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Monday, November 18, 2024

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)
www.rajubagra.blogspot.com 
आँखों को
आँखों को ,बन्द करके, सिमरो तुम ,प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
 1
कोई नहीं है, तेरा अपना 
स्वारथ का , s ये खेsला 2
जिनके लिये तू, पाप कमाता
माया का, s वो  झsमेला 2
जीवन की संध्या में, होगी सब की पहsचान 
आँखों को ,
आंखों को ,बन्द करके, सिमरो.तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
2
सब कुछ अपना,प्रभु  ने त्यागा,
सच्चा सुखs पाsनेs को 2
इन्द्रिय सुख को जङ से त्यागा
मुक्ती रमाs पाsनेs को
संयम धारण से ही पायेंगे सुख आsराम 
आँखों को 
आँखों को,बन्द करके, सिमरो  तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं ओमsss
णमो आइरियाणं,णमो उवझ्झायाणं ओमsss
ओम णमो लोए, सव्व् साहुणं ओमsss
रचयिता 
राजू बगड़ा, मदुरै 
18.11.2024 (11.55 pm)
www.rajubagra.blogspot.com

 


Thursday, August 22, 2024

92 तर्ज छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा (ममता)

92  
तर्ज छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा (ममता)
www.rajubagra.blogspot.com
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 2
1
दुखों से मुक्ति मिलेगी मुझको 
करूंगा भक्ती मैं तेरी हर पल
शरण में तेरी खड़ा हूं भगवन 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
2
किये अनेकों है पाप मैंने 
नहीं है जिनकी क्षमा भी मांगी 
क्षमा की भिक्षा मैं मांगता हूं 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
3
तुम अपने चरणों में रख लो मुझको
तुम्हारे चरणों की धूल हूं मैं 
मैं सर झुकाए खड़ा हूं भगवन 2
कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 
हटा दो अंधियारा,मन का भगवन ,कि जैसे मन्दिर में लौ दिए की 

रचयिता 
राजू बगड़ा 
मदुरै 
23.8.2024 (00.30 AM)
www.rajubagra.blogspot.com













Sunday, September 7, 2014

45 तर्ज-मैं रंग शर्बतों का -तू मीठे घाट का पानी

तर्ज -मैं रंग शरबतों का -तू मीठे घाट का पानी [फटा पोस्टर निकला हीरो ]


शेर 
मंदिर हू मैं -मूरत है तू ,दोनों मिले भक्ति जगे 
रोज यही     मांगू दुआ ,तेरी मेरी -बात बने ,-बात बने 

स्थायी 
मैं दीप  आ रती का -तू ज्ञान की जोत सुहानी -२ 
तू मुझमें जले प्रभु तो मेरी बिगड़ी बात बन जानी - दीप हूँ आ रती का -----------

१ 
तेरे चरणों मे -आये है हम ,अपने पापों को गलाने 
आठों दरब से -पूजा करने ,आठो कर्मों को जलाने 
तू चाँद है पूनम का -मैं रात अमावस वाली -२ 
तेरी चमक मिले मुझ में, मेरी बिगड़ी बात बनजानी -दीप हूँ आ रती का -----------

२ 
सोलह भावों  को,धारण करके -आतम को मैंने सजाया  
दशों धर्मों को अपनाकरके -जीवन को धन्य बनाया 
तुम मेरी मंजिल हो -मैं एक भटकता राही -२ 
तुम मुझे मिलो प्रभु तो ,मेरी बिगड़ी बात बनजानी -दीप हूँ आ रती का -----------

मैं दीप  आरती का -तू ज्ञान की जोत सुहानी -२ 
तू मुझमें जले प्रभु तो मेरी बिगड़ी बात बन जानी - दीप हूँ आ रती का -----------

रचयिता -राजू बगड़ा 
ता ;-7. 9. 2014 



Monday, September 1, 2014

48 तर्ज -पूरा लन्दन ठुमकता [क्वीन]

