Sunday, July 31, 2011

14 तर्ज -पैसा पैसा करती है तू पैसे पे क्यू मरती है [दे दना दन]

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 तर्ज -पैसा पैसा करती है तू पैसे पे क्यू मरती है [दे दना दन]

क्या बात है  क्या चीज है मै मै- ४

मै  मै  मै  मै  करता है ,तू मै  मै  मै  क्यू करता है 
इक बात मुझे बतलादे तू ,ये  मै मै मै क्यू रटता है 
मै  मै  मै  मै  करने से ,फूटेगी किस्मत तेरी 
तू मै मै मै मै  मत करना ,चमकेगी किस्मत तेरी -२
मैंने ये किया मैंने वो किया ,दुनिया को समझाता है 
दान धरम करके तू अपना,      डंका खूब बजाता है 
दुनिया मे ,मै मै करने से ,      दिलो की बढती दूरी 
चुपचाप किये जा दान धरम ,चमकेगी किस्मत तेरी -२
इसने मुझको ऐसा कह दिया ,उसने मुझको वैसा कह दिया 
याद नहीं रहता पर तुझको ,तूने किसको क्या क्या कह दिया 
कहते कहते उमर बीत गयी,मै  मै हुयी न पूरी 
इक प्यार की झप्पी देने से ,संवरेगी किस्मत तेरी -२ 
तुझसे पहले कितने आये ,कितने आ के चले गए 
खूब रसूख था दुनिया मे ,उनके वंशज भी नहीं रहे 
सुबह का खाया, शाम को याद नहीं रखते दुनिया मे 
तू नाम की चिंता छोड़, तभी चमकेगी किस्मत तेरी 

तू मै मै मै मै मत करना ,चमकेगी किस्मत तेरी -३

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;३१.७.२०११ 
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