पारसनाथ जगत का थे तारा -कि तीनो ही लोका म सब स्यूं हो प्यारा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं
जल स्यूं पूजा म्हे चंदन स्यूं पूजा ,कि अक्षत पुष्पा री माला स्यूं पूजा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं
मीठा मीठा नैवेध चढावा, कि दीपा री ज्योति स्यूं हियो उमगावा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं
चंदन अगर कपूर जलावा,कि शिवपुर जाबा ताई फल भी चढावा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं
आठो दरब स्यूं म्हे पूजा रचाई ,कि पारस री पूजा है अति सुखदाई
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं
रचयिता -राजू बगडा-ता;-१५.०८.२००५
मंगलम भगवान वीरो,मंगलम गौतमो गणी । मंगलम कुन्द्कुंदाद्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम ॥ णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उव्झायाणं णमो लोए सव्व साहुणं..ऐसो पञ्च णमोक्कारो,सव्व पाव पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिम् पढमं हवई मंगलम ........ मैंने कुछ भजन भगवान् की भक्ती मे अर्पण किये है -आप भी इनका रसपान करे ! by raju bagra-madurai
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Thursday, August 7, 2008
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