Saturday, August 14, 2021

69 तर्ज-जब जब बहार आयी और फूल मुस्कराये मुझे तुम याद आये Taqdeer (1967):Singer: Mohammed RafiMusic: Laxmikant-PyarelalLyrics: Anand Bakshi

जब जब गुरु जनों के, चरणों में मन लगाया
तप के भाव जगे २
जब जब गुरु जनों ने, उपदेश है सुनाया
आतम ज्योत जगे २
तप की बहुत है महिमा,दुख सुख में बदल जाए २
भव भव के बंधनों की कड़ियां भी टूट जाए
ओ ओ ओ ओ
आओ करें तपस्या, नवकार मंत्र जप के
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 
तप तप के काया अपनी, कंचन समान करले २
अणुव्रत की पालना कर, मन की भी शुद्धि करले
ओ ओ ओ ओ
नवकार मंत्र जप कर, कर्मों को भी गलाए
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 
तपसी तुम्हारी महिमा, दुनियां भी सर झुकाए २
दुनियां क्या देवता भी, आशीर्वचन सुनाए
ओ ओ ओ ओ
देवो के मन में संयम, इच्छा भी जाग जाए
आतम ज्योत जगे ,तप के भाव जगे 

जब जब गुरु जनों के, चरणों में मन लगाया
तप के भाव जगे २
जब जब गुरु जनों ने, उपदेश है सुनाया
आतम ज्योत जगे २

रचयिता राजू बगड़ा, मदुरै
ता: 14-8-2021- 11.50 pm
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Saturday, August 29, 2020

63 तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)

प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-२
निराशा के सागर ,में, आशा वही है
प्रभु साथ है तो
कुछ भी नहीं है तो कोई ग़म नहीं है
जहां पर प्रभु ,सब कुछ ,तो वहीं है
प्रभु साथ है तो

कैसी बीमारी ये महामारी-२
समझा नहीं कोई जग पे है भारी
महावीर तेरी कमी खल रही है
मानव-ता खत-रे में पड़ी है
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

अणुव्रत, धारो,जो,सुख चाहो-२
जियो और जीने दो मंत्र सुनाओ
अहिंसा परम है ,धरम, इस जग में
वीर प्रभु का, ये मार्ग बताओ
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

मानव जब, जब ,बनता है दानव-२
करता है शोषण, पर्या-वरण का
प्रकृति करेगी, स्वयं ,अपनी रक्षा
महामारियों,को  तो सहना पड़ेगा
प्रभु साथ, है तो
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-

रचयिता - राजू बगड़ा, मदुरै
Tarikh- 15.4.2020, 4pm

Wednesday, August 12, 2020

68 तर्ज- जोत से जोत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो (संत ज्ञानेश्वर)

जिनवाणी सुनते सुनाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
क्षमा ही जैन धर्म का है सार
हिंसा को जड़ से मिटाते चलो
1
अनादि काल से मां जिनवाणी,
सबको राह दिखाती
सुख में दुःख में साथ निभाती
भव से पार कराती
जिनवाणी पूजन जो करता सदा-2
उनको गले से लगाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
2
अरिहंतो के मुख से निकली
तीनों लोक में फैली
काल अनंत बीत गए जग में
माता कभी ना ठहरी
जिन उपदेश जो सुनता सदा
उनको गले से लगाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
3
पर्युषण में दश धर्मो को
जो भी धारण करता
सोलह कारण भावना भा कर
तीर्थंकर सम बनता
तप की राह जो चलता सदा-2
तपसी को ऐसे नमाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो

रचयिता राजू बगड़ा
ता: 23.8.2020,4.30pm
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Tuesday, June 16, 2020

66 हमें और जीने की चाहत न होती

मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे
शरण मिल जाए तेरी, यही आश धारे
1
तुम्हीं सच्चे गुरु और, पंच परमेष्ठि
तुम्हीं सच्चे साधक, तपस्वी हो श्रेष्ठि
गुरुवर तुम्हारे,चरणों की धूलि
लगालू जो माथे पे ,टले कर्म सूली

मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे
2
दर्शन ज्ञान की, सम्यक मूर्ति
सच्चे  चरिsत्र की, जीवन्त ज्योति
शान्तिसागर ,_आचार्य के जैसे
हे गुरु तुम सम ,पुण्य से मिलते

मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारे

रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 19.6.2020
12.30 AM

Sunday, June 7, 2020

65 थोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी

हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
1

कमल सी कोमल काया,मनोरम छवी निराली
सनावद गांव से निकले, हो के गुरुवर वैरागी

दिशा जीवन की बदली, ब्रह्मचर्य को धारा 
मनोरमा  कमल का लाला,बना जग का सितारा
धन्य हुआ विश्व सारा,धन्य जैनत्व सारा
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
2
दिगम्बर मुनि चर्या में ,शिथिलता कभी नहीं की
संघ को एक सूत्र में ,पिरोकर ज्ञान वृद्धि की
सरलता विनयशीलता, गुणों की खान हो गुरुवर
शास्त्र आगम के ज्ञानी, जुबां पर मां जिनवाणी
शान्तिसागर आचार्य ,के परम भक्त हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो

हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो

रचयिता
राजू बगड़ा, मदुरई
ता: 9.6.2020, 5 pm

Wednesday, April 15, 2020

64 तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)

गुरु हे विराग सागर,छवि मनोहारी-2
दुनियां झुके, तेरी महिsमा निराली
गुरु हे विराग सागर-
ज्ञान सुधा बरसाती, छवि है दुलारी
जिनवाणी मुख से,तेरे लगे अति प्यारी
गुरु हे विराग सागर-२
1
कपूर का लल्ला,श्यामा का तारा-2
चमका पथरिया नगर का सितारा
धन्य हुआ जन, गण मन सारा
श्री गुरु ने वैsराग्य को धारा
गुरु हे विराग सागर-
2
पंचम काल की,कठिन तपस्या
करते है शिष्यों की कठिन परीक्षा
आगम सुगम बनाते जाते
भाषा सरल करत समझाते
गुरु हे विराग सागर-
3
सोलह भावना दिल से है भायी
दश धर्मो में ही देह तपायी
ज्ञान का लक्ष्य चरिsत्र बनाया
मोक्ष ही जाने का निश्चय बनाया
गुरु हे विराग सागर-

Note:  सभी अन्तरो की राग एक ही है

रचयिता राजू बगड़ा, मदुरै
ता:29.4.20
6.00pm

Tuesday, March 31, 2020

67 मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता

मिलता,हमेशा,सुख,अहिंसा,के भाव से
दे कर गए संदेश,महा-वीर,ज्ञान से
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
1
सनावद गांव धन्य हुआ,
तेरे आने से जग झूमा
हुआ हर्षित कमल का मुख,2
मनोरमा मां का, मन झूमा
तुम्हीं वर्तमान,के वर्द्धमान हो, तेरी, करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
2
आचार्य शान्ति सागर की
परम्परा को निभाते हो
अठाईस मूल गुण मुनि के 2
पालन ,करते कराते हो
प्रभू भक्ति में ,रत हरदम,गुरु तेरी करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 19.6.20
10.30 pm

Sunday, September 8, 2019

62 तर्ज-चले जैसे हवाएं सनन सनन, उड़े जैसे परिंदे गगन गगन (मैं हूं ना)

ओssssओssssओsssss-2
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
कर्मो का होगा,दहन दहन
सुख मिल जायेगा, परम परम
हे हे-हे हे, हे हे हो हो sssss
हे हे,हो हो ,आ हाsssssss
मन की रोको हर मनमानी, सारी नादानी
मिल जाएगी मुक्ति रानी,जो है ठानी
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
1
जिनवाणी हमको समझाये,
गुरुवाणी भी ये समझाये
संयम तप है बड़ा
हम भी संयम धारण करके
तर जाएंगे भव सागर से
संयमी बनेंगे सदा
सच्चे ,जैनी बनके,हम, करेंगे सबका भला
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम---------------
2
उत्तम क्षमा जंहा मन होई
अंदर बाहर शत्रु न कोई
करते है पूजा सदा
क्षमा भावना धारण करके
कोमलता के फूल खिलाके
क्रोध को करके विदा
सच्चे ,जैनी बनके,हम, करेंगे सबका भला
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
कर्मो का होगा,दहन दहन
सुख मिल जायेगा, परम परम
हे हे-हे हे, हे हे हो हो sssss
हे हे,हो हो ,आ हाsssssss
मन की रोको हर मनमानी, सारी नादानी
मिल जाएगी मुक्ति रानी,जो है ठानी
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
रचयिता-राजू बगड़ा
ता: 8.9.2019  11.45 Pm
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Friday, September 6, 2019

60 तर्ज - हरियाला बन्ना ओ नादान बन्ना ओ (मारवाड़ी)

थार चरणा माहीं ,म्हें टेक दियो हां माथो-2
रुपया पैसा,यो महल मालिया,
यो जग सारो,प्रभु ना भा व-2
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
1
शिखरजी गयो रेे, हे पारस प्रभु रे -2
म वंदना भी कर आयो,
प्रभु अब कष्ट मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
2
चांदनपुर गयो रेे, महावीर प्रभु जी -2
थार लाडू भी चढ़ाया,
अब तो दुखड़ा मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
रचयिता- राजू बगड़ा, मदुरै
ता:-7.9.2019,1.15 AM
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Monday, September 2, 2019

