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तर्ज सजनवा बैरी हो गए हमार (तीसरी कसम)
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तपस्वी तेरा करे बहुमान
त्याग और संयम धारा मन में २
भोगों को दे, विराम
तपस्वी तेरा करे बहुमान
१
पल पल बीती जाय, उमरिया ,खुद की सुध नहीं आय 2
मोह माया में फंसा ये हंसा, चाहे भी उड़ नहीं पाए
तुमने तपस्वी त्याग के पथ पर 2
बढ़ कर किया कमाल
तपस्वी तेरा करे बहुमान
त्याग और संयम धारा मन में
भोगों को दे, विराम
तपस्वी तेरा करे बहुमान
२
क्रोध की अग्नी बुझाई तुमने, क्षमा का नीर बहाया 2
पंचेंद्रियों पे अंकुश रख के , जीवन सफल बनाया
सुख की कुंजी ,त्याग से मिलती,2
सब को दिया बताय
तपस्वी तेरा करे बहुमान
त्याग और संयम धारा मन में
भोगों को दे, विराम
तपस्वी तेरा करे बहुमान
रचयिता
राजू बगड़ा www.rajubagra.blogspot.com
28.7.2024
1.00 AM
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