Thursday, October 17, 2024

98 तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा (सम्बन्ध)(राग-भैरवी)

98 
तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा 
(सम्बन्ध)(राग-भैरवी)
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करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
1
अनन्तानंत काल से, भवसागर में गोते खाये ssss जाले,बुनकर,कर्मों के, दुःख में,डूबा जाये sssss
तुझे सुख की मंज़िल,मिलेगी तप से ,
कर्मो का है खेलाsssss
करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
2
जो करेगा निज पे शासन, वो जिनेन्द्र बनेगा ssss
जो इन्द्रियों को जीतेगा, वो जिनेन्द्र  बनेगा ssss
क्षणिक सुखों का, इन्द्रजाल है
कर्मों का है खेलाssss
करो तपस्या,करो तपस्या,करो तपस्याssss 
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन,करो तपस्या 
रचयिता
 राजू बगड़ा "राजकवि"(sujangarh)मदुरै 
18.10.2024 (00.35 a.m.)
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