Showing posts with label dukho. Show all posts
Showing posts with label dukho. Show all posts

Monday, September 13, 2010

34 तर्ज -सुहानी चांदनी राते हमें सोने नहीं देती [मुक्ति] (राग-दरबारी कन्नड)


34
www.rajubagra.blogspot.com 
 तर्ज -सुहानी चांदनी राते हमें सोने नहीं देती [मुक्ति]
(राग-दरबारी कन्नड)
सुनानी है प्रभु तुमको मेरे संसार की बाते
निरंतर बढते कर्मो से दुखो की बढती सौगाते

नरक में बदले की अग्नि ,स्वर्ग में ईर्ष्या की अग्नि
हर इक गति में उठाये दुःख -न आई सुध कभी अपनी
बड़ी मुश्किल से पाया है ,तुम्हे इस जनम में आके
न छोड़ूगा तुम्हे अब मै किसी की बातों में आके .........सुनानी है ..........

कहीं ऐसा न हो -फिर से -मैं तुमसे दूर  हो जाऊं
दिखा देना वो सच्ची राह अगर मै डगमगा जाऊं
नयी शुरुआत  करनी है तुम्हारी शरण में आके
न छोड़ूगा तुम्हे अब मै किसी की बातों में आके ........सुनानी है ............

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
१२ -०९ -२०१०
www.rajubagra.blogspot.com