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Monday, November 18, 2024

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)

100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)
www.rajubagra.blogspot.com 
आँखों को
आँखों को ,बन्द करके, सिमरो तुम ,प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
 1
कोई नहीं है, तेरा अपना 
स्वारथ का , s ये खेsला 2
जिनके लिये तू, पाप कमाता
माया का, s वो  झsमेला 2
जीवन की संध्या में, होगी सब की पहsचान 
आँखों को ,
आंखों को ,बन्द करके, सिमरो.तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss
2
सब कुछ अपना,प्रभु  ने त्यागा,
सच्चा सुखs पाsनेs को 2
इन्द्रिय सुख को जङ से त्यागा
मुक्ती रमाs पाsनेs को
संयम धारण से ही पायेंगे सुख आsराम 
आँखों को 
आँखों को,बन्द करके, सिमरो  तुम प्रभु का नाम
सांसो की माला पे सिमरू मैं प्रभु का नाम
मन के मन्दिर में बसा लो प्रभु का, आsयाम sssss

णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं ओमsss
णमो आइरियाणं,णमो उवझ्झायाणं ओमsss
ओम णमो लोए, सव्व् साहुणं ओमsss
रचयिता 
राजू बगड़ा, मदुरै 
18.11.2024 (11.55 pm)
www.rajubagra.blogspot.com

 


Saturday, August 24, 2024

93 तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)

93
तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)
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ये मन प्रभू बिन कहीं, रमता नहीं, हम क्या करें 2
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करें 
दुखों का अंत तो दिखता नहीं,हम क्या करें 
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें 

1
तुम्हारी,वंदना करना, तुम्हारे ध्यान में रहना 2,
दिखाए आपने जो पथ, उन्ही की साधना करना 
मिलेगी मुक्ति की मंजिल, इसी विश्वास से चलना 
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करे 
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार,को फरियाद करें 
2
तुम्हारे चरणों की मैं धूल, मुझे इतनी जगह देना 2
तपस्या साधना संयम की, करलूं ऐसा बल देना
कभी मैं डगमगा जाऊं, तो हरपल साथ में रहना
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करे 
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें 

ये मन प्रभू बिन कहीं, रमता नहीं, हम क्या करें 2
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करें 
दुखों का अंत तो दिखता नहीं,हम क्या करें 
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें 

रचयिता 
राजू बगड़ा 
मदुरै 
25.8.24 (00.30 am)
www.rajubagra.blogspot.com













Wednesday, September 27, 2023

89 तर्ज सावन का महीना पवन करे शोर

पद्मावती माता की, भक्ती का यहां जोर
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 
1
पारस प्रभू तोहरे,मस्तक विराजे
इंद्र भी तोहरेे आगे शीश झुकाए
जो भी पारस प्रभू की भक्ती करता दिन रैन
माता उसको दे देती है जीवन के सुख चैन
2
जोत जली हो जिसके, मन में मात की
उसके कमी ना रहे ,किसी भी बात की
प्रसिद्धि मिल जाए , उसे जग में चारों और 
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 
3
रोग शोक भक्तो के मिटाए,
भूत प्रेत की बाधा हटाए
जीवन के हर काम में बिगड़ी बनाती बात
थोड़ी सी भक्ती से माsता सुन लेती है बात
पद्मावती माता की, भक्ती का यहां जोर
माता जिसके साथ हो, वो बन जाए बेजोड़ 

रचयिता
राजू बगड़ा
28.9.23    00.30 am
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Sunday, August 28, 2022

82 तर्ज कुन फाया कुन (रॉक स्टार)

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भक्ति तेरी करने,
आ र ती करने,
हम सब आये ,दर पे तेरे 
तेरे बिन खाली आजा, दर ये तेरा
तेरे बिन खाली आजा, दर ये तेरा
मणिभद्रा,
मणिभद्रा,
मणिभद्रा sssssss
मणिभद्रा sssssss
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन,बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन

जब कहीं पे, किसी का, संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
जब कहीं पे, किसी का,संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
वो जो मुझको हंसाया, वो जो मुझको सम्हाला
बाबा तूं ही तूं ही आया था 
वो जो मुझको हंसाया, वो जो मुझको सम्हाला
बाबा तूं ही तूं ही आया था 
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
1
तुझ में डूबा है, मेरा मन, मेरा तन 
करो न सुनवाई अब लागे नहीं मन 
तुझ में डूबा है, मेरा मन, मेरा तन 
करो न सुनवाई अब लागे नहीं मन 
करता हूं पूजा तेरी, सुबह और शाम
भोग चढ़ाऊं तेरे भर भर थाल 
ओ ओ ओ ओ ओ 
करता हूं पूजा तेरी, सुबह और शाम
भोग चढ़ाऊं तेरे भर भर थाल 
सुनता नहीं क्यूं दिल की बात
ओ बाबा ssss बाबा sssss 
सुन बाबा सुन , सुन बाबा सुन
सुन बाबा सुन ,सुन बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
जब कहीं पे, किसी का, संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था
जब कहीं पे, किसी का,संग नहीं था
तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था, तूं ही था