59 तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-रुस्तम

पर्युषण आया है,
प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
1
मैंने छोड़े है पापों के रास्ते
अब आया हूं तेरे पास रे
तेरी भक्ति में डूबा जाऊं में
पहचान ले
मैंने क्रोध कषाय को त्याग दिया
मैंने क्षमा धरम अपना लिया
स्वारथ के इस संसार को
है जान लिया
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
2
कभी किसी भी, गति में जाऊं मैं
तेरे ध्यान से भटक ना जाऊं मैं
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
तेरा मेरा मिलना दस्तूर है
तेरे होने से मुझमें नूर है
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया

रचयिता -राजू बगड़ा,
ता -2 . 9 . 2019 ,8 PM  
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Sunday, December 30, 2018

58 तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)


प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
1
इतनी सी, छोटी सी, होती है ,ये जिंदगानी-2
रुक जाती है,थम जाती है,जब ये सांसे सारी
स्वार्थी दुनियां में
तू एकला आता है
और एकला जाता है
जब कुछ नहीं मिलता है, फिर क्यों तू रोता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है
2
गुरुओं का संगम जब तब मिल जाता है हमको
उनके उपदेशों से पथ मिल जाता है हमको
जिनवाणी सुनके
इक ज्ञान जो मिलता है
इक आनन्द मिलता है
जब दोनों मिलते है,तब मोक्ष भी मिलता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
रचयिता
राजू बगड़ा
ता: 4.9.2019 11.30.P.M
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Saturday, September 22, 2018

57 तर्ज- दंगल दंगल (दंगल)

रे इंसा जाग तूं
रे इंसा सुण ले तूं
रे  हिंसा त्याग तूं
रे जैनी बण जा तूं
मां के पेट से मरघट तक है, तेरी कहानी, सुण ले प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
क्रोध की लपटों में,
मन झुलस जाता है
उनको फिर बुझा
करदे फिर क्षमा
बात बन जाती है
--
बुलबुला पानी का
तेरा प्यारा जीवन
किसको है पता
हो के फट फटा
सांसे रुक जाती है
तो जिनवाणी तुझको समझाये,
मोह माया को त्याग दे प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
1
रे इंसा सुण ले  तूं,रे जैनी बण जा तूं
रे इंसा सुण ले तूं, रे  हिंसा त्याग तूं
पांच है घोड़े  तेरे,पांच ये तेरी इंद्रिया
मन बना तेरा सारथी,रथ बनी तेरी काया
रथ में है आ के बैठी ,आतमा बन के राजा
मर्जी है जिधर हाँक ले ,
तेरी चाकरी करे है मनवा,$$$$$$$
अरे,जैन मुनि को देख के प्यारे,तू भी तप कर ले रे प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
सांसे तेरी रुकती चलती, थम जाएगी इक दिन प्यारे
आतम आतम,आतम आतम
मां के पेट से मरघट तक है, तेरी कहानी-----------

रचयिता-राजू बगड़ा, मदुरै 23.9.2018 /1.30am
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Friday, September 21, 2018

56 तर्ज- मेरी भीगी भीगी सी पलकों में रह गए,(अनामिका)

हे पार्श्व प्रभु, तेरे चरणों में
हम   रोज   नमन   करते 
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
1
तुम्हें बिन जाने,बिन पहचाने,जन्म अनेकों गंवाये  - 2
आज हमें जब  ज्ञान मिला तो,तेरे चरणों में आये
चारों गतियों में दुःख जो उठाये
तड़प के आहे भर भर के
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
2
तू ही इक सहारा ,नश्वर जग में,भव से जो पार कराये  - 2
जनम जनम के पाप करम से,हम को भी मुक्ति दिलाये
ऐसी ही आशा, ले के हम आये
तेरी दया पाने को
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
रचयिता -राजू बगड़ा ,मदुरै -22.9.2018/12.30 am  
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Wednesday, September 19, 2018

55 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घयल

थार चरणा म आग्या वीरा )
हर ल म्हारा मन की पीड़ा )   2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------
1
पर पीड़ा और पर निन्दा, म्हां न घणी सुहावण लागी)
माया चारी  कर  कर         म्हारी छाती दूखण लागी)2
जद खुद पर बीतण लागी
मुखड़ा पे आई उदासी
म्हे अकड़ म गेला हुग्या
थान भूल के मैला हुग्या
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

2
ज्यूँ  ज्यूँ  उमर  बीते ,म्हारी धड़कन बढबा लागी
खोटा करम करेड़ा        उणरी याद आवण लागी
जद पड्या करम  का सोटा
म्हे  टेढ़ा,  बणग्या  सीधा
म्हारो जियड़ो  अब दुःख पाव
जियड़ा न कुण समझाव
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी  शान्त   छवि    म्हा र    मनड़ा   म    मुस्काव    छः   }   -----   2
थार चरणा म आग्या वीरा------

रचयिता -राजू बगड़ा ,मदुरै
19.9.2018--11. 30 pm
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Sunday, September 16, 2018

54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग]

गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है


गुरु कहे हर आतम से -  तेरा नहीं कोय 
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा  होवे कौन   
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे  फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है

सुनो किसी गुरुवर  ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे    दुनियां लेकिन     मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से ,  दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है

गुरु  जनों  के  मुख से जो ,जिनवाणी  सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख  गुरु ही हरता  है

रचयिता -राजू बगड़ा
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
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Monday, July 31, 2017

61 तर्ज -वादा न तोड़,तू वादा न तोड़ [फ़िल्म -दिल तुझ को दिया ]

तपस्या करो ,तपस्वी बनो -२
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार

तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
1
पंचेन्द्रियों के जाल में फंसकर ,जाने कितने जनम गंवाये
संयम धारण करने से तेरे ,      कर्मो के बंधन टूटते जाये

हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो-2
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार

2
चारों गति में संयम पालन ,मानव ही कर सकता है धारण
त्यागी तपस्वी ये बतलाये ,  पंचेन्द्रियों से मुक्ति दिलाये

हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार

रचयिता -राजू बगड़ा
 1. 8 . 2017
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Tuesday, September 13, 2016

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]

53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]
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चारों गतियों में
घूम - आया
सुख कहीं ssना
मैंने पाया
जब शरण में तेरी आया
मनवा   मेरा     हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2

थारी शरण में 
जो  आवे
दुःख  दूर  सब
 हो जावे
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
हर बात भी, तेरी मानी
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति  के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4


रचयिता -राजू बगड़ा
ता;13 -09 -2016
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Wednesday, September 7, 2016

52 तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता

हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं -2 
हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।
तेरा ध्यान जब लगाया ,मुझे अपना ध्यान आया -2 
तू कहाँ है,  मैं   कहाँ हूँ , यह फासला,   क्यूँ आया 
    तेरे    पास है, पहुँचना , मैंने अपना ध्येय  बनाया। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं----

मन और इन्द्रियों के ,   हो   विजेता तुम जिनेन्द्र -2 
पथ ,जिस पे चल के जग में ,कहलाते हो जिनेन्द्र 
   बढ़ जाऊँ उसी ही पथ पर ,तुम्हें पाऊँ मैं  जिनेन्द्र। 
-----हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं ,तेरा ध्यान जब लगाऊं------
        हे प्रभू तुम्ही में खो जाऊं।


रचयिता -राजू बगड़ा 
www. rajubagra.blogspot.com
 ता ; 8. 9 . 2016 





    

Tuesday, September 22, 2015

51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]

धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------

 जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
 तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
 रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
 पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
 धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------

रचयिता -राजू बगड़ा
ता -२३.०९.२०१५
visit www.rajubagra.blogspot.in

Thursday, September 17, 2015

50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी

चालो र चालो  मंदिरा म आज -आज रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न  देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार


दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय-  आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार

रचयिता
राजू बगड़ा
ता 18 . 9 . 2015

49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ]


जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल  , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा -करले पापो से तौबा

पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो  को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
                            हा तो -जैसा जो बोयेगा

दश धर्मों के -  दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब  तपाले तू -२
याद रखना फिर  -२ मुक्ति पाओगे
                             हा  तो -जैसा जो बोयेगा

रचयिता -राजू बगड़ा
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm

Sunday, September 7, 2014

45 तर्ज-मैं रंग शर्बतों का -तू मीठे घाट का पानी

तर्ज -मैं रंग शरबतों का -तू मीठे घाट का पानी [फटा पोस्टर निकला हीरो ]


शेर 
मंदिर हू मैं -मूरत है तू ,दोनों मिले भक्ति जगे 
रोज यही     मांगू दुआ ,तेरी मेरी -बात बने ,-बात बने 

स्थायी 
मैं दीप  आ रती का -तू ज्ञान की जोत सुहानी -२ 
तू मुझमें जले प्रभु तो मेरी बिगड़ी बात बन जानी - दीप हूँ आ रती का -----------

