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Wednesday, September 27, 2023

89 तर्ज सावन का महीना पवन करे शोर

पद्मावती माता की, भक्ती का यहां जोर
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 
1
पारस प्रभू तोहरे,मस्तक विराजे
इंद्र भी तोहरेे आगे शीश झुकाए
जो भी पारस प्रभू की भक्ती करता दिन रैन
माता उसको दे देती है जीवन के सुख चैन
2
जोत जली हो जिसके, मन में मात की
उसके कमी ना रहे ,किसी भी बात की
प्रसिद्धि मिल जाए , उसे जग में चारों और 
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 
3
रोग शोक भक्तो के मिटाए,
भूत प्रेत की बाधा हटाए
जीवन के हर काम में बिगड़ी बनाती बात
थोड़ी सी भक्ती से माsता सुन लेती है बात
पद्मावती माता की, भक्ती का यहां जोर
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 

रचयिता
राजू बगड़ा
28.9.23    00.30 am
www.rajubagra.blogspot.com










Wednesday, September 20, 2023

87-तर्ज मेरा दिल ये पुकारे आजा

गुरुsवर की शरण में आ जा
छुटsकारा दुखों से पा जा
भोगो के जंजाल से 
मोह माया जाल से
गुरुsवर की शरण में आ जा
छुटsकारा दुखों से पा जा
भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 गुरुsवर की शरण में आ जा
चारों गतियों में फिरता फिरे, क्यूं फिरे क्यूं फिरे-2
 कोई नहीं है तेरा
 स्वार्थ का है ये घेरा
 बस इतना सा ज्ञान जगा जा
 भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 गुरुsवर की शरण में आ जा
 तप करके ही बुझती है आग मन की ,मन की-2
 कर s उपवास तूं, 
 संयम को धार तूं
 बस, इतनीसी लगन लगा जा
 भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 गुरुsवर की शरण में आ जा
 भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 भोगो के जंजाल से 
 मोह माया जाल से
 गुरुsवर की शरण में आ जा
रचयिता राजू बगड़ा, मदुरई
21.9.23  00.05
www.rajubagra.blogspot.com


 

 






Tuesday, August 30, 2022

83_ तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए

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प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई 
तपस्या करके, बैरागी बन जाए
मुनिराज बनके जो, कठोर तप करे
तो सिद्ध पद का,अधिकारी बन जाए
प्रभु की भक्ति में, __
1
कभी उपवास करता है
कभी वो मौन रहता है
सदा ब्रह्मचर्य रखता है
हमेशा सरल रहता है
प्रभु के ध्यान में तपसी, हमेशा डूबा रहता है 
प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई _____
2
किया इन्द्रियों को है वश में 
तपस्वी तुम निराले हो
नमन तेरी तपस्या को
नमन तेरे दृढ़ निश्चय को 
करे अनुमोदना हम सब ,बढ़ो आगे धर्म पथ पर
प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई _____

रचयिता 
www.rajubagra.blogspot.com
राजू बगड़ा
30.8.2022
11.45 pm







Sunday, August 21, 2022

79 तर्ज तेरे वास्ते मेरा इश्क सूफियाना (डर्टी पिक्चर)

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तप की निशानी है,जैन मुनि
मूरत क्षमा की है जैन मुनि
हिंसा से दूर है  जैन मुनि
करुणा का संघ है जैन
परिग्रह से दूर है जैन मुनि
इक समय आहारी जैन मुनि
पैदल ही चलते है जैन मुनि
सबसे अलग है ये जैन

