मंगलम भगवान वीरो,मंगलम गौतमो गणी । मंगलम कुन्द्कुंदाद्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम ॥ णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उव्झायाणं णमो लोए सव्व साहुणं..ऐसो पञ्च णमोक्कारो,सव्व पाव पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिम् पढमं हवई मंगलम ........ मैंने कुछ भजन भगवान् की भक्ती मे अर्पण किये है -आप भी इनका रसपान करे ! by raju bagra-madurai
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Saturday, March 13, 2010
32 तर्ज-हम दोनो मिलके,कागज पे दिल के,चिट्ठी लिखेगे,जबाब आएगा
गुरुओ से मिल के
जिनवाणी सुन के
ध्यान करने से, प्रभु मिल जायेगा
१
मन्दिर की घंटी बजे तो, दौड़े चले आना
प्रभु अभिषेक से अरिष्ट को मिटाना
पूजा की थाली को अष्ट द्रव्य से सजाना
प्रभु की पूजा में, तन मन से जी लगाना
मन में मन्दिर के
प्रभु बसाले
प्रभु बसाने से भव तर जायेगा -----------------गुरुओ से मिल के
२
मन्दिर में प्रभु के ऊपर , तीन छतर सोहे
प्रभु के चेहरे की,मुस्कान मन को मोहे
तीन लोक की सम्पति सगरी,त्यागी इक पल में
हो के वीतरागी , वो समाये कण कण में
नश्वर है काया
सब कुछ पराया
कुछ भी नहीं तेरे साथ जायेगा -------------------गुरुओ से मिल के
रचयिता -राजू बगडा
१३.०३.१०
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