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Sunday, August 24, 2025

26 तर्ज अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा (आरजू) (राग-देश)

26
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अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा (आरजू) (राग-देश)
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक,  नहींs साsरे नसिये
प्रभूs आsप मेरेs
1
मैं चारों गती में, फिराs मारा माराs 
मुझे कोई अब तक, मिला ना, सहाराs
बङे पुण्योssदय सेss तेरा संग मिला है 2
ना बिसराइयेssगा ना बिसराssइयेगा
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक, नहींs साsरे नसिये
2
मैं कैसे करूंs, अपनी, इन्द्रियोंs को वश मेंs 
नहीं मानें मन, वो, चले अपनी धुन मेंs
मुझे दूरss, भोगोs से  कैसे है रहना 2
ये सिखलाइयेssगा  ना बिसराssइयेगा
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक, नहींs साsरे नसिये
 प्रभूs आsप मेरेs 2

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-24.8.2025 (7.30 am)
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Sunday, April 3, 2022

86-ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,पद्मावती माता कीजय जय पद्मावती माता,जय जय मां 2

86 
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तर्ज़ -(जय संतोषी मां)

ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,(आरती उतारें रे)
पद्मावती माता की
जय जय पद्मावती माता,जय जय मां  2
 1
बड़ा अद्भुत है,प्यार अपार, मां के द्वारे पे,
मां के द्वारे पे
होवे सबका ही, बेड़ा पार, मां के द्वारे पे,
मां के द्वारे पे
प्रीती करूं, भक्ती करूं, तन मन से पूजा करूं
जीवन  सुधारूं रे,
ओ प्यारा प्यारा जीवन  सुधारूं रे,
ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,
पद्मावती माता की
2
आज पाया है वैभव अपार, मां की भक्ती से 
मां की भक्ती से 
मिटे भव भव का दुःख अपार, मां की सेवा से
मां की सेवा से
नृत्य करूं, गान करूं, झूम के मैं भक्ती करूं
मां को निहारूं रे,
ओ प्यारी प्यारी मां को निहारूं रे
ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,
पद्मावती माता की
जय जय पद्मावती माता,जय जय मां  2

रचयिता 
कविता बगड़ा
3.4.2022
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