Tuesday, September 22, 2015

51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]राग-भूपाली

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तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]
राग-भूपाली
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------

 जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
 तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
 रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
 पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
 धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -२३.०९.२०१५
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Thursday, September 17, 2015

50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी

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तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी 

चालो र चालो  मंदिरा म आज -आज रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न  देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय-  आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता 18 . 9 . 2015
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49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)

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तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)
जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल  , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा - पापो से करले तौबा

पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो  को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
                            हा तो -जैसा जो बोयेगा

दश धर्मों के -  दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब  तपाले तू -२
याद रखना फिर  -२ मुक्ति पाओगे
                             हा  तो -जैसा जो बोयेगा

रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm
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