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मन्दिर में दीप झिलमिलाये -हाये
भगवन तेरी आंखों के
१
तीनों लोकों का धन तेरे पास था
तेरे जीवन में कुछ ना अभाव था
फिर भी त्यागा -जो कुछ तेरे पास था
क्योंकि नशवर काया का तुझे ज्ञान था
तेरे ज्ञान -की जोत बिखराए -हाये
भगवन तेरी आंखों से ----------------मन्दिर में ------
२
इन्द्रिय सुख को मै हरदम चाहता
नशवर काया पे सब कुछ लुट्टावता
मेरा दुःख से सदा ही रहता वास्ता
क्योंकि आधी अधूरी तुझ पर आस्था
मुझ में ज्ञान की जोती जगा दे -हाये
भगवन तेरी आंखों से ---------------मन्दिर में -------
रचयिता -राजू बगडा-२७.०८.२००६
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1 comment:
yaar marwari bhajan ki raag koni aa rahi ....
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