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Sunday, August 3, 2025

104 तर्ज- तुम मुझे यूं,भुला न पाओगे,जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे (पगला कहीं का)(राग-झिंझोटी)

104 
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तर्ज- तुम मुझे यूं,भुला न पाओगे,जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे (पगला कहीं का)(राग-झिंझोटी)

मंत्र णमोकार,जपते जायेंगे
हां,मंत्र णमोकार
जब तलक,ना मिलेगी मुक्ति हमें
महा मन्त्र यूं ही,जपते जायेंगे
हां,मंत्र णमोकार
1
श्रीजिन-जी के मुख से,जो प्रकटी]
जिनsवाणी कहे ये बारम्बार]2
कल्पवृक्ष के समान मन्त्र महान
जपके णमोकार,मिलेगा मुक्ती धाम 
 हां,मंत्र णमोकार
2
पांच पापों की,सजी महफिल में]
राग और द्वेष के, बजेss ,सुर ताल]2
हम थिरकते हैं,चारों गतियों में
जिनsवाणी कहे ये बारम्बार
हां,मंत्र णमोकार
मंत्र णमोकार,जपते जायेंगे
हां,मंत्र णमोकार
जब तलक,ना मिलेगी मुक्ति हमें
महा मन्त्र यूं ही  ,जपते जायेंगे
हां,मंत्र णमोकार

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 4.8.25 (7.15 am)
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Thursday, October 17, 2024

98 तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा (सम्बन्ध)(राग-भैरवी)

98 
तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा 
(सम्बन्ध)(राग-भैरवी)
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करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
1
अनन्तानंत काल से, भवसागर में गोते खाये ssss 
जाले,बुनकर,कर्मों के, दुःख में,डूबा जाये ssss
तुझे सुख की मंज़िल,मिलेगी तप से ,
कर्मो का है खेलाsssss
करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
2
जो करेगा निज पे शासन, वो जिनेन्द्र बनेगा ssss
जो इन्द्रियों को जीतेगा, वो जिनेन्द्र  बनेगा ssss
क्षणिक सुखों का, इन्द्रजाल है
कर्मों का है खेलाssss
करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
18.10.2024 (00.35 a.m.)
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Sunday, September 16, 2018

54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग](राग-देस,काफी,यमन)

54 
 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग](राग-देस,काफी,यमन)
गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है

गुरु कहे हर आतम से -  तेरा नहीं कोय 
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा  होवे कौन   
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे  फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

सुनो किसी गुरुवर  ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे    दुनियां लेकिन     मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से ,  दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है

गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
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Tuesday, August 14, 2012

18 तर्ज-एजी हा सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा-[मारवाड़ी]

18
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तर्ज-एजी हा सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा-[मारवाड़ी]  
एजी हा सा म्हारो  मनडो  प्रभु  भक्ति म लाग्यो सा -2
बाई सा रा बीरा तीरथ -ले  चालो सा -2
एजी हा सा म्हारो मनडो पूजा विधान चाव सा -2
बाई सा रा  बीरा मन्दिरा म चालो  सा -2
एजी हासा म्हारो मनडो जिनवाणी सुणबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा उपदेशा म चालो सा -2
एजी हा सा म्हारो  मनडो आहार देबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा मुनि संघा म चालो सा -2

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-15-08-2012
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Saturday, August 27, 2011

15 बड़े अच्छे लगते है-ये धरती,ये नदिया,ये रैना ,और तुम [बालिका वधु ](राग-देवगिरी बिलावल)

15 
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तर्ज़-अच्छे लगते है-ये धरती,ये नदिया,ये रैना ,और तुम [बालिका वधु ](राग-देवगिरी बिलावल)

बड़े अच्छे लगते है
जिन दर्शन 
जिन वाणी 
जिन पूजा 
और
जिनवर 
मैंने भक्ति भाव से प्रभू- तेरी पूजा रचायी
मुझ पर ऐसी कृपा करना, अब -जिसमे हो मेरी भलाई 
बड़े अच्छे लगते है
जिन मंदिर 
जिन  वेदी 
जिन मूरत 
और
जिनवर
उतम क्षमा ,मार्दव ,आर्जव -सत्य,शौच,संयम,तप
त्याग आकिंचन ब्रहमचर्य का -सारे जग में हो पालन 
बड़े अच्छे लगते है
ये पिछी
ये कमंडल 
ये मुनिवर 
और
जिनवर
बड़े अच्छे लगते है
जिन दर्शन 
जिन वाणी 
जिन पूजा 
और
जिनवर 
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता; २७.८.२०११ 
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Saturday, March 13, 2010

32 तर्ज-हम दोनो मिलके,कागज पे दिल के,चिट्ठी लिखेगे,जबाब आएगा (तुम्हारी कसम) (राग-खमाज)


32 
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तर्ज-हम दोनो मिलके,कागज पे दिल के,चिट्ठी ,लिक्खेगे जबाव आएगा (तुम्हारी कसम) (राग-खमाज)
गुरुओ से मिल के
जिनवाणी सुन के
ध्यान करने से, प्रभु मिल जायेगा

मन्दिर  की  घंटी  बजे  तो, दौड़े  चले  आना
प्रभु अभिषेक से अरिष्ट को मिटाना  
पूजा की थाली को अष्ट द्रव्य से  सजाना
प्रभु  की  पूजा  में, तन  मन  से  जी लगाना 
मन में मन्दिर के
प्रभु  बसाले
प्रभु बसाने से भव तर जायेगा -----------------गुरुओ से मिल के

मन्दिर  में  प्रभु  के  ऊपर , तीन  छतर  सोहे 
प्रभु  के  चेहरे  की,मुस्कान  मन  को  मोहे
तीन लोक  की सम्पति सगरी,त्यागी इक पल में
हो के  वीतरागी , वो समाये  कण  कण में
नश्वर है  काया
सब कुछ पराया
कुछ भी नहीं तेरे साथ जायेगा -------------------गुरुओ से मिल के
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
१३.०३.१०
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