तूने मुझको हंसाया, 
मैं तो जग को ना भाया 
तूने गले से लगाया 
तेरे पीछे चला आया 
तेरा ही मैं इक साया 
ओ ssss ओ ssss 
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन सुन बाबा, सुन बाबा, सुन बाबा सुन
बाबा सुन, बाबा सुन, बाबा सुन
सुन बाबा सुन , सुन बाबा सुन
सुन बाबा सुन ,सुन बाबा सुन
रचयिता
www.rajubagra.blogspot.com
राजू बगड़ा
28.8.2022
2.30pm




Saturday, August 27, 2022

81 तर्ज कैसे बताएं, क्यूं तुझको चाहें, यारा बता ना पाएं (अजब प्रेम की गजब कहानी)

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कैसे बचाएं, पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
मिलके भी हम ना मिलें, तुमसे न जाने क्यूं
जन्मों के, है फासले, तुमसे न जाने क्यूं
जुड़ता हूं ,फिर भी मैं क्यूं , तुमसे न जाने क्यूं
आशा है, मुक्ति की बस, तुमसे न जाने क्यूं 
कैसे बचाएं पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
1
निगाहें झुकी है मेरी,तेरे चरण में 
कृपा तेरी चाहूं मैं हुजूर
ओsओ
जाने तेरे दर पे, मिले, कैसा ये शुकून
दुनियां के दुख मैं,जाऊं भूल 
तेरे पास हो के भी,
तेरा दास हो के भी
सदा साथ हो के भी,
जानूं नहीं
कैसी है, 
मुझमें कमी, मुझमें न जानें क्यूं 
जन्मों के है फासले, तुमसे ना जानें क्यूं
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 2
ओ जानू ना ss जानू ना ss जानू ना 
ओ sss ओ sss मैं जानू ना
2
प्रभू तेरी भक्ति में, मैं क्या क्या कह गया
बोले कुछ ना, वापस आप तो
ओsओsओ 
हुए ना कृपालु, मुझसे,हो गई क्या खता
देखो अब तो हो गईं इन्तहा
अफसोस होता है,दिल भी ये रोता है,
सपने संजोता है
पगला हुआ, 
माने ना 
जुड़ता है ये, तुमसे न जाने क्यूं
जन्मों के, है फासले, तुमसे न जाने क्यूं
मिलके भी हम ना मिलें, तुमसे न जाने क्यूं
आशा है, मुक्ति की बस, तुमसे न जाने क्यूं 

कैसे बचाएं, पापों से खुद को, प्रभु समझ ना आए 
बातें धरम की, बातें करम की, मुझे समझ ना आए
मैं जानूं ना, मैं जानूं ना 5
रचयिता
www.rajubagra.blogspot.com
राजू बगड़ा
25.8.2022
6.30pm













Friday, September 10, 2021

72 तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे Movie: Shershaah (Year-2021)Singer/गायक: Jubin Nautiyal, Asees KaurMusic Director/संगीतकार: Tanishk BagchiLyrics Writer/गीतकार: Tanishk BagchiStar casts

तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम, तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
1
चारों गतियों में फिर फिर के, आए तोरे द्वारे
करम घुमाएं, भव सागर में, दिखते नहीं किनारे
बन जा तू मांझी,मेरी नांव का
छ्ड के न जाना मेनु, बीच धार में
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे, 2
तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम,तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
रचयिता
राजू बगड़ा, मदुरै
10.9.2021,: 4pm
visit:www.rajubagra.blogspot.com










Tuesday, March 31, 2020

67 मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता

मिलता,हमेशा,सुख,अहिंसा,के भाव से
दे कर गए संदेश,महा-वीर,ज्ञान से
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
1
सनावद गांव धन्य हुआ,
तेरे आने से जग झूमा
हुआ हर्षित कमल का मुख,2
मनोरमा मां का, मन झूमा
तुम्हीं वर्तमान,के वर्द्धमान हो, तेरी, करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
2
आचार्य शान्ति सागर की
परम्परा को निभाते हो
अठाईस मूल गुण मुनि के 2
पालन ,करते कराते हो
प्रभू भक्ति में ,रत हरदम,गुरु तेरी करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 19.6.20
10.30 pm