१ 
तेरे चरणों मे -आये है हम ,अपने पापों को गलाने 
आठों दरब से -पूजा करने ,आठो कर्मों को जलाने 
तू चाँद है पूनम का -मैं रात अमावस वाली -२ 
तेरी चमक मिले मुझ में, मेरी बिगड़ी बात बनजानी -दीप हूँ आ रती का -----------

२ 
सोलह भावों  को,धारण करके -आतम को मैंने सजाया  
दशों धर्मों को अपनाकरके -जीवन को धन्य बनाया 
तुम मेरी मंजिल हो -मैं एक भटकता राही -२ 
तुम मुझे मिलो प्रभु तो ,मेरी बिगड़ी बात बनजानी -दीप हूँ आ रती का -----------

मैं दीप  आरती का -तू ज्ञान की जोत सुहानी -२ 
तू मुझमें जले प्रभु तो मेरी बिगड़ी बात बन जानी - दीप हूँ आ रती का -----------

रचयिता -राजू बगड़ा 
ता ;-7. 9. 2014 



Monday, September 1, 2014

48 तर्ज -पूरा लन्दन ठुमकता [क्वीन]

इस गाने की राग सुनने के लिए नीचे क्लिक करे 

1  
हम देर से सोते है 
हम देर से उठते है 
और सबसे कहते है -टाइम नहीं है 
हम whatsup करते है 
हम फेसबुक पढ़ते है 
पर मंदिर जाने को - टाइम नहीं है 
मॉल में जाते होटल हम जाते ,पिक्चर हम जाते यार 
बीबी के संग संग शॉपिंग भी करते 
                फिर भी बीबी हो जाती नाराज 
                ये कैसी तक़दीर है -मेरा मन ना समझता -3 
पर्युषण आते है 
हम मंदिर जाते है 
और भजन गाते है -जय हो प्रभु की 
सब लोग आते है 
मंदिर भर जाते है 
पर प्रभु कहते है -टाइम नहीं है 
इत्ते जने तुम एक साथ आये ,किस किस को टाइम दू  यार 
जब मैं खाली बैठा था तुम नहीं आये 
                अब तो भर गया मेरा भी दरबार 
                ये कैसी तक़दीर है -मेरा मन ना समझता -3 
जय शांतिनाथ की 
जय पारसनाथ की 
जय महावीर की -जय हो प्रभु की 
जय हो जिनवाणी की 
जय जैन धर्म की 
जय जय हो जैनो की -जय हो प्रभु की 
दस धरम की पूजा करन को ,आये है तोरे दरबार 
कृपा करन के दर्शन दिखा दो 
               सब झूम के नाचे बारम्बार 
               हो तेरे दरबार में -पूरा मदुरई ठुमकता -3 

               मंदिर में तेरे -मदुरई ठुमकता 
               पूजन करते -मदुरई ठुमकता 
               आरती करते -मदुरई ठुमकता 
               ओ ssssss 
               ठुमकता ठुमकता मदुरई ठुमकता -ठुमकता ठुमकता 
                              हो तेरे दरबार में -पूरा मदुरई ठुमकता -2 

रचयिता 
राजू बगड़ा 
ता ;1.9.2014  
                


Saturday, August 30, 2014

22 तर्ज-हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में

तर्ज -हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार जिंदगी में [जांबाज ]



तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

१ 
सब क़ुछ था तेरे पास प्रभु ,फिर भी तुमने सब त्याग दिया -2 
मोह माया के रिश्ते झूठे , 
नश्वर संसार को त्याग दिया -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

२ 
कर्मों के आप ही नाशक हो ,और मोक्ष मार्ग के नेता हो -2 
त्रिलोक को ज्ञान से जान लिया 
इक तुम ही केवलज्ञानी हो -2 

तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 
आज तेरी शरण में 
खुशनसीब है हम ,हमको है मिला ,तेरा साथ इस जनम में 
तेरी भक्ति करने आये, प्रभु आज, तेरी शरण में 

रचयिता  -राजू बगड़ा 
ता ;31 . 8 . 2014 
12. 45 AM 

Thursday, August 28, 2014

42 tarj-फूलों का तारों का सबका कहना है

तर्ज -फूलों का तारों का सबका कहना है [हरे रामा हरे कृष्णा ]


पर्युषण पर्व का यही कहना है 
निज आतम शुद्धि में सबको रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 
१ 
जीव अकेला करता है ,चारों गति में वास 
सुख दुःख भोगा करता,बुन के कर्मो के जाल 
आ मेरे संग आ ,पूजन करना है 
निज आतम शुद्धि से ध्यान में रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 
२ 
सम्यक दर्शन ज्ञान चरित की ,महिमा है अपार 
निज पर शासन करने से ,होता है उद्धार 
आ मेरे संग आ ,पूजन करना है 
निज आतम शुद्धि से ध्यान में रहना है 
सारी - उमर, दश धर्म करना है 

रचयिता -राजू बगड़ा 
ता;-२९ अगस्त २०१४ 
१.१५ AM 





Tuesday, September 10, 2013

47 तर्ज -सुन रहा है ना तू रो रहा हूँ मै [आशिकी 2 ]



तेरे  चरणों में दौड़े  आये
वीरा ssss  वीरा ssssss  वीरा sssss

मुझको  ये  ज्ञान  दे
आतम  का भान  दे
मेरी काया से मुझको   थोड़ा  तॊ  बैराग दे

क्षमा  का  भाव  दे
दया का   भाव   दे
मुझ पर हो जाये कृपा थोड़ा आशीर्वाद  दे

तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै


मोह का अँधियारा , खुद को भुला दिया
पर को निज समझा , पापों से  घिर गया
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै


धन मैं ने  कमाया ,जीवों को मार के
बिलकुल  निर्दयी हूँ , लालच के भाव  से
ये मेरी कहानी है जो तुमको सुनानी है ss ओ sssss
तेरे  चरणों  में  दौड़े  आये
कर  दे  इधर  भी  तू  निगाहे
सुन  रहा है ना तू, बु ला  रहा हूँ  मै
सुन रहा है ना  तू, बु  ला  रहा हूँ  मै

रचयिता -राजू बगडा
ता ; 10. 09. 2013







46 तर्ज -क्योंकि तुम ही हो [आशिकी 2 ]



हम  तेरे  चरणों  में आये है जिनवर
अपना शीश झुकाने को
तुझ को छू  कर मिल जाये मुक्ति

है विश्वास   मेरे मन को

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो

तेरा मेरा रिश्ता पुराना
भक्ति कभी टूटी ही नहीं
मै कभी तुमसे दूर हुआ पर , तुमने  मुंह मोड़ा ही नहीं
हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो


मेरे लिए ,ही जिया मै , हूँ स्वार्थी
कर दिया है ,भोगो में जिन्दगी को  पूरा -सारी अच्छाइयों को  छोड़ा

हर जनम में तुमने संभाला मुझे
मुझे सम्यक ज्ञान करा के sssss

क्यूँ कि  तुम ही हो
अब तुम ही हो
वीर प्रभु अब तुम ही हो
चैन भी ,विश्वास भी ,महावीर स्वामी तुम ही हो

रचयिता -राजू बगडा
ता ; १०. ०९. २०१३








Sunday, September 8, 2013

43 तर्ज -जीने लगा हूँ पहले से ज्यादा [रमैया वस्तावैया ]


करने लगा हूँ  भक्ति प्रभु की
पहले से ज्यादा अब मै करने लगा हूँ
ओ ssssss ओ sssssss ओ ssssss

मै तेरे ध्यान में डूबा रहूँ
 खुद की मै  पहचान करता रहूँ
जीना मुझे तू सिखाता रहे
कर्मो का मैल हटाता रहूँ

करने लगा हूँ  भक्ति प्रभू  की ------------

जन्म जन्म के मेरे संस्कार कैसे
उलझा हुआ हूं झूठी माया में ऐसे
झूठी माया में  मै   उलझा ,जनम  जनम से कैसे
तेरी शरण में आया भगवन मुझको बचाले भव से

तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ------ओ sssss

उत्तम क्षमा के फूल खिलने लगे है
हिंसा के कांटे मन से खिरने लगे है
फूल क्षमा के अब तो मेरे, मन में खिलने लगे है
तेरे ध्यान से क्रोध के कांटे ,मन से खिरने लगे है
तुझ से ही शक्ति मिलती मुझे है
भक्ति में तेरी अब मै बहने लगा ----ओ ssssss

रचयिता -राजू बगडा
ता ;०८. ०९. २०१३

44 तर्ज - ओह रे ताल मिले नदी के जल में [अनोखी रात ]

 इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे 

http://sound11.mp3slash.net/indian/anokhi_raat1968/anokhiraat03%28www.songs.pk%29.mp3 

ओह रे जीव फिरे भव  सागर में 

चारों गती  नापे रे 

सुखी दुखी कर्मो से होवे - नहीं जाने रे 

१ 

रिश्ते नातो  में उलझा - सुखी दुखी होता है -२ 

काया धन दौलत पाके -अभिमानी होता है -२ 

ओ मितवा रे -S S S S S S S 

काया धन दौलत पाके -अभिमानी होता है -

कोई ना जाये संग में नहीं माने रे -ओह रे -------------

२ 

जन्मो जन्मो की कषायो ,में लिपटी आत्मा -है लिपटी आत्मा 

क्षमा के नीर से धोले -कहते परमात्मा -२ 

ओ मितवा रे -S S S S S S S 

क्षमा के नीर से धोले -कहते परमात्मा -

क्या होगा कौन से पल में कोई जाने ना -

ओह रे जीव फिरे भव सागर में ---------------

रचयिता -राजू बगडा 

ता ;०८. ०९.२०१३

 


