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Thursday, September 17, 2015

49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)

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तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)
जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल  , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा - पापो से करले तौबा

पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो  को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
                            हा तो -जैसा जो बोयेगा

दश धर्मों के -  दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब  तपाले तू -२
याद रखना फिर  -२ मुक्ति पाओगे
                             हा  तो -जैसा जो बोयेगा

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm
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Thursday, August 28, 2014

42 तर्ज-फूलों का तारों का सबका कहना है [हरे रामा हरे कृष्णा ] (राग-बिलावल)

42

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तर्ज -फूलों का तारों का सबका कहना है [हरे रामा हरे कृष्णा ] (राग-बिलावल)

पर्युषण पर्व का यही कहना है 
निज आतम शुद्धि में सबको रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 
१ 
जीव अकेला करता है ,चारों गति में वास 
सुख दुःख भोगा करता,बुन के कर्मो के जाल 
आ मेरे संग आ ,पूजन करना है 
निज आतम शुद्धि से ध्यान में रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 
२ 
सम्यक दर्शन ज्ञान चरित की ,महिमा है अपार 
निज पर शासन करने से ,होता है उद्धार 
आ मेरे संग आ ,पूजन करना है 
निज आतम शुद्धि से ध्यान में रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-२९ अगस्त २०१४ 
१.१५ AM 
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