मंगलम भगवान वीरो,मंगलम गौतमो गणी । मंगलम कुन्द्कुंदाद्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम ॥ णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उव्झायाणं णमो लोए सव्व साहुणं..ऐसो पञ्च णमोक्कारो,सव्व पाव पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिम् पढमं हवई मंगलम ........ मैंने कुछ भजन भगवान् की भक्ती मे अर्पण किये है -आप भी इनका रसपान करे ! by raju bagra-madurai
Wednesday, September 27, 2023
89 तर्ज सावन का महीना पवन करे शोर
Wednesday, September 20, 2023
87-तर्ज मेरा दिल ये पुकारे आजा
Tuesday, August 30, 2022
83_ तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए
Sunday, August 21, 2022
79 तर्ज तेरे वास्ते मेरा इश्क सूफियाना (डर्टी पिक्चर)
Saturday, August 20, 2022
80 अर्हम वंदो, जय पारस देवा
Tuesday, September 7, 2021
71 तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,Movie/Album: अभिलाषा (1968)Music By: आर.डी.बर्मनLyrics By: मजरूह सुल्तानपुरीPerformed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर
Saturday, August 29, 2020
63 तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-२
निराशा के सागर ,में, आशा वही है
प्रभु साथ है तो
कुछ भी नहीं है तो कोई ग़म नहीं है
जहां पर प्रभु ,सब कुछ ,तो वहीं है
प्रभु साथ है तो
१
कैसी बीमारी ये महामारी-२
समझा नहीं कोई जग पे है भारी
महावीर तेरी कमी खल रही है
मानव-ता खत-रे में पड़ी है
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
२
अणुव्रत, धारो,जो,सुख चाहो-२
जियो और जीने दो मंत्र सुनाओ
अहिंसा परम है ,धरम, इस जग में
वीर प्रभु का, ये मार्ग बताओ
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
३
मानव जब, जब ,बनता है दानव-२
करता है शोषण, पर्या-वरण का
प्रकृति करेगी, स्वयं ,अपनी रक्षा
महामारियों,को तो सहना पड़ेगा
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
रचयिता - राजू बगड़ा, मदुरै
Tarikh- 15.4.2020, 4pm
Wednesday, April 15, 2020
64 तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)
गुरु हे विराग सागर,छवि मनोहारी-2
दुनियां झुके, तेरी महिsमा निराली
गुरु हे विराग सागर-
ज्ञान सुधा बरसाती, छवि है दुलारी
जिनवाणी मुख से,तेरे लगे अति प्यारी
गुरु हे विराग सागर-२
1
कपूर का लल्ला,श्यामा का तारा-2
चमका पथरिया नगर का सितारा
धन्य हुआ जन, गण मन सारा
श्री गुरु ने वैsराग्य को धारा
गुरु हे विराग सागर-
2
पंचम काल की,कठिन तपस्या
करते है शिष्यों की कठिन परीक्षा
आगम सुगम बनाते जाते
भाषा सरल करत समझाते
गुरु हे विराग सागर-
3
सोलह भावना दिल से है भायी
दश धर्मो में ही देह तपायी
ज्ञान का लक्ष्य चरिsत्र बनाया
मोक्ष ही जाने का निश्चय बनाया
गुरु हे विराग सागर-
Note: सभी अन्तरो की राग एक ही है
रचयिता राजू बगड़ा, मदुरै
ता:29.4.20
6.00pm
Wednesday, September 19, 2018
55 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घयल
हर ल म्हारा मन की पीड़ा ) 2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
1
पर पीड़ा और पर निन्दा, म्हां न घणी सुहावण लागी)
माया चारी कर कर म्हारी छाती दूखण लागी)2
जद खुद पर बीतण लागी
मुखड़ा पे आई उदासी
म्हे अकड़ म गेला हुग्या
थान भूल के मैला हुग्या
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
जद पड्या करम का सोटा
म्हे टेढ़ा, बणग्या सीधा
म्हारो जियड़ो अब दुःख पाव
जियड़ा न कुण समझाव
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
रचयिता -राजू बगड़ा ,मदुरै
19.9.2018--11. 30 pm
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Sunday, September 16, 2018
54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग]
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
१
गुरु कहे हर आतम से - तेरा नहीं कोय
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा होवे कौन
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
२
गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
३
सुनो किसी गुरुवर ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे दुनियां लेकिन मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से , दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है
गुरु जनों के मुख से जो ,जिनवाणी सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
रचयिता -राजू बगड़ा
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
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Tuesday, September 13, 2016
53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]
मनवा मेरा हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2
थारी शरण में
दुःख दूर सब
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