 

 


 


Sunday, September 23, 2012

21 तर्ज-पीलूं तेरे नीले नीले नैनो से शबनम [once upon a time in mumbai ]


पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन 
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
 तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है

तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s  सुनले जरा s s s s
1
स्वर्गो में ,कभी मैं नरको में ,हर जनम फिरता भटकता रहा मारा मारा हूँ मैं
तेरा संग, मिला है इस जनम , अब नहीं छोडूंगा बन के रहूँगा मैं तेरा सदा
पीलूं गंधोदक तेरे चरणों का भगवन
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन 
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-

तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
2
दश धरम, मैं पालूंगा सदा ,हर समय  ध्यान- करूँगा मैं तेरा, रात दिन
तूं ही सिर्फ ,सुखों की खान हो ,और, कहीं सुख भी नहीं है अधूरे, इस संसार में
पीलूं ,तेरी ज्ञान की अमृतधारा को भगवन 
जीलूं, तेरे चरणों में जीवन के ये दो पल
जीलूं ,है जीने का मेरा मन
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
-
तूं ही इक वीतरागी है
तूं ही सच्चा बैरागी है
तूने जन जन को तारा है
तूं ही सच्चा सहारा है
तेरे चरणों में आया ,मुझमें है तेरी छाया
सुनले दुखों की ,दर्द भरी, दास्तांs s s भगवान, ओ मेरे भगवान
भगवानs s  सुनले जरा s s s s
 रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012


41 तर्ज-मेरा नाम है चमेली मैं हूँ मालन अलबेली [राजा और रंक ]

इस गाने की राग सुनने के लिए यंहा क्लिक करे
http://sound10.mp3pk.com/indian/raja_aur_runk_1968/raja_aur_runk1%28www.songs.pk%29.mp3
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
मेरा कोई नहीं है अपना
फिर भी मानू  सबको अपना
दुखी होती रहती, जनम मरण  के फेर में

1
स्वर्गो में मैं जाय  विराजी ,इर्ष्या  से जल जल  गयी 2
नरको में जब पहुँची तो ,बदले की, आग में जल गयी
रे सुख न मिला मुझे इक पल को s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से
2
मनुज जनम पाया है मैंने ,मुश्किल से अब जाके 2
सुख की छाँव मिली है मुझको, तेरा दर्शन पाके
ओ प्रभुजी मेरी अब सुध ले लो s s s s s
मैं हूँ मूरख ,मैं अज्ञानी ,सुनलो मेरी कहानी
मैं हूँ आत्मा अकेली
मैं हूँ जनम जनम से मैली
पांचो इन्द्रियों और पापी मन के संयोग से

रचयिता
राजू बगड़ा
ता -23.9.2012



Wednesday, September 19, 2012

20 तर्ज-कहीं दूर जब दिन ढल जाये ,सांझ की दुल्हन बदन चुराए [आनंद ]

20
तर्ज़ कहीं दूर जब दिन ढ़ल जाये (आनंद)
www.rajubagra.blogspot.com 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
प्रभूss शरण में आकर के हम 
प्रायश्चित के गर,आँसू बहाए ,दुःख कट जाये 
1
कभी जब गुरुओं से, होती हैं बातेँ--
गुरु मुस्काते हुये, यूं समझाते --]2
करोगे अच्छा, पाओगे अच्छा 
समझ सको तो समझो, पीर पराई-पीर पराई 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
2
खाए पीये, पहने ओढ़े, मस्त है मानव --
कैसे बनी वो वस्तु , ये नहीं जानत --2
जरा सा ठहरो,सोचो समझो 
क्या उसमें पशुओं की पीर मिलाई-पीर मिलाई 
अशुभ करम जब उदय में आये 
दुःख से जीवन भर भर जाये, पार ना पाये 
रचयिता 
राजू बगङा
19.9.2012 (00.15am )
Www.rajubagra.blogspot.com 




Sunday, September 16, 2012

40 तर्ज ;-ओ फिरकी वाली ,तू कल फिर आना [राजा और रंक ]


ओ पिच्छी वाले ,
हम शीश झुकाए ,तेरे गुण गाये ,मन- वचन और काय से
कि अब जाना है हमें भव पार से
1
तेरी तपस्या की ,क्रिया- को देख देख कर -2
सबको अचरज होता है
कैसे कर लिया ,मन इन्द्रियों को वश में
सबको विस्मय होता है
सर्दी गर्मी -2,हो या बारिश ,कोई फरक नहीं पड़ता
तूने छोड़ा- है घर-बार  सारा ,एशो आराम सारा
और निकला है शान से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------
2
तेरे उपदेश की, ये बाते  सुन सुन के -2
मन बैराsगी होता है
मन में छुपे हुए ,जो अव-गुण सारे
धुल के निर्मल होता है
 एक बार तू -2 हाथ फिरा दे ,दया से मेरे सर पे
मिट जाये -विकार मेरे सारे ,हो जाये वारे न्यारे
तेरे उपकार से
कि अब जाना है मुझे भव पार से -ओ पिच्छी वाले-----------

रचयिता
राजू बगडा
ता ;-16.9.2012



Monday, September 3, 2012

19 तर्ज-सोना की घड़ाद्दयों- म्हार-पायलड़ी -[मारवाड़ी]


सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

डगमग डोळ मंझदारss   में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव  पार -प्रभूजी ,केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया
1

बचपन खिलौना माही खेल बितायो -2
रंगरेल्या म सारो जीवन बितायो -
अब आयो जो बुढापो -आयी याद -प्रभुजी ,केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

2
केवो तो प्रभूजी सोलह - भावना भावू -2
बोलो तो हमेशा चरणा म -रह  जाऊ
बण जाऊ थार चरणा को दास -प्रभूजी,  केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ  -थारी -मूरतिया-
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

डगमग डोळ मंझदारss   में नाव-2
कोई पूजा कर, प्रभु की,हो भव  पार -प्रभूजी ,केसरिया -2

सोना की घड़ाद्दयूँ थारी -मूरतिया-2
कोई हीरा को जड़ाद्दयूँ -सिंssहासन  -प्रभूजी ,केसरिया-2

रचयिता -राजू बगडा
ता;4.9.2012

Sunday, August 26, 2012

39 तर्ज -आलीजा लेता आज्योजी घुमेरदार लन्जो [मारवाड़ी]


प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी  सुण ल्योनी  ,बुलाव थारो बंदो
बुलाव. थारो बंदो , पुकार.थारो बंदो -2
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी  ,बुलाव.थारो बंदो 

1

म्हे पूजा थाल रचावा ,थारी पूजा कर हर्षावा -2

प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी  ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी  सुण ल्योनी  ,बुलाव थारो बंदो



2

म्हे राग द्वेष म फँस ग्या ,म्हे मोह माया म फँस ग्या -2
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी  ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी  सुण ल्योनी  ,बुलाव थारो बंदो


3

म्हान प्रेम भाव सिखलाई  ज्यो -म्हान क्षमा धरम बतलाई ज्यो -2
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,पारस जी अर्जी सुण ल्योनी  ,बुलाव.थारो बंदो
प्रभुजी अरजी  सुण ल्यो नी  ,बुलाव.थारो बंदो
पारस जी अरजी  सुण ल्योनी  ,बुलाव थारो बंदो



रचयिता -राजू  बगडा
ता -26.8.2012









Tuesday, August 14, 2012

18 तर्ज-एजी हा सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा-[मारवाड़ी]

एजी  हा सा म्हारो  मनडो  प्रभु  भक्ति म लाग्यो सा -2
बाई सा रा बीरा तीरथ -ले  चालो सा -2


एजी हा सा म्हारो मनडो पूजा विधान चाव सा -2
बाई सा रा  बीरा मन्दिरा म चालो  सा -2


एजी हा सा म्हारो  मनडो जिनवाणी सुणबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा उपदेशा म चालो सा -2

एजी हा सा म्हारो  मनडो आहार देबो चाव सा -2
बाई सा रा बीरा मुनि संघा म चालो सा -2




रचयिता -राजू बगडा
ता;-15-08-2012

Saturday, December 24, 2011

38 तर्ज why this kolaveri kolaveri kolaveri d-super bhajan-english-

[to listen tune go to this link]
http://www.youtube.com/watch?v=YR12Z8f1Dh8

why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d- [3 time]  [thari mhari means-its yours its mine]
why this thari mhari,------------------------------ d
sky lu sun moon,  hot cool bright
hot cool girl boys, always   fight
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2


everybuddy near dear, nobuddy but yours
everytime keep in mind,death will be sure 
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2


pa pa p pa-  pa pa p pa- pa pa p pa- pap pa-2-------------
ok mama 
now tune changes


khali hath [only english]
empty hand comes in world, empty hand goes
everybuddy  know  it  well,  no buddy believe 


money money lovely money,everybuddy want u
black  money  white  money,   any colour love u


life like water drops, burst any how
mom dad son wife,nobuddy save u


why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2
why this thari mhari,thari mhari,thari mhari d-2


writer-raju bagra
dt-24.12.2011
11.00 pm









Thursday, September 8, 2011

17 तर्ज -उड़ उड़ दबंग दबंग दबंग दबंग-[दबंग]

