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Wednesday, April 15, 2020

64 तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)

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तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)

गुरु हे विराग सागर,छवि मनोहारी-2
दुनियां झुके, तेरी महिsमा निराली
गुरु हे विराग सागर-
ज्ञान सुधा बरसाती, छवि है दुलारी
जिनवाणी मुख से,तेरे लगे अति प्यारी
गुरु हे विराग सागर-२
1
कपूर का लल्ला,श्यामा का तारा-2
चमका पथरिया नगर का सितारा
धन्य हुआ जन, गण मन सारा
श्री गुरु ने वैsराग्य को धारा
गुरु हे विराग सागर-
2
पंचम काल की,कठिन तपस्या
करते है शिष्यों की कठिन परीक्षा
आगम सुगम बनाते जाते
भाषा सरल करत समझाते
गुरु हे विराग सागर-
3
सोलह भावना दिल से है भायी
दश धर्मो में ही देह तपायी
ज्ञान का लक्ष्य चरिsत्र बनाया
मोक्ष ही जाने का निश्चय बनाया
गुरु हे विराग सागर-

Note:  सभी अन्तरो की राग एक ही है

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता:29.4.20, 6.00pm

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Saturday, August 30, 2014

22 तर्ज-हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में (जांबाज)(राग-मालगुंजी & मालकौंस)

22

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तर्ज -हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में [जांबाज ](राग-मालगुंजी & मालकौंस)

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
१ 
सब क़ुछ था तेरे पास प्रभु ,फिर भी तुमने सब त्याग दिया -2 
मोह माया के रिश्ते झूठे , 
नश्वर संसार को त्याग दिया -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
२ 
कर्मों के आप ही नाशक हो ,और मोक्ष मार्ग के नेता हो -2 
त्रिलोक को ज्ञान से जान लिया 
इक तुम ही केवलज्ञानी हो -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ;31 . 8 . 2014 
12. 45 AM 
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