल रे बोल तमूरा भाई रे -मारवाडी -लाल सोट

06 तर्ज;-तू बोल बोल रे बोल तमूरा भाई रे -मारवाडी -लाल सोट
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तू बोल बोल रे बोल तमूरा भाई रे
जिवडा न जीणों सिखाई रे
तू बोल तमूरा भाई रे '''''''बोल

साँची साँची बोल तमूरा -कुण थारो संगी साथी -२
कुण इसो जो मरबा पाछ -थार संग संग जासी
तमूरा भाई रे
मरघट तक साग जासी
त न बाल बे पाछा आसी
त न भलो बुरो बे केसी
थारी सम्पति बाँट बे खासी
थार कर्मा रो बोझो बाँटण न -त न अंगुठो दिखासी
बावला भाई रे -जिवडा न जीणों सिखाई रे '''''''''बोल

आँख स्यूं गीड,कान स्यूं कीटी नाक स्यूं सेडो आव -२
इण काया र हर छेदा स्यूं मैल ही बाहर आव
तमूरा भाई रे
काया म मत रम जाई रे
काया तो मैल री ढेरी
बदबू मार बहुतेरी
तूं मल मल साबूण खूब नहाव - साफ नहीं आ हुयी
बावला भाई रे -जिवडा न जीणों सिखाई रे ''''''''''''''''बोल

तीन लोक म कर्म न ,सब स्यूं ताक़तवर बतलाव -२
कर्म कोई न छोड़ कोनी,तीर्थन्कर दुःख पाव
तमूरा भाई रे
तू कर्मा स्यूं घबराई रे
जे चोखा कर्म क र लो
स्वर्गा म पाँव धर लो
जे खोटा कर्म करय्या तो ,नरक निगोद म जाय पड़ लो
बावला भाई रे -जिवडा न जीणों सिखाई रे ''''''''''''''''''''''''बोल
रचयिता -राजू बगडा-ता;-१५.०१.२००६
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07 तर्ज;-सैय्या दिल में आना रे

07 तर्ज;-सैय्या दिल में आना रे
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स्थायी
सैया मन्दिर जाना रे
दर्शन कर के आना रे
प्रभु को शीश झुकाना रे ----------सुन सैया सुन सुन
अक्षत अर्घ चढाना रे
गंधोदक लगाना रे
आरती कर के आना रे ----------सुन सैया सुन सुन
अंतरा १
मन्दिर में पारस प्रभु की ,मोहनी मूरत होगी -२
भक्ति के गीत गाते,भक्तो की टोली होगी
तूं भी संग संग उनके पूजा कर आना रे -----सैया मन्दिर जाना रे

पूजा की थाली होगी, केसर की प्याली होगी -२
दीपों की जगमग करती ,छटा निराली होगी
श्री जी को अर्घ चढा कर आना रे ---------सैया मन्दिर जाना रे

फलो की थाली होगी ,शास्त्र जिनवाणी होगी -२
श्री जी के पास में ही चांदी की माला होगी
माला प्रभु जी की तुम फेर के आना रे --------सैया मन्दिर जाना रे
रचयिता-राजू बगडा-ता;-०८.०८.२००६
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Tuesday, August 5, 2008

26 तर्ज;-मारवाडी

वीर म्हारी अर्जी सुण ल्यो नी-२
म्हे कब स्यूं खड़ो बुलाऊ -म्हारी अर्जी सुण ल्यो नी

भगत थे माया म भरमाया -२
थान कैय्या म्हे समझावा -थारी मर्जी बोलो नी

वीर म्हे दुःख से हा घबरावा-२
म्हान सुख रि राह बता दो म्हारी अर्जी सुण ल्यो नी

भगत थारी बाता बहुत निराली -२
थे बोवो पेड़ बबुल का और चाहो आम रि डाली

वीर म्हान सुध बुध देवो नी -२
थे दया रा हो महासागर म्हारी अर्जी सुण ल्यो नी

भगत जे सचमुच सुख थे चाहो -२
दस धर्म निभा कर मुक्ति संग ब्याह रचा ल्यो नी
रचयिता-राजू बगडा-ता;-२९.०८.१९९५

05 तर्ज;-हो वामा जी रा बेटा

05 तर्ज;-हो वामा जी रा बेटा
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हो वामा जी रा बेटा ,अश्वसेन जी रा लाला ,वाराणसी रा सरदार
म्हारो हेलो सामलो नी ओ बाबा नी
ओ बाबा म्हारो हे लो सामलो नी बाबा नी
हे लो ओ बाबा हे लो -२

जलते देख नाग नागिन को णमोकार सुनाया नी -२
इन्द्र नरेन्द्र फनेंद्र सभी थार चरणों में शीश झुकाया नी -२
हे &&&& हे हे -हे हे -हे
हो मुक्ति रा भरतार,थार चरणा म संसार ,गाव थारी जय जय कार
म्हारो हेलो सामलो नी हो बाबा नी
हो बाबा म्हारो हेलो सामलो नी बाबा नी

लख चौरासी फिरतो आयो पायो नहीं सहारो-२
दीन दयाल कृपा कर राखो म्हे चाकर हूँ थारो -२
हे &&&& हे हे -हे हे -हे
हो शिखरजी रा राजा,आजा म्हान राह दिखा जा
म्हारो कर द बेडा पार,म्हे तो हो जांवा निहाल
थारी महिमा अपरमपार
म्हारो हे लो सामलो नी बाबा नी
हो बाबा म्हारो हे लो सामलो नी बाबा नी

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रचयिता -राजू बगडा-ता ;-२९.०८.१९९५

Sunday, August 3, 2008

04 तर्ज;-आंखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं है -फिल्म -ॐ शान्ति ॐ

04 तर्ज;-आंखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं है -फिल्म -ॐ शान्ति ॐ
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प्रभु मै तो थारी ,पूजाsपाठ रचाऊं
ओsओsओsओ,
प्रभु मै तो थारी ,पूजाsपाठ रचाऊं
दिssया जलाऊं -अर्घ चढाऊं ,मन में --हुल्साऊं

तेरे चरणों में मिलता ,मेरे मन को चैन है
मन हो जाए फूल सा कोमल ,मिटते मन के मैल है
तेरे चरणों में ध्यान लगा के लगा के मै तप जाऊँ
तेरे ज्ञान की जोत हिये में जलाये ही मर जाऊँ -ओ ओ
प्रभु मै तो थारी पूजा पाठ ---------------------

कैसे छोड़ी ईर्ष्या को ,कैसे छोड़ा क्रोध को
कैसे जीती काम वासना ,कैसे जीता मोह को
मै तो ये छोड़ नहीं पाया ,प्रभु इक पल को
अचरज है ये जीत लिया प्रभु तुमने इन सबको -ओ ओ
प्रभु मै तो थारी पूजा पाठ ---------------------
रचयिता -राजू बगडा-ता;-२०.०१.२००८
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