ए भोग में डूबे दीवाने sss
पहचान तेरी मंजिल,
गुरुओं से आ के मिल ओ ssssss
1
इन्द्रियों ने बिछाया यहां जाल है,
सुख का तो दिखाया बस ख्वाब है
सुंदर है बहुत , कातिल
ए भोग में डूबे दीवाने sss
नहीं भोग तेरी मंजिल,
गुरुओं से ,आ के मिल ओ ssssss
2
सब जानके भी,क्यूं तूं अनजान है
इन्द्रियों से करे विषपान है
संयम ही तेरी मंजिल
ए भोग में डूबे दीवाने sss
नहीं भोग तेरी मंजिल,
गुरुओं से ,आ के मिल
3
हे तपसी ,तूं बड़ा ही महान है
भोगों को, दिया विराम है
तप से ही मिले मंजिल
हे वीर प्रभू के दीवाने sss
नहीं भोग तेरी मंजिल,
गुरुओं से ,आ के मिल ओ ssssss
रचयिता
राजू बगड़ा,
24.9.2023 3.45pm
www.rajubagra.blogspot.com
No comments:
Post a Comment