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Thursday, September 17, 2015

49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ]


जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल  , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा -करले पापो से तौबा

पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो  को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
                            हा तो -जैसा जो बोयेगा

दश धर्मों के -  दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब  तपाले तू -२
याद रखना फिर  -२ मुक्ति पाओगे
                             हा  तो -जैसा जो बोयेगा

रचयिता -राजू बगड़ा
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm

Tuesday, September 6, 2011

37 तर्ज -कव्वाली -वादा तेरा वादा,वादे पे तेरे मारा गया ,बंदा मै सीधा सादा [दुश्मन ]

इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे http://sound1.mp3pk.com/artist/kishore_kumar/the_prodigy_vol3/3prodigy12(songs.pk).म्प३

कि  प्राणी बच नहीं सकता -कभी कर्मो के घेरो से 
और मुक्ति पा नहीं सकता-बिना उनको जलाने से

स्थायी
मै मंदिर रोज जाऊ
मै पूजा रोज   करू 
मै सामायिक भी करू
हो अब और प्रभु क्या क्या करू

कर्मो ने मुझे घेरा 
घेरा मुझे घेरा -कर्मो ने है घेरा-२
कर्मो के चक्करों में फंसा 
भगत सीधा सादा
घेरा मुझे घेरा -कर्मो ने है घेरा-२
ये कैसे कर्म है जी -मुझे छोड़े ही नहीं
कभी दुःख को दिखाते -कभी सुख को दिखाते
कभी मनुष्य गति -कभी तिर्यंच गति
कभी नरको की गति-कभी स्वर्गो की गति

जंहा पे लेके जाते -वहीँ का ही बनाते 
और कभी पागल बनाते-कभी मूरख बनाते-२

अगरचे खूब ये कर्म -बड़े चालू है ये कर्म-२
कर्म कैसी बला है-या कोई जलजला है

किसी शास्त्री से पूछो 
किसी पंडित से पूछो
कर्मो की कैसी लीला 
कर दिया मुश्किल जीना 
हो &&&&& दामन में मेरे फूल है कम -और कांटे है जियादा 
                                                                     घेरा मुझे घेरा-------------------
कभी शुभ कर्म आते -कभी अ-शुभ भी आते
कभी दोनों रुलाते -कभी दोनों हंसाते
कभी राजा बनाते-कभी ये रंक बनाते
कभी सब कुछ दिलाते -कभी सब कुछ ले जाते

मुनि तपस्या करते -ये उन्हें भी डराते
और कभी अन्तराय लाते-तपस्या भंग कराते-२

मगर छोड़े नहीं किसी को -चाहे भगवान भी वो हो-२
दिखा के रूप अपना -नचाते हर किसी को

बुलाये छाँव कोई
पुकारे धूप  कोई 
तेरा हो रंग कोई
तेरा हो रूप कोई
हो &&&&& कुछ फर्क नहीं नाम तेरा-अच्छा हो या बुरा 

घेरा मुझे घेरा-कर्मो ने है घेरा
कर्मो के चक्करों में फंसा 
भगत सीधा सादा
                    घेरा मुझे घेरा------------------------------
रचयिता 
राजू बगडा
ता; ६.९.२०११ 






Wednesday, August 6, 2008

07 तर्ज;-सैय्या दिल में आना रे

07 तर्ज;-सैय्या दिल में आना रे
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स्थायी
सैया मन्दिर जाना रे
दर्शन कर के आना रे
प्रभु को शीश झुकाना रे ----------सुन सैया सुन सुन
अक्षत अर्घ चढाना रे
गंधोदक लगाना रे
आरती कर के आना रे ----------सुन सैया सुन सुन
अंतरा १
मन्दिर में पारस प्रभु की ,मोहनी मूरत होगी -२
भक्ति के गीत गाते,भक्तो की टोली होगी
तूं भी संग संग उनके पूजा कर आना रे -----सैया मन्दिर जाना रे

पूजा की थाली होगी, केसर की प्याली होगी -२
दीपों की जगमग करती ,छटा निराली होगी
श्री जी को अर्घ चढा कर आना रे ---------सैया मन्दिर जाना रे

फलो की थाली होगी ,शास्त्र जिनवाणी होगी -२
श्री जी के पास में ही चांदी की माला होगी
माला प्रभु जी की तुम फेर के आना रे --------सैया मन्दिर जाना रे
रचयिता-राजू बगडा-ता;-०८.०८.२००६
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