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Tuesday, September 6, 2011

37 तर्ज -कव्वाली -वादा तेरा वादा,वादे पे तेरे मारा गया ,बंदा मै सीधा सादा [दुश्मन ]

इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे http://sound1.mp3pk.com/artist/kishore_kumar/the_prodigy_vol3/3prodigy12(songs.pk).म्प३

कि  प्राणी बच नहीं सकता -कभी कर्मो के घेरो से 
और मुक्ति पा नहीं सकता-बिना उनको जलाने से

स्थायी
मै मंदिर रोज जाऊ
मै पूजा रोज   करू 
मै सामायिक भी करू
हो अब और प्रभु क्या क्या करू

कर्मो ने मुझे घेरा 
घेरा मुझे घेरा -कर्मो ने है घेरा-२
कर्मो के चक्करों में फंसा 
भगत सीधा सादा
घेरा मुझे घेरा -कर्मो ने है घेरा-२
ये कैसे कर्म है जी -मुझे छोड़े ही नहीं
कभी दुःख को दिखाते -कभी सुख को दिखाते
कभी मनुष्य गति -कभी तिर्यंच गति
कभी नरको की गति-कभी स्वर्गो की गति

जंहा पे लेके जाते -वहीँ का ही बनाते 
और कभी पागल बनाते-कभी मूरख बनाते-२

अगरचे खूब ये कर्म -बड़े चालू है ये कर्म-२
कर्म कैसी बला है-या कोई जलजला है

किसी शास्त्री से पूछो 
किसी पंडित से पूछो
कर्मो की कैसी लीला 
कर दिया मुश्किल जीना 
हो &&&&& दामन में मेरे फूल है कम -और कांटे है जियादा 
                                                                     घेरा मुझे घेरा-------------------
कभी शुभ कर्म आते -कभी अ-शुभ भी आते
कभी दोनों रुलाते -कभी दोनों हंसाते
कभी राजा बनाते-कभी ये रंक बनाते
कभी सब कुछ दिलाते -कभी सब कुछ ले जाते

मुनि तपस्या करते -ये उन्हें भी डराते
और कभी अन्तराय लाते-तपस्या भंग कराते-२

मगर छोड़े नहीं किसी को -चाहे भगवान भी वो हो-२
दिखा के रूप अपना -नचाते हर किसी को

बुलाये छाँव कोई
पुकारे धूप  कोई 
तेरा हो रंग कोई
तेरा हो रूप कोई
हो &&&&& कुछ फर्क नहीं नाम तेरा-अच्छा हो या बुरा 

घेरा मुझे घेरा-कर्मो ने है घेरा
कर्मो के चक्करों में फंसा 
भगत सीधा सादा
                    घेरा मुझे घेरा------------------------------
रचयिता 
राजू बगडा
ता; ६.९.२०११ 






Saturday, August 6, 2011

36 तर्ज -मुन्नी बदनाम हुयी डारलिंग तेरे लिए [दबंग]

इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे
http://sound17.mp3pk.com/indian/dabangg/dabangg02(www.songs.pk).म्प३

मंदिर की जोत बनू ,प्रभुजी तेरे लिए -३
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
माथे का मुकुट बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
चांदी का छतर बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

सारे भोगो से मेरा मन भर गया ,---मन भर गया -२
तेरे चरणों में आके दिल खुश हुआ ,----दिल खुश हुआ
ध्यान करने से तेरा मिलती है खुशिया &&&&&
ध्यान करने से तेरा मिलती है खुशिया और नाचे जिया
फूलो का हार बनू प्रभुजी तेरे लिए
केसर के फूल बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

हो वीरा ,हो वीरा
हो वीरा रे,हो वीरा रे-तेरा गली गली चर्चा रे
लगा भक्तो का -भक्तो का मेला रे
हो वीरा रे ए ए ए ए ए 

लाखो दुखो की तू है ,एक दवा--------एक दवा -२
राजा और रंक सारे आते यंहा ------आते यंहा
शीश झुकाते तेरे आगे ये सारे &&&&&&&
शीश झुकाते तेरे आगे ये सारे और मांगे दुआ
मै तेरे जैसा बनू   प्रभु  जी  तेरे लिए
चरणों की धूल बनू प्रभु जी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

चारो गतियो में फिरता हो अधमरा -----हो अधमरा -२
दुखो से रहता हरदम  साथ  मेरा --------साथ  मेरा
बड़े भागो से मुझको आज मिला है &&&&&&
बड़े भागो से मुझको आज मिला है दर्शन तेरा बड़ा
मोतियन की माला बनू प्रभुजी तेरे लिए
मै बांदरवाल बनू  प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए

तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
दीये की बाती बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की घंटी बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की ध्वजा बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर का कलश बनू प्रभुजी तेरे लिए

पिछी कमंडल बनू प्रभुजी तेरे लिए
पूजा की थाली बनू प्रभुजी तेरे लिए
चांदी का चंवर बनू प्रभुजी तेरे लिए
चरणों की धूल बनू प्रभुजी तेरे लिए
फूलो का हार बनू   प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
प्रभुजी तेरे लिए -३
रचयिता
राजू बगडा
ता;-७.८.२०११







Monday, September 13, 2010

34 तर्ज -सुहानी चांदनी राते हमें सोने नहीं देती [मुक्ति]

इस गाने की राग सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे
http://sound20.mp3pk.com/indian/mukti/mukti03%28www.songs.pk%29.म्प३

सुनानी है प्रभु तुमको मेरे संसार की बाते
निरंतर बढते कर्मो से दुखो की बढती सौगाते

नरक में बदले की अग्नि ,स्वर्ग में ईर्ष्या की अग्नि
हर इक गति में उठाये दुःख -न आई सुध कभी अपनी
बड़ी मुश्किल से पाया है ,तुम्हे इस जनम में आके
न छोड़ूगा तुम्हे अब मै किसी की बातों में आके .........सुनानी है ..........

कहीं ऐसा न हो -फिर से -मैं तुमसे दूर  हो जाऊं
दिखा देना वो सच्ची राह अगर मै डगमगा जाऊं
नयी शुरुआत  करनी है तुम्हारी शरण में आके
न छोड़ूगा तुम्हे अब मै किसी की बातों में आके ........सुनानी है ............
रचयिता -राजू बगडा
१२ -०९ -२०१०