Showing posts with label 102. Show all posts
Showing posts with label 102. Show all posts

Saturday, July 12, 2025

102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश) (राग-मालगूंजी)

102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश) (राग-मालगूंजी)
www.rajubagra.blogspot.com

दिल से, मांगते हैं, क्षमाs , आज सबसे 
मुझको,माफ कर दो,2
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
1
जाने अनजाने, कभी,कटु बोल जो भी कहे 
कहा सुनी जो भी हुई, अहंकारsवश मुझ से
गलती से भी,- व्यवहार में
ठेस जो पहुंची,मन में आपके
दिल से, मांगते हैं, 2क्षमाs , आज सबसे 
मुझको माफ कर दो,
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
2
छमा की है,ये भावना,कंही कोई दिखाsवा,नहीं
पछतावा सच्चा, मेरा,कंही कोई स्वारथ नहीं
पर्युषण की, यही भावना
निर्मल करती , हर आत्मा
दिल से, मांगते हैं,2 क्षमाs , आज सबसे 
मुझको,माफ कर दो,
सभीs , सच्चे मन से ओओओ
रचयिता
राजू बगङा "राजकवि"(sujangarh) मदुरै
12.7.2025 (6.15 pm )
www.rajubagra.blogspot.com