Sunday, December 30, 2018

58 तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)(राग-मालगुंजी)

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तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)(राग-मालगुंजी)
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
1
इतनी सी, छोटी सी, होती है ,ये जिंदगानी-2
रुक जाती है,थम जाती है,जब ये सांसे सारी
स्वार्थी दुनियां में
तू एकला आता है
और एकला जाता है
जब कुछ नहीं मिलता है, फिर क्यों तू रोता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है
2
गुरुओं का संगम जब तब मिल जाता है हमको
उनके उपदेशों से पथ मिल जाता है हमको
जिनवाणी सुनके
इक ज्ञान जो मिलता है
इक आनन्द मिलता है
जब दोनों मिलते है,तब मोक्ष भी मिलता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 4.9.2019 11.30.P.M
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Friday, September 21, 2018

56 तर्ज- मेरी भीगी भीगी सी पलकों में रह गए,(अनामिका)(राग-कीरवानी)

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तर्ज- मेरी भीगी भीगी सी पलकों में रह गए,(अनामिका)(राग-कीरवानी)
हे पार्श्व प्रभु, तेरे चरणों में
हम   रोज   नमन   करते 
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
1
तुम्हें बिन जाने,बिन पहचाने,जन्म अनेकों गंवाये  - 2
आज हमें जब  ज्ञान मिला तो,तेरे चरणों में आये
चारों गतियों में दुःख जो उठाये
तड़प के आहे भर भर के
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
2
तू ही इक सहारा ,नश्वर जग में,भव से जो पार कराये  - 2
जनम जनम के पाप करम से,हम को भी मुक्ति दिलाये
ऐसी ही आशा, ले के हम आये
तेरी दया पाने को
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
-22.9.2018/12.30 am  
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Wednesday, September 19, 2018

55 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घायल (लोक गीत हरियाणा)

55 
 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घायल (लोक गीत हरियाणा)
थार चरणा म आग्या वीरा )
हर ल म्हारा मन की पीड़ा )   2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------
1
पर पीड़ा और पर निन्दा, म्हां न घणी सुहावण लागी)
माया चारी  कर  कर         म्हारी छाती दूखण लागी)2
जद खुद पर बीतण लागी
मुखड़ा पे आई उदासी
म्हे अकड़ म गेला हुग्या
थान भूल के मैला हुग्या
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

2
ज्यूँ  ज्यूँ  उमर  बीते ,म्हारी धड़कन बढबा लागी
खोटा करम करेड़ा        उणरी याद आवण लागी
जद पड्या करम  का सोटा
म्हे  टेढ़ा,  बणग्या  सीधा
म्हारो जियड़ो  अब दुःख पाव
जियड़ा न कुण समझाव
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि" ,मदुरै
19.9.2018--11. 30 pm
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Sunday, September 16, 2018

54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग](राग-देस,काफी,यमन)

54 
 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग](राग-देस,काफी,यमन)
गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है

गुरु कहे हर आतम से -  तेरा नहीं कोय 
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा  होवे कौन   
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे  फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

सुनो किसी गुरुवर  ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे    दुनियां लेकिन     मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से ,  दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है

गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
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