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तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत)
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ये मन प्रभू बिन कहीं, रमता नहीं, हम क्या करें 2गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करें
दुखों का अंत तो दिखता नहीं,हम क्या करें
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें
1
तुम्हारी,वंदना करना, तुम्हारे ध्यान में रहना 2,
दिखाए आपने जो पथ, उन्ही की साधना करना
मिलेगी मुक्ति की मंजिल, इसी विश्वास से चलना
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करे
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार,को फरियाद करें
2
तुम्हारे चरणों की मैं धूल, मुझे इतनी जगह देना 2
तपस्या साधना संयम की, करलूं ऐसा बल देना
कभी मैं डगमगा जाऊं, तो हरपल साथ में रहना
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करे
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें
ये मन प्रभू बिन कहीं, रमता नहीं, हम क्या करें 2
गुरु तुम बिन, कोई जंचता नहीं हम क्या करें
दुखों का अंत तो दिखता नहीं,हम क्या करें
तुम्हीं सुनलो,मेरे उद्-गार को, फरियाद करें
रचयिता
राजू बगड़ा
मदुरै
25.8.24 (00.30 am)
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