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तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा
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बनो तपस्वी,बनो तपस्वी, बनो तपस्वी
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन, बनो तपस्वी
1
अनंन्तानंत काल से, भवसागर में गोते खाये ssss
कर्मो के जाले, बुनकर, दुःख में डूबा जाये sssss
मिलेगी सुख की मंज़िल, तप से ,क्या समझा ओ बन्दे,
बनो तपस्वी,बनो तपस्वी, बनो तपस्वी
जिनवाणी कहे पुकार,हे आत्मन, बनो तपस्वी
2
जो करेगा निज पे शासन, वो जिनेन्द्र बनेगा ssss
जो इन्द्रियों को जीतेगा, वो जिनेन्द्र बनेगा ssss
क्षणिक सुखों के, इन्द्रजाल से,बाहर आजा बन्दे,
बनो तपस्वी,बनो तपस्वी, बनो तपस्वी
हो जाओ,तन से दूर, मन से बनो तपस्वी
रचयिता
राजू बगड़ा मदुरै
18.10.2024 (00.35 a.m.)
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