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तर्ज चांद सी महबूबा हो मेरी कब
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(गुरुनंदिनि, मांs के चरणों में,शत शत वंदन करते हैं )गुरु माता के चरणों में हम, शत शत वंदन करते हैं
त्याग तपस्या की देवी का हम अभिनंदन करते हैं
१
मुख पे है तेज तपस्या का, वाणी मीठी लिए कोमलता
तत्वों को ज्ञान से जान लिया,मन को दे दी है स्थिरता
मन को दे दी है स्थिरता
पिछी कमंडल, हाथों में लेकर, नंगे पांव निकलती है
गांव गांव और शहर शहर में, ज्ञान की वर्षा करती है
(गुरुनंदिनि मांs के चरणों में,शत शत वंदन करते हैं )
गुरु माता के चरणों में हम, शत शत वंदन करते हैं
त्याग तपस्या की देवी का हम अभिनंदन करते हैं
२
ना रागी है ना द्वेषी है, सबकी बन जाती हितैषी है
जो सत्य है,वो ही बतलाती, जन जन के मन को भाती है
जन जन के मन को भाती है
पिछी कमंडल, हाथों में लेकर, नंगे पांव निकलती है
गांव गांव और शहर शहर में, ज्ञान की वर्षा करती है
(गुरुनंदिनि मांs के चरणों में,शत शत वंदन करते हैं )
गुरु माता के चरणों में हम, शत शत वंदन करते हैं
त्याग तपस्या की देवी का हम अभिनंदन करते हैं
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रचयिता
राजू बगड़ा
मदुराई
25.4.2024
1.15 AM
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