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तुमको नमन नमन  नमन  नमन ------४

बड़े जुंझार-तपसी महान-रहे तपस्या में ये आगे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन -२ 
बड़े क्षमावान -बड़े दयावान -नगन रूप को धारे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन -२

सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२
जब गगन अगन बरसावे है 
तो  भी  ये  पैदल  जावे है
चेहरे पे शिकन ना आवे है-तुमको है नमन 
ये एक समय ही खावे है
ये जमीन पर सो जावे है
फिर भी हरदम मुसकावे है-तुमको है नमन
सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे-पावे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२

कोई जीव कहीं मर जावे ना
सो देख भाल कर जावे है
ये हाथ में पिच्छी राखे है-तुमको है नमन
जब रात को दुनिया सोवे है
तब आतम ध्यान लगावे है
ये सबको पार लगावे है -तुमको है नमन 
सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे-पावे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२


ये जंगल जंगल घूमे है
और गाँव गाँव में जावे है
ये सबको धरम सिखावे है-तुमको है नमन
उपसर्ग कभी जो आवे है
तो शांत भाव सह जावे है
वो जैन मुनि कहलावे है-तुमको है नमन
सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे-पावे&&&&&&
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२


बड़े जुंझार-तपसी महान-रहे तपस्या में ये आगे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन -२ 
बड़े क्षमावान -बड़े दयावान -नगन रूप को धारे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन -२

सर्दी हो ,गर्मी हो,या बारिश ,या तूफां हो---तपस्या से डिग ना पावे
तुमको नमन नमन  नमन  नमन-२

रचयिता
राजू बगडा
ता ;८.९.२०११ 










Tuesday, September 6, 2011

37 तर्ज -कव्वाली -वादा तेरा वादा,वादे पे तेरे मारा गया ,बंदा मै सीधा सादा [दुश्मन ]

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कि  प्राणी बच नहीं सकता -कभी कर्मो के घेरो से 
और मुक्ति पा नहीं सकता-बिना उनको जलाने से

स्थायी
मै मंदिर रोज जाऊ
मै पूजा रोज   करू 
मै सामायिक भी करू
हो अब और प्रभु क्या क्या करू

कर्मो ने मुझे घेरा 
घेरा मुझे घेरा -कर्मो ने है घेरा-२
कर्मो के चक्करों में फंसा 
भगत सीधा सादा
घेरा मुझे घेरा -कर्मो ने है घेरा-२
ये कैसे कर्म है जी -मुझे छोड़े ही नहीं
कभी दुःख को दिखाते -कभी सुख को दिखाते
कभी मनुष्य गति -कभी तिर्यंच गति
कभी नरको की गति-कभी स्वर्गो की गति

जंहा पे लेके जाते -वहीँ का ही बनाते 
और कभी पागल बनाते-कभी मूरख बनाते-२

अगरचे खूब ये कर्म -बड़े चालू है ये कर्म-२
कर्म कैसी बला है-या कोई जलजला है

किसी शास्त्री से पूछो 
किसी पंडित से पूछो
कर्मो की कैसी लीला 
कर दिया मुश्किल जीना 
हो &&&&& दामन में मेरे फूल है कम -और कांटे है जियादा 
                                                                     घेरा मुझे घेरा-------------------
कभी शुभ कर्म आते -कभी अ-शुभ भी आते
कभी दोनों रुलाते -कभी दोनों हंसाते
कभी राजा बनाते-कभी ये रंक बनाते
कभी सब कुछ दिलाते -कभी सब कुछ ले जाते

मुनि तपस्या करते -ये उन्हें भी डराते
और कभी अन्तराय लाते-तपस्या भंग कराते-२

मगर छोड़े नहीं किसी को -चाहे भगवान भी वो हो-२
दिखा के रूप अपना -नचाते हर किसी को

बुलाये छाँव कोई
पुकारे धूप  कोई 
तेरा हो रंग कोई
तेरा हो रूप कोई
हो &&&&& कुछ फर्क नहीं नाम तेरा-अच्छा हो या बुरा 

घेरा मुझे घेरा-कर्मो ने है घेरा
कर्मो के चक्करों में फंसा 
भगत सीधा सादा
                    घेरा मुझे घेरा------------------------------
रचयिता 
राजू बगडा
ता; ६.९.२०११ 






Sunday, September 4, 2011

16 तर्ज-कजरा मोहब्बत वाला अंखियो में ऐसा डाला [किस्मत ]

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मंदिर शिखरजी  वाला-पारस की टोंक वाला
दर्शन करा दे  भरतार -हो जाये मेरा बेडा पार 

होटल ले जाऊ  तुझे -    पिक्चर दिखाऊ तुझे
किटी पार्टी भी तू सम्भाल-छोड़ ये धर्म का विचार 
कितने तिर्थंकरो के, जहाँ  कल्याण हुए -२
अनगिनत जीव भव, सागर से पार हुए
स्वर्गो से देव जहाँ, प्रभु पूजा को आते -२
किटी पार्टी नहीं जाना 
होटल पिक्चर नहीं जाना
करवा दे यात्रा एक बार 
हो जाये मेरा बेडा पार------------
                        होटल ले जाऊ  तुझे -पिक्चर दिखाऊ तुझे---------------
मोटर ना बंगला मांगू ,झुमका ना हार मांगू-२
प्रभु पूजा की  खातिर, थोडा सा टेम मांगू
सैय्याँ  बेदर्दी  मेरे ,थोडा सा खर्चा मांगू-२
किस्मत बना दे मेरी 
यात्रा करवा दे मेरी
दर्शन करवा दे एक बार
हो जाये मेरा बेडा पार
                      होटल ले जाऊ  तुझे -पिक्चर दिखाऊ तुझे---------------
जब से सुना है मधुबन ,बाबा के दर्शन से ही -२
जनम जनम के  सारे,पापो का नाश होवे 
जायेंगे दोनों मिल के ऐसी पावन धरती पे -२
चिंता तू छोड़ गौरी 
मेरी भी इच्छा हुयी 
दर्शन करले हम एक बार
हो जाये अपना बेडा पार
                            मंदिर शिखरजी  वाला-पारस की टोंक वाला-------
रचयिता 
राजू बगडा
ता;-४.९.२०११ 

                           



Saturday, August 27, 2011

15 बड़े अच्छे लगते है-ये धरती,ये नदिया,ये रैना ,और तुम [बालिका वधु ]

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बड़े अच्छे लगते है
जिन दर्शन 
जिन वाणी 
जिन पूजा 
और
जिनवर 
मैंने भक्ति भाव से प्रभू- तेरी पूजा रचायी
मुझ पर ऐसी कृपा करना, अब -जिसमे हो मेरी भलाई 
बड़े अच्छे लगते है
जिन मंदिर 
जिन  वेदी 
जिन मूरत 
और
जिनवर
उतम क्षमा ,मार्दव ,आर्जव -सत्य,शौच,संयम,तप
त्याग आकिंचन ब्रहमचर्य का -सारे जग में हो पालन 
बड़े अच्छे लगते है
ये पिछी
ये कमंडल 
ये मुनिवर 
और
जिनवर
बड़े अच्छे लगते है
जिन दर्शन 
जिन वाणी 
जिन पूजा 
और
जिनवर 
रचयिता -राजू बगडा
ता; २७.८.२०११ 




Saturday, August 6, 2011

36 तर्ज -मुन्नी बदनाम हुयी डारलिंग तेरे लिए [दबंग]

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मंदिर की जोत बनू ,प्रभुजी तेरे लिए -३
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
माथे का मुकुट बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
चांदी का छतर बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

सारे भोगो से मेरा मन भर गया ,---मन भर गया -२
तेरे चरणों में आके दिल खुश हुआ ,----दिल खुश हुआ
ध्यान करने से तेरा मिलती है खुशिया &&&&&
ध्यान करने से तेरा मिलती है खुशिया और नाचे जिया
फूलो का हार बनू प्रभुजी तेरे लिए
केसर के फूल बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

हो वीरा ,हो वीरा
हो वीरा रे,हो वीरा रे-तेरा गली गली चर्चा रे
लगा भक्तो का -भक्तो का मेला रे
हो वीरा रे ए ए ए ए ए 

लाखो दुखो की तू है ,एक दवा--------एक दवा -२
राजा और रंक सारे आते यंहा ------आते यंहा
शीश झुकाते तेरे आगे ये सारे &&&&&&&
शीश झुकाते तेरे आगे ये सारे और मांगे दुआ
मै तेरे जैसा बनू   प्रभु  जी  तेरे लिए
चरणों की धूल बनू प्रभु जी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए -२