इस गाने की राग सुनने के लिए नीचे क्लिक करे 

1  
हम देर से सोते है 
हम देर से उठते है 
और सबसे कहते है -टाइम नहीं है 
हम whatsup करते है 
हम फेसबुक पढ़ते है 
पर मंदिर जाने को - टाइम नहीं है 
मॉल में जाते होटल हम जाते ,पिक्चर हम जाते यार 
बीबी के संग संग शॉपिंग भी करते 
                फिर भी बीबी हो जाती नाराज 
                ये कैसी तक़दीर है -मेरा मन ना समझता -3 
पर्युषण आते है 
हम मंदिर जाते है 
और भजन गाते है -जय हो प्रभु की 
सब लोग आते है 
मंदिर भर जाते है 
पर प्रभु कहते है -टाइम नहीं है 
इत्ते जने तुम एक साथ आये ,किस किस को टाइम दू  यार 
जब मैं खाली बैठा था तुम नहीं आये 
                अब तो भर गया मेरा भी दरबार 
                ये कैसी तक़दीर है -मेरा मन ना समझता -3 
जय शांतिनाथ की 
जय पारसनाथ की 
जय महावीर की -जय हो प्रभु की 
जय हो जिनवाणी की 
जय जैन धर्म की 
जय जय हो जैनो की -जय हो प्रभु की 
दस धरम की पूजा करन को ,आये है तोरे दरबार 
कृपा करन के दर्शन दिखा दो 
               सब झूम के नाचे बारम्बार 
               हो तेरे दरबार में -पूरा मदुरई ठुमकता -3 

               मंदिर में तेरे -मदुरई ठुमकता 
               पूजन करते -मदुरई ठुमकता 
               आरती करते -मदुरई ठुमकता 
               ओ ssssss 
               ठुमकता ठुमकता मदुरई ठुमकता -ठुमकता ठुमकता 
                              हो तेरे दरबार में -पूरा मदुरई ठुमकता -2 

रचयिता 
राजू बगड़ा 
ता ;1.9.2014  
                


Tuesday, September 6, 2011

37 तर्ज -कव्वाली -वादा तेरा वादा,वादे पे तेरे मारा गया ,बंदा मै सीधा सादा [दुश्मन ]

इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे http://sound1.mp3pk.com/artist/kishore_kumar/the_prodigy_vol3/3prodigy12(songs.pk).म्प३

कि  प्राणी बच नहीं सकता -कभी कर्मो के घेरो से 
और मुक्ति पा नहीं सकता-बिना उनको जलाने से

स्थायी
मै मंदिर रोज जाऊ
मै पूजा रोज   करू 
मै सामायिक भी करू
हो अब और प्रभु क्या क्या करू

कर्मो ने मुझे घेरा 
घेरा मुझे घेरा -कर्मो ने है घेरा-२
कर्मो के चक्करों में फंसा 
भगत सीधा सादा
घेरा मुझे घेरा -कर्मो ने है घेरा-२
ये कैसे कर्म है जी -मुझे छोड़े ही नहीं
कभी दुःख को दिखाते -कभी सुख को दिखाते
कभी मनुष्य गति -कभी तिर्यंच गति
कभी नरको की गति-कभी स्वर्गो की गति

जंहा पे लेके जाते -वहीँ का ही बनाते 
और कभी पागल बनाते-कभी मूरख बनाते-२

अगरचे खूब ये कर्म -बड़े चालू है ये कर्म-२
कर्म कैसी बला है-या कोई जलजला है

किसी शास्त्री से पूछो 
किसी पंडित से पूछो
कर्मो की कैसी लीला 
कर दिया मुश्किल जीना 
हो &&&&& दामन में मेरे फूल है कम -और कांटे है जियादा 
                                                                     घेरा मुझे घेरा-------------------
कभी शुभ कर्म आते -कभी अ-शुभ भी आते
कभी दोनों रुलाते -कभी दोनों हंसाते
कभी राजा बनाते-कभी ये रंक बनाते
कभी सब कुछ दिलाते -कभी सब कुछ ले जाते

मुनि तपस्या करते -ये उन्हें भी डराते
और कभी अन्तराय लाते-तपस्या भंग कराते-२

मगर छोड़े नहीं किसी को -चाहे भगवान भी वो हो-२
दिखा के रूप अपना -नचाते हर किसी को

बुलाये छाँव कोई
पुकारे धूप  कोई 
तेरा हो रंग कोई
तेरा हो रूप कोई
हो &&&&& कुछ फर्क नहीं नाम तेरा-अच्छा हो या बुरा 

घेरा मुझे घेरा-कर्मो ने है घेरा
कर्मो के चक्करों में फंसा 
भगत सीधा सादा
                    घेरा मुझे घेरा------------------------------
रचयिता 
राजू बगडा
ता; ६.९.२०११ 






Saturday, August 6, 2011

36 तर्ज -मुन्नी बदनाम हुयी डारलिंग तेरे लिए [दबंग]

इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे
http://sound17.mp3pk.com/indian/dabangg/dabangg02(www.songs.pk).म्प३

मंदिर की जोत बनू ,प्रभुजी तेरे लिए -३
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
माथे का मुकुट बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
चांदी का छतर बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

सारे भोगो से मेरा मन भर गया ,---मन भर गया -२
तेरे चरणों में आके दिल खुश हुआ ,----दिल खुश हुआ
ध्यान करने से तेरा मिलती है खुशिया &&&&&
ध्यान करने से तेरा मिलती है खुशिया और नाचे जिया
फूलो का हार बनू प्रभुजी तेरे लिए
केसर के फूल बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

