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Saturday, August 9, 2025

105 तर्ज नैना बरसे,रिमझिम रिमझिम, पिया तोरे आवन की आश (वो कौन थी) (राग-शिव रंजनी)

105
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तर्ज नैना बरसे,रिमझिम रिमझिम, पिया तोरे आवन की आस (वो कौन थी) (राग-शिव रंजनी)

मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
गुरुवर आये,अंगना में आssज
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
मनवाsss हर्षे,हर्षे हर्षे
1
रहे हर पल ये संयम से, नहीं कोई परिग्रह है, 2
ये रखते भाव समताs के, 
नहीं कोईss शिकायत है
तपसी है बैरागी 
मुक्ति के अनुरागी
सब जीवों पे रखते,क्षमा के भावssss
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
गुरुवर आये,अंगना में आssज
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
मनवाsss हर्षे,हर्षे हर्षे
2
बङे मनोयोग से मैनें,बनाया शुद्ध भोजन है 2
देऊं आहार गुरू को जब
मिले संतोष मन को है
गुरू के उपदेशों से
मन स्थिर होता है
गुरुवर आये,लाये तप की बहार sssss
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
गुरुवर आये,अंगना में आssज
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से
मनवाsss हर्षे,हर्षे हर्षे
मन मेरा हर्षे,गुरू दर्शन से --------
रचयिता राजू बगङा"राजकवि"(sujangarh) मदुरै 
 ता: 9.8.25 (11.00 pm)
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Saturday, July 19, 2025

103 तर्ज किसी राह में किसी मोङ पर,कहीं चल न देना तू छोङ कर (मेरे हमसफ़र)(राग-चारुकेशी)

103
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 तर्ज किसी राह में किसी मोङ पर,कहीं चल न देना तू छोङ कर (मेरे हमसफ़र)(राग-चारुकेशी)

किसी राह में,किसी मोङ पे 2
मिल जाय,मुनिवर कीs शरण
हो जाये तब,जीवन सफल
गुरु को नमन,गुरु को नमन
किसी दुःख में,किसी कष्ट में 2
मिल जाय,गुरू आशिर्वचन 
हो जाये तब,जीवन सफल
गुरु को नमन,गुरु को नमन
1
ता-उम्र करते हैं, पाप,  हम 2
फिर भी,समझ नहीं, पाते हम
ये कैsसा,माया जाsल है
बुनतेs भी हम,
रोsतेs भी हम
कैसे मिले,गुरू की शरण 2
किसी राह पे,किसी मोङ पे
मिल जाय, 
मुनिवर कीs शरण
 हो जाये तब,जीवन सफल,
गुरु को नमन,गुरु को नमन
2
गुरू सूर्य सम, गुरु चन्द्र सम 2
ध्रुव तारे सम,नक्षत्र सम
दिखलाsते,सुख की राह को
मिट जाsते,
मन के -सब भरम 
जब मिलती हैं,गुरू की शरण 2
किसी राह पे,किसी मोङ पे
मिल जाय, 
मुनिवर कीs शरण
हो जाये तब,जीवन सफल
गुरु को नमन,गुरु को नमन
किसी दुःख में,किसी कष्ट में 2
मिल जाय,गुरू आशिर्वचन 
हो जाये तब,जीवन सफल
गुरू को नमन,गुरू को नमन 

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ताः 20.7.2025 ( 6.30am)
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Saturday, August 24, 2024

93 तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत) (राग-पहाङी)

93
तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)(राग-पहाङी)
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ये मन प्रभू बिन,कहीं,-रमताss नहीं, हम क्याss करें 
गुरु तुम बिन, कोई- ,जंचताss नहीं हम क्याss करें 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs- ,
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss
1
तुम्हारी,-वंदना करना, तुम्हारेs ध्यान में रहना 2,
दिखाए, आपने जो पथ, उन्ही की साधना करना 
मिलेगी मुक्ति की मंजिल, 
इसी विश्वासs सेs चलना 
गुरु तुम बिन, -कोई जंचताss नहीं हम क्याss करे 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs,-
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss
2
तुम्हारे, चरणों की मैं धूल, मुझे इतनी जगह देना 2
तपस्या, साधना संयम की, करलूं ऐसा बल देना
कभी मैं डगमगा जाsऊं, 
तो, हरपल साsथ मेंs रहना
गुरु तुम बिन,-कोई, जंचताss नहीं हम क्याss करे 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs,-
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss

ये मन प्रभू बिन,कहीं,-रमताss नहीं, हम क्याss करें 
गुरु तुम बिन, कोई- ,जंचताss नहीं हम क्याss करें 
तुम्हीं सुनलो,
-sमेरेs- ,
मन की,व्यथा,हम क्याss करेंss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
मदुरै 
25.8.24 (00.30 am)
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Monday, September 6, 2021

70 तर्ज का करू सजनी आए ना बालम (स्वामी)

70
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 तर्ज का करू सजनी आए ना बालम (स्वामी)

का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
कौन विधी मैं करूं , वश में ये इंद्रियां
जागे ना आतम
1
जब भी पाऊं दर्शन तेरा,भक्ति मन में जागे 2
कर कर वैयावृति तेरी, संयम मन में जागे
रम गया तेरी ,भक्ती में प्रभू ,मन डूबा जाए  मन डूबा जाए
भवsसागर में गुरू, तू ही है खिवैया
जागे ना आतम
2
लख चौरासी फिरते फिरते,तेरी चौखट पायी 2
तपसी तेरा संयम देखा,तप करने की ठानी
रम गया तेरी ,भक्ती में प्रभू ,मन डूबा जाए  मन डूबा जाए
भवsसागर में गुरू, तू ही है खिवैया
जागे ना आतम

का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
का करूं गुरुवर, जागे ना आतम
कौन विधी मैं करूं , वश में ये इंद्रियां
जागे ना आतम

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
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6 sept 2021
9pm