चारो गतियो में फिरता हो अधमरा -----हो अधमरा -२
दुखो से रहता हरदम  साथ  मेरा --------साथ  मेरा
बड़े भागो से मुझको आज मिला है &&&&&&
बड़े भागो से मुझको आज मिला है दर्शन तेरा बड़ा
मोतियन की माला बनू प्रभुजी तेरे लिए
मै बांदरवाल बनू  प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए

तेरी भक्ति में डूबा मन हमारा तन हमारा है
दीये की बाती बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की घंटी बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की ध्वजा बनू प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर का कलश बनू प्रभुजी तेरे लिए

पिछी कमंडल बनू प्रभुजी तेरे लिए
पूजा की थाली बनू प्रभुजी तेरे लिए
चांदी का चंवर बनू प्रभुजी तेरे लिए
चरणों की धूल बनू प्रभुजी तेरे लिए
फूलो का हार बनू   प्रभुजी तेरे लिए
मंदिर की जोत बनू प्रभुजी तेरे लिए
प्रभुजी तेरे लिए -३
रचयिता
राजू बगडा
ता;-७.८.२०११







Sunday, July 31, 2011

14 तर्ज -पैसा पैसा करती है तू पैसे पे क्यू मरती है [दे दना दन]

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क्या बात है  क्या चीज है मै मै- ४

मै  मै  मै  मै  करता है ,तू मै  मै  मै  क्यू करता है 
इक बात मुझे बतलादे तू ,ये  मै मै मै क्यू रटता है 
मै  मै  मै  मै  करने से ,फूटेगी किस्मत तेरी 
तू मै मै मै मै  मत करना ,चमकेगी किस्मत तेरी -२
मैंने ये किया मैंने वो किया ,दुनिया को समझाता है 
दान धरम करके तू अपना,      डंका खूब बजाता है 
दुनिया मे ,मै मै करने से ,      दिलो की बढती दूरी 
चुपचाप किये जा दान धरम ,चमकेगी किस्मत तेरी -२ 
इसने मुझको ऐसा कह दिया ,उसने मुझको वैसा कह दिया 
याद नहीं रहता पर तुझको ,तूने किसको क्या क्या कह दिया 
कहते कहते उमर बीत गयी,मै  मै हुयी न पूरी 
इक प्यार की झप्पी देने से ,संवरेगी किस्मत तेरी -२ 
तुझसे पहले कितने आये ,कितने आ के चले गए 
खूब रसूख था दुनिया मे ,उनके वंशज भी नहीं रहे 
सुबह का खाया, शाम को याद नहीं रखते दुनिया मे 
तू नाम की चिंता छोड़, तभी चमकेगी किस्मत तेरी 

तू मै मै मै मै मत करना ,चमकेगी किस्मत तेरी -३

रचयिता -राजू बगडा
ता;३१.७.२०११ 

Thursday, March 31, 2011

35 तर्ज -प्यार माँगा है तुम्ही से ,ना इनकार करो [कॉलेज गर्ल ]

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पास प्रभु के  आओ  तुम 
ना इनकार करो -
पास बैठो जरा उनके 
थोडा ध्यान करो ---------------पास प्रभु के ............
कितने जनम हुए ,कितने मरण हुए 
समझ न पाए हम -अब तक खुद को 
थोडा ध्यान करो 
प्रभु से बात करो ---------------------पास प्रभु के ..........

हर पल जिसे चाहे ,सेवा करे दिन रात 
वो ही सुन्दर काया ,नहीं   देगी    साथ 
थोडा ध्यान करो 
प्रभु से बात करो --------------------पास प्रभु के ..............

मानव जनम सफल है ,गर प्रभु  हम सफर है 
प्रभु ने बताई जो बात ,    वो  है   सच्ची   राह 
थोडा ध्यान करो 
प्रभु से बात करो -----------------पास प्रभु के .............

रचयिता -राजू बगड़ा
ता;-०१.०४.२०११ 

Sunday, November 14, 2010

13 तर्ज सुरमयी अंखियों में नन्हा मुन्ना इक सपना दे जा रे - [सदमा]

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प्रभु चरणों में आकर
मुझको बड़ा अच्छा लगता है -२
प्रभु मेरे सच्चे साथी है
भव भव से वो साथी है -रा री रा री ओ रारी ओ

देव गुरु ब्रहस्पति भी अपने
ज्ञान से प्रभु गुण गा नहीं पाते
ऐसे में मुझ अ$ज्ञानी की ,स्तुति सुन के
होती है सब जग में हँसी
फिर भी मै करता स्तुति ---------प्रभु चरणों में आकर ------

तीन लोक की सुन्दरता यदि
रूप बदलकर प्रभु सम आवे
प्रभु चेहरे को ,देखकर इक पल में ही
शरम से मुरझाने लगे
और फिर ये गाने लगे ------------प्रभु चरणों में आकर ------------

पंचेंद्रियो को वश में करके
चंचल मन को वश में करके
खुद को जीता ,इसलिए दुनिया वाले
महा वीर कहने लगे
तेरे गुण गाने लगे ------------प्रभु चरणों में आकर ---------------
रचयिता -राजू बगडा
ता;१४-११-२०१०

Monday, September 13, 2010

34 तर्ज -सुहानी चांदनी राते हमें सोने नहीं देती [मुक्ति]

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सुनानी है प्रभु तुमको मेरे संसार की बाते
निरंतर बढते कर्मो से दुखो की बढती सौगाते

नरक में बदले की अग्नि ,स्वर्ग में ईर्ष्या की अग्नि
हर इक गति में उठाये दुःख -न आई सुध कभी अपनी
बड़ी मुश्किल से पाया है ,तुम्हे इस जनम में आके
न छोड़ूगा तुम्हे अब मै किसी की बातों में आके .........सुनानी है ..........

कहीं ऐसा न हो -फिर से -मैं तुमसे दूर  हो जाऊं
दिखा देना वो सच्ची राह अगर मै डगमगा जाऊं
नयी शुरुआत  करनी है तुम्हारी शरण में आके
न छोड़ूगा तुम्हे अब मै किसी की बातों में आके ........सुनानी है ............
रचयिता -राजू बगडा
१२ -०९ -२०१०

Saturday, September 11, 2010

12 तर्ज--तेरे मस्त मस्त दो नैन मेरे दिल का ले गए चैन [फिल्म -दबंग]

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चाहते रहते   प्रभु को    सांझ सवेरे
मिलती है खुशिया हो जो दर्शन तेरे -२
तेरे भक्त बहुत बैचैन -सबको मिल जाये चैन
सबको मिल जाये चैन -तेरे भक्त बहुत बैचैन

इन्द्रों के मुकुटो की, मणियों से रोशन  तेरा  चेहरा हाय  चेहरा हाय
सूरज चाँद का ,रंग है फीका , तेरे  आगे  आगे  शर्माए   जाये
तेरी कृपा जो हमको , मिल जाये  भगवन ,पा जाये  मुक्ति और हो जाये पावन
पा जाये  मुक्ति और हो जाये पावन
तेरे  भक्त बहुत बैचैन  सबको मिल जाये चैन ...........................

जनम जनम से , भव सागर में ,कर्मो ने जकड़ा जकड़ा जकड़ा हाय
तेरी दया का, अब  है सहारा ,  तुने   तारा  तारा    सबको  है तारा
तेरी कृपा जो हमको , मिल जाये  भगवन ,पा जाये  मुक्ति और हो जाये पावन
पा जाये मुक्ति और हो जाये पावन
तेरे भक्त बहुत बैचैन सबको मिल जाये चैन ...........................

रचयिता -राजू बगडा
११ .९ .२०१०

Sunday, August 15, 2010

33 तर्ज-सखी सैंय्या तो खूब ही कमात है मंहगाई डायन खाए जात है [पीपली लाइव ]

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सखी सैंय्या तो खूब धर्मात्मा
मंहगाई पाप करवात है -३

रोज सुबह मंदिर जावे -ध्यान प्रभु का कर पावे - नैन प्रभु से मिल पावे -२
इससे पहले-२, मोबाईल घन घनात है -मंहगाई पाप करवात है

गुरुवो से उपदेश सुने -झूठ कहे तो दुःख; मिले -मन में यूँ  बैराग जगे  -२
बाहर निकले कि-२,झूठों के सरताज है  -मंहगाई पाप करवात है

गुरुवो कि ये बात सही -खाली हाथ ही आया है -और खाली हाथ ही  जायेगा -२
बीबी  करती -२  फरमाइश कि बरसात है -मंहगाई पाप करवात है


हे ssssssssssss सैंय्या ssssssssss -२
सैंय्या रे म्हारो सैंय्या रे ,
सैंय्या रे -म्हारो खूब धर्म करे सैंय्या रे-
अरे कमा कमा के मर गये  सैंय्या -२
पहले पाप कमाए और  फिर धर्म करे म्हारो भोले  सैंय्या-२
मोटे सैंय्या, पतले  सैंय्या -लम्बे सैंय्या, छोटे सैंय्या -२


हो इक पल में -२, ये जीवन बिखर जात है -प्रभु जी यही समझात है
संतोषी दुखो; से बच जात है -प्रभु जी यही समझात है ..........सखी सैंय्या तो खूब धर्मात्मा .........
रचयिता -राजू बगडा
ता;१५.८.२०१०

