Tuesday, August 30, 2022

83_ तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (कन्यादान)(राग असावरी]

83
तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (कन्यादान)(राग असावरी]
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प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई 
तपस्या करके, बैरागी बन जाए
मुनिराज बनके जो, कठोर तप करे
तो सिद्ध पद का,अधिकारी बन जाए
प्रभु की भक्ति में, __
1
कभी उपवास करता है
कभी वो मौन रहता है
सदा ब्रह्मचर्य रखता है
हमेशा सरल रहता है
प्रभु के ध्यान में तपसी, हमेशा डूबा रहता है 
प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई _____
2
किया इन्द्रियों को है वश में 
तपस्वी तुम निराले हो
नमन तेरी तपस्या को
नमन तेरे दृढ़ निश्चय को 
करे अनुमोदना हम सब ,बढ़ो आगे धर्म पथ पर
प्रभु की भक्ति में, करे जो तप कोई _____

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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30.8.2022
11.45 pm







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