हो वीरा ,हो वीरा
हो वीरा रे,हो वीरा रे-तेरा गली गली चर्चा रे
लगा भक्तो का -भक्तो का मेला रे
हो वीरा रे ए ए ए ए ए 

लाखो दुखो की तू है ,एक दवा--------एक दवा -२
राजा और रंक सारे आते यंहा ------आते यंहा
शीश झुकाते तेरे आगे ये सारे &&&&&&&
शीश झुकाते तेरे आगे ये सारे और मांगे दुआ
मै तेरे जैसा बनू   प्रभु  जी  तेरे लिए
चरणों की धूल बनू प्रभु जी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

चारो गतियो में फिरता हो अधमरा -----हो अधमरा -२
दुखो से रहता हरदम  साथ  मेरा --------साथ  मेरा
बड़े भागो से मुझको आज मिला है &&&&&&
बड़े भागो से मुझको आज मिला है दर्शन तेरा बड़ा
मोतियन की माला बनू प्रभुजी तेरे लिए
मै बांदरवाल बनू  प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए

तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
दीये की बाती बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की घंटी बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की ध्वजा बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर का कलश बनू प्रभुजी तेरे लिए

पिछी कमंडल बनू प्रभुजी तेरे लिए
पूजा की थाली बनू प्रभुजी तेरे लिए
चांदी का चंवर बनू प्रभुजी तेरे लिए
चरणों की धूल बनू प्रभुजी तेरे लिए
फूलो का हार बनू   प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
प्रभुजी तेरे लिए -३
रचयिता
राजू बगडा
ता;-७.८.२०११







Sunday, August 15, 2010

33 तर्ज-सखी सैंय्या तो खूब ही कमात है मंहगाई डायन खाए जात है [पीपली लाइव ]

इस गाने की राग सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे
http://sound18.mp3pk.com/indian/peeplilive/peeplilive02%28www.songs.pk%29.mp3

सखी सैंय्या तो खूब धर्मात्मा
मंहगाई पाप करवात है -३

रोज सुबह मंदिर जावे -ध्यान प्रभु का कर पावे - नैन प्रभु से मिल पावे -२
इससे पहले-२, मोबाईल घन घनात है -मंहगाई पाप करवात है

गुरुवो से उपदेश सुने -झूठ कहे तो दुःख; मिले -मन में यूँ  बैराग जगे  -२
बाहर निकले कि-२,झूठों के सरताज है  -मंहगाई पाप करवात है

गुरुवो कि ये बात सही -खाली हाथ ही आया है -और खाली हाथ ही  जायेगा -२
बीबी  करती -२  फरमाइश कि बरसात है -मंहगाई पाप करवात है


हे ssssssssssss सैंय्या ssssssssss -२
सैंय्या रे म्हारो सैंय्या रे ,
सैंय्या रे -म्हारो खूब धर्म करे सैंय्या रे-
अरे कमा कमा के मर गये  सैंय्या -२
पहले पाप कमाए और  फिर धर्म करे म्हारो भोले  सैंय्या-२
मोटे सैंय्या, पतले  सैंय्या -लम्बे सैंय्या, छोटे सैंय्या -२


हो इक पल में -२, ये जीवन बिखर जात है -प्रभु जी यही समझात है
संतोषी दुखो; से बच जात है -प्रभु जी यही समझात है ..........सखी सैंय्या तो खूब धर्मात्मा .........
रचयिता -राजू बगडा
ता;१५.८.२०१०

Saturday, March 13, 2010

32 तर्ज-हम दोनो मिलके,कागज पे दिल के,चिट्ठी लिखेगे,जबाब आएगा


गुरुओ से मिल के
जिनवाणी सुन के
ध्यान करने से, प्रभु मिल जायेगा

मन्दिर  की  घंटी  बजे  तो, दौड़े  चले  आना
प्रभु अभिषेक से अरिष्ट को मिटाना  
पूजा की थाली को अष्ट द्रव्य से  सजाना
प्रभु  की  पूजा  में, तन  मन  से  जी लगाना 
मन में मन्दिर के
प्रभु  बसाले
प्रभु बसाने से भव तर जायेगा -----------------गुरुओ से मिल के


मन्दिर  में  प्रभु  के  ऊपर , तीन  छतर  सोहे 
प्रभु  के  चेहरे  की,मुस्कान  मन  को  मोहे
तीन लोक  की सम्पति सगरी,त्यागी इक पल में
हो के  वीतरागी , वो समाये  कण  कण में


नश्वर है  काया
सब कुछ पराया
कुछ भी नहीं तेरे साथ जायेगा -------------------गुरुओ से मिल के
रचयिता -राजू बगडा
१३.०३.१०