मेरे सर पे,, sss ,तूं अपनी छांव कर दे
गुरूवर तूं ,, मुझपे दया कर दे 
मेरी सांस तूं मेरी आश तूं 
मुझसे ना दूर जाना
मेरे वास्ते, 
तेरा,
दर ही  ठिकाना
तेरा
दर है ठिकाना
गुरुवर 
तू ही है  ठीकाना 2
तप की निशानी है,जैन मुनि
मूरत क्षमा की है जैन मुनि
हिंसा से दूर है  जैन मुनि
करुणा का संघ है जैन
1
जपूं तुझे ,हर दिन गुरु, जपूं तुझे ,पल पल गुरु
Hossss ओ 
मंदिरों में ढूंढू तुझे, दिल में, तेरा वास है
तेरा उपदेश सुनते,
तेरी हर बात गुनते
करतें हैं सेवा तेरी ,भव से पार जाना
मेरे वास्ते, 
तेरा,
दर ही  ठिकाना
तेरा
दर है ठिकाना
गुरुवर 
तू ही है  ठीकाना 
2
पल ,,पल गिनते गिनते, सांसे छूट जायेगी
मोह के ये धागे, तोड़ दो
राग द्वेष करते करते, कर्म बंध जायेंगे
करमों के बंधन तोड़ दो 
क्या मेरा, क्या तेरा
नशवर है ,जग सारा
तज करके, जग फेरा 
हमें छोड़ यहीं हैं जाना 
मेरे वास्ते, 
तेरा,
दर ही  ठिकाना
तेरा
दर है ठिकाना
गुरुवर 
तू ही है  ठीकाना 

रचयिता 
www.rajubagra.blogspot.com
राजू बगड़ा, मदुरै
21.8.2022
7.30 pm 






















Saturday, August 20, 2022

80 अर्हम वंदो, जय पारस देवा

अर्हम वंदो youtube link 
www.rajubagra.blogspot.com
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा।
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
1
श्रीमज जिनेन्द्र,स्याद्दवाद नायक,तीर्थंकराय, दिगंबराय 2
त्रिलोक्य व्याप्तम,त्रिकालदर्शी,त्रिलोक्य लोचन,स्वयंभुवाय,2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
2
हे वीतरागी,पञ्च परमेष्ठी, मेरु प्रतिष्ठे,सम्यक प्रणम्य,
सौधर्म इन्द्र,कर जोड़ी हस्तम, तुभ्यम नमामी, हे पार्श्व नाथम
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
3
रत्नस्य वृष्टि,करी षष्ठ मासे, कुबेर हर्षित,तुभ्यं नमामी 2
वाराणसी,अधि,पति हे देवम,गर्भस्य वामा, मां उर,तिष्ठे, 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
4
अनन्तदर्शी,अनन्तवीर्या,अनन्तचतुष्टय हो तुम जिनेश्वर 2
पादौ पदानी,जिनेन्द्र धत्ते,पद्मानी तत्रे,विबुधा रच्यांती 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
5
चिंतामणि त्वं,ज्योतिस्वरूपी,निराकार हे, निरंजनाय, 2
त्रिलोक्य मंगल,दिव्य ध्वनि त्वं, मुख्स्य उचरे, हे पार्श्व नाथम 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
6
त्वं कल्पवृक्षम, त्वं कामधेनु,विषहर, विनाशम,उवसग्गहारम 2
धरनेंद्र पद्मा, नागेंद्र पूजित, जिनेन्द्र देवम, हे पार्श्व नाथम 2
अर्हम, 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 
वन्दो (वन्दो)
वन्दो (वन्दो)
जय पारस देवा 

रचयिता 
राजू बगड़ा, मदुरै
www.rajubagra.blogspot.com
20.8.2022
9.35 pm 


Tuesday, September 7, 2021

71 तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,Movie/Album: अभिलाषा (1968)Music By: आर.डी.बर्मनLyrics By: मजरूह सुल्तानपुरीPerformed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर

जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
1
क्रोध से, मान से,लोभ से, धोखे से 2
सुख कभी, ना  मिले, दुख हमेशा बढ़े
मंत्र ये, जीने का, जैनों में पाओगे
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
2
हिंसा की, आग में, जलता संसार है 2
सत्ता का,पैसे का,प्यासा संसार है
वीर की ,बातों को, भूला संसार है
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
3
दश धरम ,जैनों की ,खास पहचान है 2
भोगों से ,हो परे,तप का सोपान है
जैनों से, विश्व को ,शांति की आस है
जैन हम ,एक पथ के
ना दिगंबर ,ना श्वेतांबर,
वीर ने,जो दिखाया
हम चले,उसी पथ पे
जैन हम ,एक पथ के
रचयिता
राजू बगड़ा, मदुरै
8 sept 2021 ,12.30 AM
www.rajubagra.blogspot.com






