हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं -2
हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।
1
तेरा ध्यान जब लगाया ,मुझे अपना ध्यान आया -2
तू कहाँ है, मैं कहाँ हूँ , यह फासला, क्यूँ आया
तेरे पास है, पहुँचना , मैंने अपना ध्येय बनाया।
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं----
2
मन और इन्द्रियों के , हो विजेता तुम जिनेन्द्र -2
पथ ,जिस पे चल के जग में ,कहलाते हो जिनेन्द्र
बढ़ जाऊँ उसी ही पथ पर ,तुम्हें पाऊँ मैं जिनेन्द्र।
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं------
हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।
रचयिता -राजू बगड़ा
www. rajubagra.blogspot.com
ता ; 8. 9 . 2016
ता ; 8. 9 . 2016
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