Friday, September 6, 2019

60 तर्ज - हरियाला बन्ना ओ नादान बन्ना ओ (मारवाड़ी)

थार चरणा माहीं ,म्हें टेक दियो हां माथो-2
रुपया पैसा,यो महल मालिया,
यो जग सारो,प्रभु ना भा व-2
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
1
शिखरजी गयो रेे, हे पारस प्रभु रे -2
म वंदना भी कर आयो,
प्रभु अब कष्ट मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
2
चांदनपुर गयो रेे, महावीर प्रभु जी -2
थार लाडू भी चढ़ाया,
अब तो दुखड़ा मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
रचयिता- राजू बगड़ा, मदुरै
ता:-7.9.2019,1.15 AM
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Monday, September 2, 2019

59 तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-रुस्तम

पर्युषण आया है,
प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
1
मैंने छोड़े है पापों के रास्ते
अब आया हूं तेरे पास रे
तेरी भक्ति में डूबा जाऊं में
पहचान ले
मैंने क्रोध कषाय को त्याग दिया
मैंने क्षमा धरम अपना लिया
स्वारथ के इस संसार को
है जान लिया
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
2
कभी किसी भी, गति में जाऊं मैं
तेरे ध्यान से भटक ना जाऊं मैं
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
तेरा मेरा मिलना दस्तूर है
तेरे होने से मुझमें नूर है
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया

रचयिता -राजू बगड़ा,
ता -2 . 9 . 2019 ,8 PM  
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Sunday, December 30, 2018

58 तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)


प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
1
इतनी सी, छोटी सी, होती है ,ये जिंदगानी-2
रुक जाती है,थम जाती है,जब ये सांसे सारी
स्वार्थी दुनियां में
तू एकला आता है
और एकला जाता है
जब कुछ नहीं मिलता है, फिर क्यों तू रोता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है
2
गुरुओं का संगम जब तब मिल जाता है हमको
उनके उपदेशों से पथ मिल जाता है हमको
जिनवाणी सुनके
इक ज्ञान जो मिलता है
इक आनन्द मिलता है
जब दोनों मिलते है,तब मोक्ष भी मिलता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 4.9.2019 11.30.P.M
www. rajubagra.blogspot.com

Tuesday, September 13, 2016

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]
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चारों गतियों में
घूम - आया
सुख कहीं ssना
मैंने पाया
जब शरण में तेरी आया
मनवा   मेरा     हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2

थारी शरण में 
जो  आवे
दुःख  दूर  सब
 हो जावे
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
हर बात भी, तेरी मानी
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति  के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4


रचयिता -राजू बगड़ा
ता;13 -09 -2016
www. rajubagra.blogspot.in




Wednesday, September 7, 2016

52 तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता

हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं -2 
हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।
तेरा ध्यान जब लगाया ,मुझे अपना ध्यान आया -2 
तू कहाँ है,  मैं   कहाँ हूँ , यह फासला,   क्यूँ आया 
    तेरे    पास है, पहुँचना , मैंने अपना ध्येय  बनाया। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं----

मन और इन्द्रियों के ,   हो   विजेता तुम जिनेन्द्र -2 
पथ ,जिस पे चल के जग में ,कहलाते हो जिनेन्द्र 
   बढ़ जाऊँ उसी ही पथ पर ,तुम्हें पाऊँ मैं  जिनेन्द्र। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं------
        हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।


रचयिता -राजू बगड़ा 
www. rajubagra.blogspot.com
 ता ; 8. 9 . 2016 





    

Tuesday, September 22, 2015

51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]

धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------

 जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
 तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
 रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
 पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
 धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

रचयिता -राजू बगड़ा
ता -२३.०९.२०१५
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Thursday, September 17, 2015

50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी

चालो र चालो  मंदिरा म आज -आज रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न  देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय-  आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

रचयिता
राजू बगड़ा
ता 18 . 9 . 2015

Saturday, August 30, 2014

22 तर्ज-हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में

तर्ज -हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में [जांबाज ]



तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

१ 
सब क़ुछ था तेरे पास प्रभु ,फिर भी तुमने सब त्याग दिया -2 
मोह माया के रिश्ते झूठे , 
नश्वर संसार को त्याग दिया -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

२ 
कर्मों के आप ही नाशक हो ,और मोक्ष मार्ग के नेता हो -2 
त्रिलोक को ज्ञान से जान लिया 
इक तुम ही केवलज्ञानी हो -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

रचयिता  -राजू बगड़ा 
ता ;31 . 8 . 2014 
12. 45 AM 

Tuesday, September 10, 2013

46 तर्ज -क्योंकि तुम ही हो [आशिकी 2 ]



