जिन्दगी की न टूटे लड़ी
वीर भजले घड़ी दो घड़ी
अपनी काया की नौकरिया छोडो
आतम की लगी है बड़ी ------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी
१
उस धन का तो होना भी क्या
जिस धन से भलाई न हो
ऐसा जीना भी जीना नहीं
जिसमे मन में दया ही न हो -------------हो दया ही न हो
मन में ज्योति जलेगी तभी ------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी
२
आज से कर लो वादा सभी
दश व्रत पूरे करेगें सदा
मुक्ति पथ पर चलेगें सभी
प्रभु का साथ पायें सदा -----------------हो मोह माया की
मोह माया की किसको पड़ी ---------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी
रचयिता -राजू बगडा-ता;- १५.०७.१९८०
मंगलम भगवान वीरो,मंगलम गौतमो गणी । मंगलम कुन्द्कुंदाद्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम ॥ णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उव्झायाणं णमो लोए सव्व साहुणं..ऐसो पञ्च णमोक्कारो,सव्व पाव पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिम् पढमं हवई मंगलम ........ मैंने कुछ भजन भगवान् की भक्ती मे अर्पण किये है -आप भी इनका रसपान करे ! by raju bagra-madurai
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Friday, August 8, 2008
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