तर्ज -मैं रंग शरबतों का -तू मीठे घाट का पानी [फटा पोस्टर निकला हीरो ]
शेर
मंदिर हू मैं -मूरत है तू ,दोनों मिले भक्ति जगे
रोज यही मांगू दुआ ,तेरी मेरी -बात बने ,-बात बने
स्थायी
मैं दीप आ रती का -तू ज्ञान की जोत सुहानी -२
तू मुझमें जले प्रभु तो मेरी बिगड़ी बात बन जानी - दीप हूँ आ रती का -----------
१
तेरे चरणों मे -आये है हम ,अपने पापों को गलाने
आठों दरब से -पूजा करने ,आठो कर्मों को जलाने
तू चाँद है पूनम का -मैं रात अमावस वाली -२
तेरी चमक मिले मुझ में, मेरी बिगड़ी बात बनजानी -दीप हूँ आ रती का -----------
२
सोलह भावों को,धारण करके -आतम को मैंने सजाया
दशों धर्मों को अपनाकरके -जीवन को धन्य बनाया
तुम मेरी मंजिल हो -मैं एक भटकता राही -२
तुम मुझे मिलो प्रभु तो ,मेरी बिगड़ी बात बनजानी -दीप हूँ आ रती का -----------
मैं दीप आरती का -तू ज्ञान की जोत सुहानी -२
तू मुझमें जले प्रभु तो मेरी बिगड़ी बात बन जानी - दीप हूँ आ रती का -----------
रचयिता -राजू बगड़ा
ता ;-7. 9. 2014
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