हम  तेरे  चरणों  में आये है जिनवर
अपना शीश झुकाने को
तुझ को छू  कर मिल जाये मुक्ति

है विश्वास   मेरे मन को

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो

तेरा मेरा रिश्ता पुराना
भक्ति कभी टूटी ही नहीं
मै कभी तुमसे दूर हुआ पर , तुमने  मुंह मोड़ा ही नहीं
हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो


मेरे लिए ,ही जिया मै , हूँ स्वार्थी
कर दिया है ,भोगो में जिन्दगी को  पूरा -सारी अच्छाइयों को  छोड़ा

हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो

रचयिता -राजू बगडा
ता ; १०. ०९. २०१३








Sunday, September 8, 2013

43 तर्ज -जीने लगा हूँ पहले से ज्यादा [रमैया वस्तावैया ]


करने लगा हूँ  भक्ति प्रभु की
पहले से ज्यादा अब मै करने लगा हूँ
ओ ssssss ओ sssssss ओ ssssss

मै तेरे ध्यान में डूबा रहूँ
 खुद की मै  पहचान करता रहूँ
जीना मुझे तू सिखाता रहे
कर्मो का मैल हटाता रहूँ

करने लगा हूँ  भक्ति प्रभू  की ------------

जन्म जन्म के मेरे संस्कार कैसे
उलझा हुआ हूं झूठी माया में ऐसे
झूठी माया में  मै   उलझा ,जनम  जनम से कैसे
तेरी शरण में आया भगवन मुझको बचाले भव से

तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ------ओ sssss

उत्तम क्षमा के फूल खिलने लगे है
हिंसा के कांटे मन से खिरने लगे है
फूल क्षमा के अब तो मेरे, मन में खिलने लगे है
तेरे ध्यान से क्रोध के कांटे ,मन से खिरने लगे है
तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ----ओ ssssss

रचयिता -राजू बगडा
ता ;०८. ०९. २०१३

Wednesday, September 19, 2012

20 तर्ज-कहीं दूर जब दिन ढल जाये ,सांझ की दुल्हन बदन चुराए [आनंद ]

20
तर्ज़ कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाये (आनंद)
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अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
प्रभूss शरण में आकर के हम 
प्रायश्चित के गर,आँसू बहाए ,दुःख कट जाये 
1
कभी जब गुरुओं से, होती हैं बातेँ--
गुरु मुस्काते हुये, यूं समझाते --]2
करोगे अच्छा, पाओगे अच्छा 
समझ सको तो समझो, पीर पराई-पीर पराई 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
2
खाए पीये, पहने ओढ़े, मस्त है मानव --
कैसे बनी वो वस्तु , ये नहीं जानत --2
जरा सा ठहरो,सोचो समझो 
क्या उसमें पशुओं की पीर मिलाई-पीर मिलाई 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
रचयिता 
राजू बगङा
19.9.2012 (00.15am )
Www.rajubagra.blogspot.com 




Sunday, August 26, 2012

39 तर्ज -आलीजा लेता आज्योजी घुमेरदार लन्जो [मारवाड़ी]


प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी  सुण ल्योनी  ,बुलाव थारो बंदो
बुलाव. थारो बंदो , पुकार.थारो बंदो -2
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी  ,बुलाव.थारो बंदो 

1

म्हे पूजा थाल रचावा ,थारी पूजा कर हर्षावा -2

प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी  ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी  सुण ल्योनी  ,बुलाव थारो बंदो



2

म्हे राग द्वेष म फँस ग्या ,म्हे मोह माया म फँस ग्या -2
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी  ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी  सुण ल्योनी  ,बुलाव थारो बंदो


3

म्हान प्रेम भाव सिखलाई  ज्यो -म्हान क्षमा धरम बतलाई ज्यो -2
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी  ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी  सुण ल्योनी  ,बुलाव थारो बंदो



रचयिता -राजू  बगडा
ता -26.8.2012









Tuesday, August 14, 2012

18 तर्ज-एजी हा सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा-[मारवाड़ी]

एजी  हा सा म्हारो  मनडो  प्रभु  भक्ति म लाग्यो सा -2
बाई सा रा बीरा तीरथ -ले  चालो सा -2


एजी हा सा म्हारो मनडो पूजा विधान चाव सा -2
बाई सा रा  बीरा मन्दिरा म चालो  सा -2


एजी हा सा म्हारो  मनडो जिनवाणी सुणबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा उपदेशा म चालो सा -2

एजी हा सा म्हारो  मनडो आहार देबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा मुनि संघा म चालो सा -2




रचयिता -राजू बगडा
ता;-15-08-2012