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Sunday, August 24, 2025

26 तर्ज अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा (आरजू) (राग-देश)

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अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा (आरजू) (राग-देश)
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक,  नहींs साsरे नसिये
प्रभूs आsप मेरेs
1
मैं चारों गती में, फिराs मारा माराs 
मुझे कोई अब तक, मिला ना, सहाराs
बङे पुण्योssदय सेss तेरा संग मिला है 2
ना बिसराइयेssगा ना बिसराssइयेगा
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक, नहींs साsरे नसिये
2
मैं कैसे करूंs, अपनी, इन्द्रियोंs को वश मेंs 
नहीं मानें मन, वो, चले अपनी धुन मेंs
मुझे दूरss, भोगोs से  कैसे है रहना 2
ये सिखलाइयेssगा  ना बिसराssइयेगा
प्रभूs आsप मेरेs, हियेs मेंsही, बसिये 
मेरेs कर्म जब तक, नहींs साsरे नसिये
 प्रभूs आsप मेरेs 2

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-24.8.2025 (7.30 am)
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Sunday, April 10, 2022

78 तर्ज ना कजरे की धार,ना मोतियों के हार (मोहरा)

78
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तर्ज ना कजरे की धार,ना मोतियों के हार (मोहरा)

हे त्रिशला के लाल,
तेरी जन्म जयंती आज
तुझे दुनियां रही पुकार
सबको तेरी जरूरत है,सबको तेरी जरूरत है
हे त्रिशला के लाल,
तेरी जन्म जयंती आज
तुझे दुनियां रही पुकार
सबको तेरी जरूरत है,सबको तेरी जरूरत है
 वर्धमान भगवान
हे शांती के दातार
तेरे चरणों में आज
करते  लाखों,  हम प्रणाम
1
हिंसा का त्याग ,सिखाया
परिग्रह का, त्याग, सिखाया
हिंसा का त्याग ,सिखाया
परिग्रह का त्याग, सिखाया
   सब अनेकांत अपनाओ
   सुख का ये मार्ग बताया
जिओ और जीने दो
ये मूल मंत्र बतsलाया

वर्धमान भगवान
हे शांती के दातार
तेरे चरणों में आज
करते लाखों हम प्रणाम
हे त्रिशला के लाल,
तेरी जन्म जयंती आज
तुझे दुनियां रही पुकार
सबको तेरी जरूरत है,सबको तेरी जरूरत है
2
है भोग विलास ही जग में
बना जन जन का आधार
है भोग विलास ही जग में
बना जन जन का आधार
   संयम से दूर हुए सब
   हुआ तृष्णा का विस्तार
दुःख का ये मूल कारण
नहीं करता कोई विचार

वर्धमान भगवान
हे शांती के दातार
तेरे चरणों में आज
करते लाखों हम प्रणाम
हे त्रिशला के लाल,
तेरी जन्म जयंती आज
तुझे दुनियां रही पुकार
सबको तेरी जरूरत है,सबको तेरी जरूरत है

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
11.4.2022
10.15 AM
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Sunday, August 3, 2008

04 तर्ज;-आंखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं है -(फिल्म -ॐ शान्ति ॐ) ( राग-पहाङी)

04 तर्ज;-आंखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं है -(फिल्म -ॐ शान्ति ॐ)( राग-पहाङी)
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प्रभु मै तो थारी ,पूजाsपाठ रचाऊं
ओsओsओsओ,
प्रभु मै तो थारी ,पूजाsपाठ रचाऊं
दिssया जलाऊं -अर्घ चढाऊं ,मन में --हुल्साऊं

तेरे चरणों में मिलता ,मेरे मन को चैन है
मन हो जाए फूल सा कोमल ,मिटते मन के मैल है
तेरे चरणों में ध्यान लगा के लगा के मै तप जाऊँ
तेरे ज्ञान की जोत हिये में जलाये ही मर जाऊँ -ओ ओ
प्रभु मै तो थारी पूजा पाठ ---------------------

कैसे छोड़ी ईर्ष्या को ,कैसे छोड़ा क्रोध को
कैसे जीती काम वासना ,कैसे जीता मोह को
मै तो ये छोड़ नहीं पाया ,प्रभु इक पल को
अचरज है ये जीत लिया प्रभु तुमने इन सबको -ओ ओ
प्रभु मै तो थारी पूजा पाठ ---------------------
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;-२०.०१.२००८
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