Tuesday, August 26, 2025

33 तर्ज़-आवाज देके हमें तुम बुलाओ,मोहब्बत में इतना न हमको सताओ (प्रोफेसर) (राग-मिश्रा शिवरंजनी)

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तर्ज़-आवाज देके हमें तुम बुलाओ,मोहब्बत में इतना न हमको सताओ (प्रोफेसर) (राग-मिश्रा शिवरंजनी)

महावीssर स्वामीss,मेरेss मन में आवोss
मुझे आssज अपने,दरश तोss दिखाsवोss
महावीssर स्वामीss
1
बिना कुछss कहे, सुनते होss सबकी अर्जी 2
अधूरीss है क्यों, मेsरे मन की, सुनोssजी
हे त्रिशलाss के नssन्दन,सुनो मन का क्रन्दन 
मुझे भीss तो अब,मुक्ती का पथss दिखाssवो
महावीssर स्वामीss,मेरेss मन में आवोss
मुझे आssज अपने,दरश तोss दिखाsवोss
महावीssर स्वामीss
2
है जन गणss जगत का,अहिंसाs को भूsला 2
है भोगोंss में चित्कार, पशुओं की पीsङा
ये अभिमाsनी माsनव, यूं स्वाsरथ में डूssबा
समझ केss भी सब कुछ, क्यूं पगsलाss गयाs है
महावीssर स्वामीss,मेरेss मन में आवोss
मुझे आssज अपने,दरश तोss दिखाsवोss
महावीssर स्वामीss

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
26.8.2025  (00.30 am)
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