103
www.rajubagra.blogspot.com
तर्ज किसी राह में किसी मोङ पर,कहीं चल न देना तू छोङ कर (मेरे हमसफ़र)
मिल जाय,
मुनिवर कीs शरण
जीवन सफल, समझो सफल
1
ता-उम्र करते हैं, पाप, हम 2
फिर भी,समझ नहीं, पाते हम
ये कैsसा,माया जाsल है
बुनतेs भी हम,रोतेs भी हम
कैसे मिले,गुरू की शरण 2
किसी राह पे,किसी मोङ पे
मिल जाय,
मुनिवर कीs शरण
जीवन सफल, समझो सफल
2
गुरू सूर्य सम, गुरु चन्द्र सम 2
ध्रुव तारे सम,नक्षत्र सम
दिखलाsते,सुख की राह को
मिट जाsते, मन के सब भरम
जब मिलती हैं,गुरू की शरण 2
किसी राह पे,किसी मोङ पे
मिल जाय,
मुनिवर कीs शरण
जीवन सफल, समझो सफल
रचयिता
राजू बगङा
ताः 20.7.2025 ( 6.30am)
www.rajubagra.blogspot.com
No comments:
Post a Comment