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Saturday, September 18, 2021

75 तर्ज तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं ए सनम हम तो सिर्फ तुमसे प्यार करते हैं (दीवाना)

75 
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तर्ज तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं ए सनम हम तो सिर्फ तुमसे प्यार करते हैं (दीवाना)

कितनी उम्मीद ,लेके, तेरे दर पे,आते हैं 2
आप तो सिर्फ़,  बैठे  बैठे, मुस्कराते हैं 2
 मैं तो आया हूं तेरी, तारीफों को, सुन सुन के 2
 जाने क्यूं आप, हम से दूरियां बनाते हैं 2
 1
तेरा गुणगान,रोज करते हैं
व्रत ,उपवास ,पूजा करते हैं
मंत्र नवकार को भी जपते हैं
तेरे चरणों का ध्यान करते हैं
     तेरे चरणों का ध्यान करते हैं
कितनी उम्मीद लेके, तेरे दर पे आते हैं 2
आप तो सिर्फ़,  बैठे  बैठे, मुस्कराते हैं 2
2
तेरे दर की, तलाश करते हुए
चारों गतियों में,गोते खाएं हैं
तेरे दर्शन से, जीना धन्य हुआ
कितनी आशा संजो के आए हैं
 कितनी आशा संजो के आए हैं
कितनी उम्मीद लेके, तेरे दर पे आते हैं 2
आप तो सिर्फ़,  बैठे  बैठे, मुस्कराते हैं 2
मैं तो आया हूं तेरी, तारीफों को, सुन सुन के 2
 जाने क्यूं आप, हम से दूरियां बनाते हैं 2
 
कितनी उम्मीद ,लेके, तेरे दर पे,आते हैं 2
आप तो सिर्फ़,  बैठे  बैठे, मुस्कराते हैं 2

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
18.9.2021
3.41 pm
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Friday, September 10, 2021

72 तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे (शेरशाह)

72 
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तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे (शेरशाह)

तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम, तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
1
चारों गतियों में फिर फिर के, आए तोरे द्वारे
करम घुमाएं, भव सागर में, दिखते नहीं किनारे
बन जा तू मांझी,मेरी नांव का
छ्ड के न जाना मेनु, बीच धार में
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे, 2
तेरी भक्ति में ,हो गए हैं चूर
दर पे खड़े है हम,तेरे प्रभू
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
व्रत उपवास भी ,करते हजूर
फिर भी हुए नहीं ,दुख मेरे दूर
कित्थे जाणा,अब कित्थे जाणा ,अब कित्थे जाणा
काटूं कैसे कर्मों को, बताओ प्रभू
जनम मरण को मिटाओ प्रभू
किअब तो तेरा ही शरणा रे,नहीं कोई दिखता दूजा रे 2
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
10.9.2021,: 4pm
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