Saturday, August 29, 2020

63 तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)

प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-२
निराशा के सागर ,में, आशा वही है
प्रभु साथ है तो
कुछ भी नहीं है तो कोई ग़म नहीं है
जहां पर प्रभु ,सब कुछ ,तो वहीं है
प्रभु साथ है तो

कैसी बीमारी ये महामारी-२
समझा नहीं कोई जग पे है भारी
महावीर तेरी कमी खल रही है
मानव-ता खत-रे में पड़ी है
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

अणुव्रत, धारो,जो,सुख चाहो-२
जियो और जीने दो मंत्र सुनाओ
अहिंसा परम है ,धरम, इस जग में
वीर प्रभु का, ये मार्ग बताओ
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

मानव जब, जब ,बनता है दानव-२
करता है शोषण, पर्या-वरण का
प्रकृति करेगी, स्वयं ,अपनी रक्षा
महामारियों,को  तो सहना पड़ेगा
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

रचयिता - राजू बगड़ा, मदुरै
Tarikh- 15.4.2020, 4pm

Wednesday, April 15, 2020

64 तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)

गुरु हे विराग सागर,छवि मनोहारी-2
दुनियां झुके, तेरी महिsमा निराली
गुरु हे विराग सागर-
ज्ञान सुधा बरसाती, छवि है दुलारी
जिनवाणी मुख से,तेरे लगे अति प्यारी
गुरु हे विराग सागर-२
1
कपूर का लल्ला,श्यामा का तारा-2
चमका पथरिया नगर का सितारा
धन्य हुआ जन, गण मन सारा
श्री गुरु ने वैsराग्य को धारा
गुरु हे विराग सागर-
2
पंचम काल की,कठिन तपस्या
करते है शिष्यों की कठिन परीक्षा
आगम सुगम बनाते जाते
भाषा सरल करत समझाते
गुरु हे विराग सागर-
3
सोलह भावना दिल से है भायी
दश धर्मो में ही देह तपायी
ज्ञान का लक्ष्य चरिsत्र बनाया
मोक्ष ही जाने का निश्चय बनाया
गुरु हे विराग सागर-

Note:  सभी अन्तरो की राग एक ही है

रचयिता राजू बगड़ा, मदुरै
ता:29.4.20
6.00pm

Wednesday, September 19, 2018

55 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घयल

थार चरणा म आग्या वीरा )
हर ल म्हारा मन की पीड़ा )   2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------
1
पर पीड़ा और पर निन्दा, म्हां न घणी सुहावण लागी)
माया चारी  कर  कर         म्हारी छाती दूखण लागी)2
जद खुद पर बीतण लागी
मुखड़ा पे आई उदासी
म्हे अकड़ म गेला हुग्या
थान भूल के मैला हुग्या
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

2
ज्यूँ  ज्यूँ  उमर  बीते ,म्हारी धड़कन बढबा लागी
खोटा करम करेड़ा        उणरी याद आवण लागी
जद पड्या करम  का सोटा
म्हे  टेढ़ा,  बणग्या  सीधा
म्हारो जियड़ो  अब दुःख पाव
जियड़ा न कुण समझाव
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

रचयिता -राजू बगड़ा ,मदुरै
19.9.2018--11. 30 pm
www.rajubagra.blogspot.com 


Sunday, September 16, 2018

54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग]

गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है


गुरु कहे हर आतम से -  तेरा नहीं कोय 
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा  होवे कौन   
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे  फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

सुनो किसी गुरुवर  ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे    दुनियां लेकिन     मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से ,  दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है

गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है

रचयिता -राजू बगड़ा
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
www.rajubagra.blogspot.com







Tuesday, September 13, 2016

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]
www.rajubagra.blogspot.com 
चारों गतियों में
घूम - आया
सुख कहीं ssना
मैंने पाया
जब शरण में तेरी आया
मनवा   मेरा     हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2

थारी शरण में 
जो  आवे
दुःख  दूर  सब
 हो जावे
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
हर बात भी, तेरी मानी
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति  के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4