Sunday, March 28, 2010

11 तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -मारवाड़ी

1
वीर जन्म्या,त्रिशला क ,वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न थे भेजो ओ  बधाई रे ,नगरी म वीर जन्म्या

देव और देवों का राजा, इन्द्र पधारया-२
त्रिशला माता क घर रतन बरसाया रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा ,पूजा रा कपडा ,पीला रंग्वाद्दयो-२
महारा सुसराजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा ,पूजा रा चावल ,पीला रंग्वाद्दयो -२
म्हारा सासुजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

पूजा ,पूजा री केसर , गहरी घिशवाद्द्यो-२
म्हारी जेठानी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या

मदुरै नगरी म, सब न जीमण, जिम्वाद्द्यो
म्हारी बाई सा क बीरा न कहलाद्द्यो रे ,नगरी म वीर जन्म्या
रचयिता -राजू बगडा
२८.३.१०

Saturday, March 13, 2010

32 तर्ज-हम दोनो मिलके,कागज पे दिल के,चिट्ठी लिखेगे,जबाब आएगा


गुरुओ से मिल के
जिनवाणी सुन के
ध्यान करने से, प्रभु मिल जायेगा

मन्दिर  की  घंटी  बजे  तो, दौड़े  चले  आना
प्रभु अभिषेक से अरिष्ट को मिटाना  
पूजा की थाली को अष्ट द्रव्य से  सजाना
प्रभु  की  पूजा  में, तन  मन  से  जी लगाना 
मन में मन्दिर के
प्रभु  बसाले
प्रभु बसाने से भव तर जायेगा -----------------गुरुओ से मिल के


मन्दिर  में  प्रभु  के  ऊपर , तीन  छतर  सोहे 
प्रभु  के  चेहरे  की,मुस्कान  मन  को  मोहे
तीन लोक  की सम्पति सगरी,त्यागी इक पल में
हो के  वीतरागी , वो समाये  कण  कण में


नश्वर है  काया
सब कुछ पराया
कुछ भी नहीं तेरे साथ जायेगा -------------------गुरुओ से मिल के
रचयिता -राजू बगडा
१३.०३.१०

Wednesday, July 22, 2009

10 तर्ज-ससुराल गेंदा फूल -दिल्ली ६

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सैय्या मुंह झुकाए ,अख़बार पढता जाए -संसार गेंदा फूल
सास मन्दिर जाए ,ससुरजी घुमण जाए -संसार गेंदा फूल
छूटा प्रभू का दर्शन बहू को ,नौकरानी याद आए
ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय
सास मन्दिर जाए ----------------------------------

मन्दिर म प्रभू की, पूजा तो नही सुहाव
आवण जावण वाला से ,बा तो बतियाती जावे -संसार गेंदा फूल
ओय होय होय ,ओय होय होय ,ओय होय होय ,ओय होय होय

सैय्या है व्यापारी ,आए प्रभो के द्वार
मोबाईल पे बतियाते ,प्रभू के जोड़े हाथ -----संसार गेंदा फूल
ओय होय होय ,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय

ऑफिस जल्दी जाणो, यूँ मन म कर विचार
और बिन फेरी काटे ही ,प्रभू से कह बाय बाय -----संसार गेंदा फूल
ओय होय होय ,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय

टीवी और बीबी से ,समय जे बच जाए
कर टीका टिप्पणी गुरुआ पर ,मन म खुशी मनाव---------संसार गेंदा फूल
ओय होय होय ,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय

बेटा है लाडेसर ,और पोता परमेश्वर
आ सब न की ना केव ,बस बहू न धमकाव --------संसार गेंदा फूल

भक्ता की ऐ बाता, भक्ति की परिभाषा
प्रभू देख देख मुस्काव ,संसारी समझ न पाव----------संसार गेंदा फूल

सैय्या मुंह झुकाए ,अख़बार पढता जाए -संसार गेंदा फूल
सास मन्दिर जाए ,ससुरजी घुमण जाए -संसार गेंदा फूल
छूटा प्रभू का दर्शन बहू को ,नौकरानी याद आए
ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय,ओय होय होय

रचयिता -राजू बगडा
२१.०७.०९

Tuesday, December 30, 2008

31 तर्ज -रात कलि इक ख्वाब में आयी

इस गाने की राग सुनने के लिए यहाँ क्लिक करे
http://sound9.mp3pk.com/indian/buddha_mil_gaya/buddha_mil_gaya5%28www.songs.pk%29.mp3

आज प्रभु तेरे चरणों में आकर -जीवन मेरा धन्य हुआ
सुबह सुबह तेरे दर्शन पाकर -मन अत्यंत प्रसन्न हुआ

यूँ तो जगत में ,चाँद और सूरज ,करते है रोज उजियारे
पर तेरे ज्ञान की ,जोत से मिटते , आतम के अंधियारे
तेरी चमक से ,मेरे जीवन में
ज्ञान का फिर संचार हुआ -------------आज प्रभु

जनम जनम से, भवसागर में ,कर्मो के जाल बुने है
उन जालो में ,फंसकर क्या क्या ,दुःख ना मैंने सहे है
तेरे ज्ञान की ज्योती से मुझको
कर्मों की लीला का भान हुआ ---------आज प्रभु

रचयिता -राजू बगडा-

Wednesday, August 13, 2008

30 तर्ज;-उड़ती कुरजरिया -मारवाडी

उड़ती कुरजरिया संदेशो म्हारो लेती जाईज्यो हे -उड़ती कुरजरिया

पहलों तो संदेशो म्हारो वीर प्रभु न दीज्यो थे -२
भारत री जनता रो थे प्रणाम दीज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया -----------------

हिंसा झूठ में कुछ नही रखा-आ जनता न कीज्यो थे -२
प्रेम भाव री बाता थोडी सिखला दी ज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया ------------------

लोभ पाप और मान कषाया रो विष पीणो छोड़ दो-
प्रेम रो अमृत जनता पीणो बतलाईज्यो हे -उड़ती कुरजरिया

अर र र -उड़ती कुरजरिया ---------------------

रचयिता -राजू बगडा-ता ;-१५.०८.१९७९

Friday, August 8, 2008

28 तर्ज;-तुम्हें गीतों में ढालूँगा -सावन को आने दो

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मै मुक्ति पद पाउँगा -२
दश धर्म निभाऊंगा
दश धर्म मै निभाऊंगा

बदले की अग्नि में जलना
ख़ुद को है भव भव घुमाना
हिंसा की अग्नि बुझाना
क्षमा का नीर बहाना ---------मै क्षमा को धारूंगा -२
दश धर्म निभाऊंगा ----------दश धर्म मै निभाऊंगा

चरणों में आया हूँ वीरा
शीतलता मुझ को मिल जाए
मुरझाई ज्ञान लता ये
तेरी कृपा से खिल जाए --------------- मै ज्ञान को पाउँगा -२
दश धर्म निभाऊंगा -----------------दश धर्म मै निभाऊंगा

आतम का भेद ना जाना
पुदगल से मोह लगाना
कैसे सुनाऊ अपनी पीड़ा
कितना अभागा हूँ महावीरा-------------तेरा ध्यान लगाऊंगा -२
दश धर्म निभाऊंगा ----------------दश धर्म मै निभाऊंगा

मै मुक्ति पद पाउँगा ---------------------
रचयिता -राजू बगडा-ता;-२०.०८.१९८०

29 तर्ज;-रात और दिन दिया जले

रात और दिन दिया जले
मेरे मन में फिर भी अँधियारा है
जाने कंहा हो प्रभु तुम
तू जो मिले जीवन उजियारा है ------------रात और दिन

पग पग मन मेरा ठोकर खाय
चाँद और सूरज भी राह न दिखाय
ऐसा उजाला कोई मन में समाय
जिससे तिहारा दर्शन मिल जाए ------------रात और दिन

देखूं प्रभु जब तुम्हे मन में बसाय
मेरे मन की कलि- कलि ही खिल जाए
ऐसा उजाला कोई मन में समाय
जिससे तिहारा दर्शन मिल जाए ------------रात और दिन

कब से भटक रहा प्रभु मै मगर
फिर भी क्यूँ मिली नही सुख की डगर
आज जो देखा प्रभु तुम्हे मन ध्याय
शान्ति ही शान्ति मेरे मन आय ----------रात और दिन
रचयिता -राजू बगडा-ता;- १०.०८.१९७९

08 तर्ज;-जिन्दगी की न टूटे लड़ी -[क्रांति]

जिन्दगी की न टूटे लड़ी
वीर भजले घड़ी दो घड़ी
अपनी काया की नौकरिया छोडो
आतम की लगी है बड़ी ------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी

उस धन का तो होना भी क्या
जिस धन से भलाई न हो
ऐसा जीना भी जीना नहीं
जिसमे मन में दया ही न हो -------------हो दया ही न हो
मन में ज्योति जलेगी तभी ------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी

आज से कर लो वादा सभी
दश व्रत पूरे करेगें सदा
मुक्ति पथ पर चलेगें सभी
प्रभु का साथ पायें सदा -----------------हो मोह माया की
मोह माया की किसको पड़ी ---------------वीर भजले घड़ी दो घड़ी
रचयिता -राजू बगडा-ता;- १५.०७.१९८०