रचयिता -राजू बगड़ा
ता;13 -09 -2016
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Tuesday, September 22, 2015
51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------
१
जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------
२
उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------
रचयिता -राजू बगड़ा
ता -२३.०९.२०१५
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Thursday, September 17, 2015
50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
१
क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
२
खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
३
दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय- आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
रचयिता
राजू बगड़ा
ता 18 . 9 . 2015
Monday, September 1, 2014
48 तर्ज -पूरा लन्दन ठुमकता [क्वीन]
इस गाने की राग सुनने के लिए नीचे क्लिक करे
Thursday, August 28, 2014
42 tarj-फूलों का तारों का सबका कहना है
तर्ज -फूलों का तारों का सबका कहना है [हरे रामा हरे कृष्णा ]
Sunday, September 23, 2012
21 तर्ज-पीलूं तेरे नीले नीले नैनो से शबनम [once upon a time in mumbai ]
पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s सुनले जरा s s s s
1
स्वर्गो में ,कभी मैं नरको में ,हर जनम फिरता भटकता रहा मारा मारा हूँ मैं
तेरा संग, मिला है इस जनम , अब नहीं छोडूंगा बन के रहूँगा मैं तेरा सदा
पीलूं गंधोदक तेरे चरणों का भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
2
दश धरम, मैं पालूंगा सदा ,हर समय ध्यान- करूँगा मैं तेरा, रात दिन
तूं ही सिर्फ ,सुखों की खान हो ,और, कहीं सुख भी नहीं है अधूरे, इस संसार में
पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s सुनले जरा s s s s
रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012
41 तर्ज-मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली [राजा और रंक ]
http://sound10.mp3pk.com/indian/raja_aur_runk_1968/raja_aur_runk1%28www.songs.pk%29.mp3
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
मेरा कोई नहीं है अपना
फिर भी मानू सबको अपना
दुखी होती रहती, जनम मरण के फेर में
1
स्वर्गो में मैं जाय विराजी ,इर्ष्या से जल जल गयी 2
नरको में जब पहुँची तो ,बदले की, आग में जल गयी
रे सुख न मिला मुझे इक पल को s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
2
मनुज जनम पाया है मैंने ,मुश्किल से अब जाके 2
सुख की छाँव मिली है मुझको, तेरा दर्शन पाके
ओ प्रभुजी मेरी अब सुध ले लो s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012
Wednesday, September 19, 2012
20 तर्ज-कहीं दूर जब दिन ढल जाये ,सांझ की दुल्हन बदन चुराए [आनंद ]
Sunday, September 16, 2012
40 तर्ज ;-ओ फिरकी वाली ,तू कल फिर आना [राजा और रंक ]
ओ पिच्छी वाले ,
हम शीश झुकाए ,तेरे गुण गाये ,मन- वचन और काय से
कि अब जाना है हमें भव पार से
1
तेरी तपस्या की ,क्रिया- को देख देख कर -2
सबको अचरज होता है
कैसे कर लिया ,मन इन्द्रियों को वश में
सबको विस्मय होता है
सर्दी गर्मी -2,हो या बारिश ,कोई फरक नहीं पड़ता
तूने छोड़ा- है घर-बार सारा ,एशो आराम सारा
और निकला है शान से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
2
तेरे उपदेश की, ये बाते सुन सुन के -2
मन बैराsगी होता है
मन में छुपे हुए ,जो अव-गुण सारे
धुल के निर्मल होता है
एक बार तू -2 हाथ फिरा दे ,दया से मेरे सर पे
मिट जाये -विकार मेरे सारे ,हो जाये वारे न्यारे
तेरे उपकार से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
रचयिता
राजू बगडा
ता ;-16.9.2012
Monday, September 3, 2012
19 तर्ज-सोना की घड़ाद्दयों- म्हार-पायलड़ी -[मारवाड़ी]
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन -प्रभूजी ,केसरिया-2
डगमग डोळ मंझदारss में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव पार -प्रभूजी ,केसरिया -2
सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया
1
बचपन खिलौना माही खेल बितायो -2
रंगरेल्या म सारो जीवन बितायो -
अब आयो जो बुढापो -आयी याद -प्रभुजी ,केसरिया -2
सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन -प्रभूजी ,केसरिया-2
2
केवो तो प्रभूजी सोलह - भावना भावू -2
बोलो तो हमेशा चरणा म -रह जाऊ
बण जाऊ थार चरणा को दास -प्रभूजी, केसरिया -2
सोना की घड़ाद्दयूँ -थारी -मूरतिया-
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन -प्रभूजी ,केसरिया-2
डगमग डोळ मंझदारss में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव पार -प्रभूजी ,केसरिया -2
सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन -प्रभूजी ,केसरिया-2
रचयिता -राजू बगडा
ता;4.9.2012