कितनी उम्मीद ,लेके, तेरे दर पे,आते हैं 2
आप तो सिर्फ़, बैठे बैठे, मुस्कराते हैं 2
मैं तो आया हूं तेरी, तारीफों को, सुन सुन के 2
जाने क्यूं आप, हम से दूरियां बनाते हैं 2
1
तेरा गुणगान,रोज करते हैं
व्रत ,उपवास ,पूजा करते हैं
मंत्र नवकार को भी जपते हैं
तेरे चरणों का ध्यान करते हैं
तेरे चरणों का ध्यान करते हैं
कितनी उम्मीद लेके, तेरे दर पे आते हैं 2
आप तो सिर्फ़, बैठे बैठे, मुस्कराते हैं 2
2
तेरे दर की, तलाश करते हुए
चारों गतियों में,गोते खाएं हैं
तेरे दर्शन से, जीना धन्य हुआ
कितनी आशा संजो के आए हैं
कितनी आशा संजो के आए हैं
कितनी उम्मीद लेके, तेरे दर पे आते हैं 2
आप तो सिर्फ़, बैठे बैठे, मुस्कराते हैं 2
मैं तो आया हूं तेरी, तारीफों को, सुन सुन के 2
जाने क्यूं आप, हम से दूरियां बनाते हैं 2
कितनी उम्मीद ,लेके, तेरे दर पे,आते हैं 2
आप तो सिर्फ़, बैठे बैठे, मुस्कराते हैं 2
रचयिता
राजू बगड़ा, मदुरै
18.9.2021
3.41 pm
www.rajubagra.blogspot.com