रचयिता -राजू बगड़ा
ता;13 -09 -2016
www. rajubagra.blogspot.in




Tuesday, September 22, 2015

51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]

धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------

 जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
 तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
 रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
 पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
 धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

रचयिता -राजू बगड़ा
ता -२३.०९.२०१५
visit www.rajubagra.blogspot.in

Thursday, September 17, 2015

50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी

चालो र चालो  मंदिरा म आज -आज रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न  देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय-  आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

रचयिता
राजू बगड़ा
ता 18 . 9 . 2015

Monday, September 1, 2014

48 तर्ज -पूरा लन्दन ठुमकता [क्वीन]

इस गाने की राग सुनने के लिए नीचे क्लिक करे 

1  
हम देर से सोते है 
हम देर से उठते है 
और सबसे कहते है -टाइम नहीं है 
हम whatsup करते है 
हम फेसबुक पढ़ते है 
पर मंदिर जाने को - टाइम नहीं है 
मॉल में जाते होटल हम जाते ,पिक्चर हम जाते यार 
बीबी के संग संग शॉपिंग भी करते 
                फिर भी बीबी हो जाती नाराज 
                ये कैसी तक़दीर है -मेरा मन ना समझता -3 
पर्युषण आते है 
हम मंदिर जाते है 
और भजन गाते है -जय हो प्रभु की 
सब लोग आते है 
मंदिर भर जाते है 
पर प्रभु कहते है -टाइम नहीं है 
इत्ते जने तुम एक साथ आये ,किस किस को टाइम दू  यार 
जब मैं खाली बैठा था तुम नहीं आये 
                अब तो भर गया मेरा भी दरबार 
                ये कैसी तक़दीर है -मेरा मन ना समझता -3 
जय शांतिनाथ की 
जय पारसनाथ की 
जय महावीर की -जय हो प्रभु की 
जय हो जिनवाणी की 
जय जैन धर्म की 
जय जय हो जैनो की -जय हो प्रभु की 
दस धरम की पूजा करन को ,आये है तोरे दरबार 
कृपा करन के दर्शन दिखा दो 
               सब झूम के नाचे बारम्बार 
               हो तेरे दरबार में -पूरा मदुरई ठुमकता -3 

               मंदिर में तेरे -मदुरई ठुमकता 
               पूजन करते -मदुरई ठुमकता 
               आरती करते -मदुरई ठुमकता 
               ओ ssssss 
               ठुमकता ठुमकता मदुरई ठुमकता -ठुमकता ठुमकता 
                              हो तेरे दरबार में -पूरा मदुरई ठुमकता -2 

रचयिता 
राजू बगड़ा 
ता ;1.9.2014  
                


Thursday, August 28, 2014

42 tarj-फूलों का तारों का सबका कहना है

तर्ज -फूलों का तारों का सबका कहना है [हरे रामा हरे कृष्णा ]


पर्युषण पर्व का यही कहना है 
निज आतम शुद्धि में सबको रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 
१ 
जीव अकेला करता है ,चारों गति में वास 
सुख दुःख भोगा करता,बुन के कर्मो के जाल 
आ मेरे संग आ ,पूजन करना है 
निज आतम शुद्धि से ध्यान में रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 
२ 
सम्यक दर्शन ज्ञान चरित की ,महिमा है अपार 
निज पर शासन करने से ,होता है उद्धार 
आ मेरे संग आ ,पूजन करना है 
निज आतम शुद्धि से ध्यान में रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 

रचयिता -राजू बगड़ा 
ता;-२९ अगस्त २०१४ 
१.१५ AM 





Sunday, September 23, 2012

21 तर्ज-पीलूं तेरे नीले नीले नैनो से शबनम [once upon a time in mumbai ]


पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन 
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
 तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है

तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s  सुनले जरा s s s s
1
स्वर्गो में ,कभी मैं नरको में ,हर जनम फिरता भटकता रहा मारा मारा हूँ मैं
तेरा संग, मिला है इस जनम , अब नहीं छोडूंगा बन के रहूँगा मैं तेरा सदा
पीलूं गंधोदक तेरे चरणों का भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन 
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-

तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
2
दश धरम, मैं पालूंगा सदा ,हर समय  ध्यान- करूँगा मैं तेरा, रात दिन
तूं ही सिर्फ ,सुखों की खान हो ,और, कहीं सुख भी नहीं है अधूरे, इस संसार में
पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन 
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s  सुनले जरा s s s s
 रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012


41 तर्ज-मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली [राजा और रंक ]

इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे
http://sound10.mp3pk.com/indian/raja_aur_runk_1968/raja_aur_runk1%28www.songs.pk%29.mp3
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
मेरा कोई नहीं है अपना
फिर भी मानू  सबको अपना
दुखी होती रहती, जनम मरण  के फेर में

1
स्वर्गो में मैं जाय  विराजी ,इर्ष्या  से जल जल  गयी 2
नरको में जब पहुँची तो ,बदले की, आग में जल गयी
रे सुख न मिला मुझे इक पल को s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
2
मनुज जनम पाया है मैंने ,मुश्किल से अब जाके 2
सुख की छाँव मिली है मुझको, तेरा दर्शन पाके
ओ प्रभुजी मेरी अब सुध ले लो s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से

रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012



Wednesday, September 19, 2012

20 तर्ज-कहीं दूर जब दिन ढल जाये ,सांझ की दुल्हन बदन चुराए [आनंद ]

20
तर्ज़ कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाये (आनंद)
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अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
प्रभूss शरण में आकर के हम 
प्रायश्चित के गर,आँसू बहाए ,दुःख कट जाये 
1
कभी जब गुरुओं से, होती हैं बातेँ--
गुरु मुस्काते हुये, यूं समझाते --]2
करोगे अच्छा, पाओगे अच्छा 
समझ सको तो समझो, पीर पराई-पीर पराई 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
2
खाए पीये, पहने ओढ़े, मस्त है मानव --
कैसे बनी वो वस्तु , ये नहीं जानत --2
जरा सा ठहरो,सोचो समझो 
क्या उसमें पशुओं की पीर मिलाई-पीर मिलाई 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
रचयिता 
राजू बगङा
19.9.2012 (00.15am )
Www.rajubagra.blogspot.com 




Sunday, September 16, 2012

40 तर्ज ;-ओ फिरकी वाली ,तू कल फिर आना [राजा और रंक ]


ओ पिच्छी वाले ,
हम शीश झुकाए ,तेरे गुण गाये ,मन- वचन और काय से
कि अब जाना है हमें भव पार से
1
तेरी तपस्या की ,क्रिया- को देख देख कर -2
सबको अचरज होता है
कैसे कर लिया ,मन इन्द्रियों को वश में
सबको विस्मय होता है
सर्दी गर्मी -2,हो या बारिश ,कोई फरक नहीं पड़ता
तूने छोड़ा- है घर-बार  सारा ,एशो आराम सारा
और निकला है शान से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
2
तेरे उपदेश की, ये बाते  सुन सुन के -2
मन बैराsगी होता है
मन में छुपे हुए ,जो अव-गुण सारे
धुल के निर्मल होता है
 एक बार तू -2 हाथ फिरा दे ,दया से मेरे सर पे
मिट जाये -विकार मेरे सारे ,हो जाये वारे न्यारे
तेरे उपकार से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------

रचयिता
राजू बगडा
ता ;-16.9.2012



Monday, September 3, 2012

19 तर्ज-सोना की घड़ाद्दयों- म्हार-पायलड़ी -[मारवाड़ी]


सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

डगमग डोळ मंझदारss   में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव  पार -प्रभूजी ,केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया
1

बचपन खिलौना माही खेल बितायो -2
रंगरेल्या म सारो जीवन बितायो -
अब आयो जो बुढापो -आयी याद -प्रभुजी ,केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

2
केवो तो प्रभूजी सोलह - भावना भावू -2
बोलो तो हमेशा चरणा म -रह  जाऊ
बण जाऊ थार चरणा को दास -प्रभूजी,  केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ  -थारी -मूरतिया-
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

डगमग डोळ मंझदारss   में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव  पार -प्रभूजी ,केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

रचयिता -राजू बगडा
ता;4.9.2012