Thursday, August 7, 2008

09 तर्ज;-दल बादल बिच चमक्या जू तारा [मारवाडी]

पारसनाथ जगत का थे तारा -कि तीनो ही लोका म सब स्यूं हो प्यारा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

जल स्यूं पूजा म्हे चंदन स्यूं पूजा ,कि अक्षत पुष्पा री माला स्यूं पूजा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

मीठा मीठा नैवेध चढावा, कि दीपा री ज्योति स्यूं हियो उमगावा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

चंदन अगर कपूर जलावा,कि शिवपुर जाबा ताई फल भी चढावा
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं

आठो दरब स्यूं म्हे पूजा रचाई ,कि पारस री पूजा है अति सुखदाई
म्हारी नैय्या पार करो भव सागर स्यूं ,म्हारी नैय्या पार करो भव स्यूं
रचयिता -राजू बगडा-ता;-१५.०८.२००५

Wednesday, August 6, 2008

06 तर्ज;-तू बोल बोल रे बोल तमूरा भाई रे -मारवाडी -लाल सोट

06 तर्ज;-तू बोल बोल रे बोल तमूरा भाई रे -मारवाडी -लाल सोट
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तू बोल बोल रे बोल तमूरा भाई रे
जिवडा न जीणों सिखाई रे
तू बोल तमूरा भाई रे '''''''बोल

साँची साँची बोल तमूरा -कुण थारो संगी साथी -२
कुण इसो जो मरबा पाछ -थार संग संग जासी
तमूरा भाई रे
मरघट तक साग जासी
त न बाल बे पाछा आसी
त न भलो बुरो बे केसी
थारी सम्पति बाँट बे खासी
थार कर्मा रो बोझो बाँटण न -त न अंगुठो दिखासी
बावला भाई रे -जिवडा न जीणों सिखाई रे '''''''''बोल

आँख स्यूं गीड,कान स्यूं कीटी नाक स्यूं सेडो आव -२
इण काया र हर छेदा स्यूं मैल ही बाहर आव
तमूरा भाई रे
काया म मत रम जाई रे
काया तो मैल री ढेरी
बदबू मार बहुतेरी
तूं मल मल साबूण खूब नहाव - साफ नहीं आ हुयी
बावला भाई रे -जिवडा न जीणों सिखाई रे ''''''''''''''''बोल

तीन लोक म कर्म न ,सब स्यूं ताक़तवर बतलाव -२
कर्म कोई न छोड़ कोनी,तीर्थन्कर दुःख पाव
तमूरा भाई रे
तू कर्मा स्यूं घबराई रे
जे चोखा कर्म क र लो
स्वर्गा म पाँव धर लो
जे खोटा कर्म करय्या तो ,नरक निगोद म जाय पड़ लो
बावला भाई रे -जिवडा न जीणों सिखाई रे ''''''''''''''''''''''''बोल
रचयिता -राजू बगडा-ता;-१५.०१.२००६
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07 तर्ज;-सैय्या दिल में आना रे

07 तर्ज;-सैय्या दिल में आना रे
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स्थायी
सैया मन्दिर जाना रे
दर्शन कर के आना रे
प्रभु को शीश झुकाना रे ----------सुन सैया सुन सुन
अक्षत अर्घ चढाना रे
गंधोदक लगाना रे
आरती कर के आना रे ----------सुन सैया सुन सुन
अंतरा १
मन्दिर में पारस प्रभु की ,मोहनी मूरत होगी -२
भक्ति के गीत गाते,भक्तो की टोली होगी
तूं भी संग संग उनके पूजा कर आना रे -----सैया मन्दिर जाना रे

पूजा की थाली होगी, केसर की प्याली होगी -२
दीपों की जगमग करती ,छटा निराली होगी
श्री जी को अर्घ चढा कर आना रे ---------सैया मन्दिर जाना रे

फलो की थाली होगी ,शास्त्र जिनवाणी होगी -२
श्री जी के पास में ही चांदी की माला होगी
माला प्रभु जी की तुम फेर के आना रे --------सैया मन्दिर जाना रे
रचयिता-राजू बगडा-ता;-०८.०८.२००६
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Tuesday, August 5, 2008

26 तर्ज;-मारवाडी

वीर म्हारी अर्जी सुण ल्यो नी-२
म्हे कब स्यूं खड़ो बुलाऊ -म्हारी अर्जी सुण ल्यो नी

भगत थे माया म भरमाया -२
थान कैय्या म्हे समझावा -थारी मर्जी बोलो नी

वीर म्हे दुःख से हा घबरावा-२
म्हान सुख रि राह बता दो म्हारी अर्जी सुण ल्यो नी

भगत थारी बाता बहुत निराली -२
थे बोवो पेड़ बबुल का और चाहो आम रि डाली

वीर म्हान सुध बुध देवो नी -२
थे दया रा हो महासागर म्हारी अर्जी सुण ल्यो नी

भगत जे सचमुच सुख थे चाहो -२
दस धर्म निभा कर मुक्ति संग ब्याह रचा ल्यो नी
रचयिता-राजू बगडा-ता;-२९.०८.१९९५

05 तर्ज;-हो वामा जी रा बेटा

05 तर्ज;-हो वामा जी रा बेटा
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हो वामा जी रा बेटा ,अश्वसेन जी रा लाला ,वाराणसी रा सरदार
म्हारो हेलो सामलो नी ओ बाबा नी
ओ बाबा म्हारो हे लो सामलो नी बाबा नी
हे लो ओ बाबा हे लो -२

जलते देख नाग नागिन को णमोकार सुनाया नी -२
इन्द्र नरेन्द्र फनेंद्र सभी थार चरणों में शीश झुकाया नी -२
हे &&&& हे हे -हे हे -हे
हो मुक्ति रा भरतार,थार चरणा म संसार ,गाव थारी जय जय कार
म्हारो हेलो सामलो नी हो बाबा नी
हो बाबा म्हारो हेलो सामलो नी बाबा नी

लख चौरासी फिरतो आयो पायो नहीं सहारो-२
दीन दयाल कृपा कर राखो म्हे चाकर हूँ थारो -२
हे &&&& हे हे -हे हे -हे
हो शिखरजी रा राजा,आजा म्हान राह दिखा जा
म्हारो कर द बेडा पार,म्हे तो हो जांवा निहाल
थारी महिमा अपरमपार
म्हारो हे लो सामलो नी बाबा नी
हो बाबा म्हारो हे लो सामलो नी बाबा नी

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रचयिता -राजू बगडा-ता ;-२९.०८.१९९५

Sunday, August 3, 2008

04 तर्ज;-आंखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं है -फिल्म -ॐ शान्ति ॐ

04 तर्ज;-आंखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं है -फिल्म -ॐ शान्ति ॐ
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प्रभु मै तो, ss थारी ,पूजा पाठ रचाऊं
दिया जलाऊं -अर्घ चढाऊं ,मन में --हुल्साऊं

तेरे चरणों में मिलता ,मेरे मन को चैन है
मन हो जाए फूल सा कोमल ,मिटते मन के मैल है
तेरे चरणों में ध्यान लगा के लगा के मै तप जाऊँ
तेरे ज्ञान की जोत हिये में जलाये ही मर जाऊँ -ओ ओ
प्रभु मै तो थारी पूजा पाठ ---------------------

कैसे छोड़ी ईर्ष्या को ,कैसे छोड़ा क्रोध को
कैसे जीती काम वासना ,कैसे जीता मोह को
मै तो ये छोड़ नहीं पाया ,प्रभु इक पल को
अचरज है ये जीत लिया प्रभु तुमने इन सबको -ओ ओ
प्रभु मै तो थारी पूजा पाठ ---------------------
रचयिता -राजू बगडा-ता;-२०.०१.२००८
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Saturday, August 2, 2008

25 तर्ज;- मारवाडी -ल्याय बीणणी निरखू म्हे तो

थारी म्हारी छोड़ द भाया,कोई न साथ जाव लो
सगळा साथी छोड़ अठ ओ जीव अकेलो जाव लो

कंहा गए चक्री जिन जीता ,भरतखंड को सारा था
कंहा गए वह राम और लक्षमण जिन रावण को मारा था
कंहा कृष्ण रुक्मणी सत भामा और उनकी सम्पति सारी
कंहा गए वह रंग महल और सुवरण की नगरी प्यारी
तो थारी म्हारी छोड़ द भाया -------------------

सूरज चाँद छिपे निकले, ऋतू फिर फिर कर आती जावे
प्यारी आयु ऐसी बीते, पता नहीं तुझको पावे
पर्वत-पतित-नदी -सरिता जल, बहकर भी नहीं हटता है
श्वास चलत यों घटे , काठ ,ज्यों आरे सों यूँ कटता है
तो थारी म्हारी छोड़ द भाया ---------------------

जन्मे मरे अकेला चेतन ,सुख दुःख का तूं ही भोगी
और किसी का क्या, इक दिन यह तेरी देह जुदा होगी
जबरन चलते साथ, जाय मरघट तक तेरे परिवारा
अपने अपने सुख को रोवे ,पिता पुत्र तेरे दारा
तो थारी म्हारी छोड़ द भाया ------------------
रचयिता -राजू बगडा-ता ;-१६.०९.१९९६