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Wednesday, August 27, 2025

57 तर्ज़ हे राम हे राम जग में सांचो तेरो नाम (जगजीत सिंह)

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तर्ज़ हे राम हे राम जग में सांचो तेरो नाम (जगजीत सिंह)

हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
करते हैं तेरी,जयकारsss
1
जग को अहिंसा, का, पाठ पढाया
तू ही तो है वीरों का वीर
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
2
क्षमा ही वीरों का,आभूषण है
जग को सुनायी ये बात
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
3
प्रेम ही जग में,सुख बरसाये
करो हर प्राणी से प्यार 
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss
4
नश्वर है काया,नश्वर है माया
मृग मरीचिकाss समानss
हे वीरss,महावीरss
हे वीरss,महावीरss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
 27.8.2025 (10.30 pm)
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39 तर्ज -जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए (जुर्म) (राग-औदव)

39
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तर्ज -जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए (जुर्म) (राग-औदव)

जब तक,  प्रभूs आपका साsथ 
हमें फिर क्याs डरने की बाsत
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 
न कोई था,न कोई है, करे जो हम सबका कल्याण 
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 
1
हो अन्तर्यामी, जग में आप, 
कहाते तीन लोक के नाथ
बिनs कहेs समझते होs,
हमारे मन कीs सारी बात
न कोई था,न कोई है, करे जो हम सबका कल्याण 
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 
2
अहिंसामय हो सब व्यवहार,
नहीं हो बैर भाव अभिमान 
प्रभू हम तेरी भक्तीss से,
करेंगे भवसाsगर को पारs
न कोई था,न कोई है, करे जो हम सबका कल्याण 
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 
3
हो सबके मन में प्रेम का भाव,
नहीं हो घृणाs का व्यवहारss
जैन शासन की हो जयकारs 
क्षमा का रक्खे हर पल भावss
न कोई था,न कोई है, करे जो हम सबका कल्याण 
हम सबका रखना ध्याsन ,ओ पालनहाssर 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
27.8.2025 (9.30 pm)
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Tuesday, August 26, 2025

36 तर्ज और इस दिल में क्या रक्खा है (ईमानदार)(राग-चारूकेशी)

36
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तर्ज और इस दिल में क्या रक्खा है (ईमानदार)(राग-चारूकेशी)

और प्रभु मैंss कुछ ना चाहूँss 2
तेरा ही नामss जुबां पर चाहूँss 2
अन्तिम साँस जो, तन से निकलेss 2
तेरा ही नामsss , जपता जाऊंss
1
कभी जाने अनजाने, कितने जीवों को मारा ]
पीsड़ा पहुंचाकर उनको, बना मैं इक हत्यारा ] 2
क्षमा मांगता हूं,उन सबसे जिनको कष्ट दिया
जिनको कष्ट दियाss
और इस दिल मेंss क्याss रक्खा हैss 2
क्षमा का भाव छुपाss रक्खा है
क्षमा काs भावs छुपाss रक्खा हैss
और प्रभु मैंss कुछ ना चाहूँss 
तेरा ही नामss जुबां पर चाहूँss 
2
हुआ मैं रागी द्वेषी,बना हूं मैं अभिमानी]
सभी को दुःख पहुंचाके,करी मैने मनमानी ]2
क्षमा मांगता हूं,उन सबसे जिनको कष्ट दिया
जिनको कष्ट दियाss
और इस दिल में क्याs रक्खा हैss
क्षमा का भाव छुपाss रक्खा है
क्षमा का भाव छुपाss रक्खा है
और प्रभु मैंss कुछ ना चाहूँss 
तेरा ही नामss जुबां पर चाहूँss 

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
27.8.2025 (00.10 am)
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Saturday, July 12, 2025

102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश) (राग-मालगूंजी)

102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश) (राग-मालगूंजी)
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दिल से, मांगते हैं, क्षमाs , आज सबसे 
मुझको,माफ कर दो,2
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
1
जाने अनजाने, कभी,कटु बोल जो भी कहे 
कहा सुनी जो भी हुई, अहंकारsवश मुझ से
गलती से भी,- व्यवहार में
ठेस जो पहुंची,मन में आपके
दिल से, मांगते हैं, 2क्षमाs , आज सबसे 
मुझको माफ कर दो,
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
2
छमा की है,ये भावना,कंही कोई दिखाsवा,नहीं
पछतावा सच्चा, मेरा,कंही कोई स्वारथ नहीं
पर्युषण की, यही भावना
निर्मल करती , हर आत्मा
दिल से, मांगते हैं,2 क्षमाs , आज सबसे 
मुझको,माफ कर दो,
सभीs , सच्चे मन से ओओओ

रचयिता
राजू बगङा "राजकवि"(sujangarh) मदुरै
12.7.2025 (6.15 pm )
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Tuesday, September 10, 2013

47 तर्ज -सुन रहा है ना तू रो रहा हूँ मै [आशिकी 2 ]


47 
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तर्ज -सुन रहा है ना तू रो रहा हूँ मै [आशिकी 2 ]
तेरे  चरणों में दौड़े  आये
वीरा ssss  वीरा ssssss  वीरा sssss

मुझको  ये  ज्ञान  दे
आतम  का भान  दे
मेरी काया से मुझको   थोड़ा  तॊ  बैराग दे

क्षमा  का  भाव  दे
दया का   भाव   दे
मुझ पर हो जाये कृपा थोड़ा आशीर्वाद  दे

तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै


मोह का अँधियारा , खुद को भुला दिया
पर को निज समझा , पापों से  घिर गया
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै


धन मैं ने  कमाया ,जीवों को मार के
बिलकुल  निर्दयी हूँ , लालच के भाव  से
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; 10. 09. 2013
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